हिमाचल में सूखे से निपटने के लिए 23 मार्च को बनेगी शिमला में रणनीति

हिमाचल में सूखे से निपटने के लिए 23 मार्च को बनेगी शिमला में रणनीति

संभावित सूखे से निपटने को सरकार देगी हैंड पम्प और बोरवेल लगाने की इजाजत

शिमला, 19 मार्च। हिमाचल प्रदेश सरकार राज्य में संभावित सूखे से निपटने के लिए 23 मार्च को शिमला में रणनीति बनाएगी। यह बात जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने आज विधानसभा में भाजपा विधायक रमेश धवाला द्वारा ‘प्रदेश में लगातार सुख रहे पेयजल स्त्रोतों तथा गिरते जल स्तर के सुधार के लिए नीति बनाने’ को लेकर गैर-सरकारी दिवस के तहत लाए संकल्प पर हुई चर्चा के जवाब में कही। उन्होंने यह भी घोषणा की कि सरकार संभावित सूखे से निपटने के लिए इस साल राज्य में हैंडपंप और बोरवैल लगाने की इजाजत देगी। प्रदेश सरकार ने पिछले एक साल से राज्य में हैंडपंप और बोरवैल लगाने पर प्रतिबंध लगा रखा है। जवाब से संतुष्ट रमेश धवाला ने बाद में अपना संकल्प वापिस ले लिया।

महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि संभावित सूखे के दृष्टिगत जलशक्ति विभाग ने अपने सभी अधिशासी अभियंताओं की शिमला में 23 मार्च को बैठक बुलाई है। इसमें सभी अधिशासी अभियंताओं को अपने-अपने क्षेत्र के सूखे से प्रभावित होने वाले संभावित क्षेत्रों के लिए मास्टर प्लान लाने को कहा गया है, ताकि ऐसे क्षेत्रों के 10 कि.मी. के दायरे में स्थित किसी भी बड़ी योजना से इन क्षेत्रों को पानी की आपूर्ति की जा सके। उन्होंने कहा कि विभाग की 300-400 छोटी-बड़ी पेयजल योजनाएं निर्माणाधीन हैं, जिन्हें गर्मियों से पहले प्राथमिकता के आधार पर तैयार करने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में पेयजल समस्या को लेकर दो मोर्चों पर एक साथ काम कर रही है। इनमें वर्तमान में आ रही समस्याओं से निपटना और दीर्घकालीन योजनाएं तैयार करना शामिल है।

जलशक्ति मंत्री ने विभाग के सभी 155 उपमंडलों में एक-एक रेन हार्वेस्टिंग टैंक बनाने की घोषणा की। उन्होंने राज्य के सभी 68 विधायकों को अपने-अपने क्षेत्रों में छोटे-छोटे रेन हार्वेस्टिंग टैंक बनाने के लिए भी अधिकृत किया और कहा कि इसके लिए विभाग पैसा देगा। उन्होंने कहा कि विभाग प्रदेश में अभी से सूखे जैसे हालात के बावजूद कम से कम टैंकर लगाने का प्रयास करेगा और लोगों को पाइपों के माध्यम से पानी देने का प्रयास होगा।

महेंद्र सिंह ने प्रदेश में औसत तापमान बढ़ने पर चिंता जताई और कहा कि बीते पांच सालों में प्रदेश का तापमान 1.62 डिग्री सेल्सियस बढ़ा है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर इसमें 0.85 डिग्री की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बढ़ते तापमान से 19 फीसदी ग्लेशियर कम हो गए हैं और यदि इसी रफ्तार से ग्लेशियर पिघलते रहे तो आने वाले समय में हिमाचल को भी उत्तराखंड जैसी त्रासदी का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने राज्य के बर्फबारी वाले क्षेत्रों में स्नो हार्वेस्टिंग पर काम करने और मैदानी और मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रेन वाटर हारवेस्टिंग स्ट्रक्चर बनाने पर जोर दिया, ताकि गिरते भूजल स्तर को ठीक किया जा सके। उन्होंने माना की प्रदेश में प्रकृति से बहुत अधिक छेड़छाड़ हुई है और इससे प्राकृतिक आपदाएं बढ़ी हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्राकृतिक झीलें लगातार सूख रही हैं जो चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कम वर्षा और बर्फबारी से स्थिति यह है कि मार्च में ही मई-जून जैसे हालात हो गए हैं और सतलुज और ब्यास जैसी नदियां खड्ड जैसी नजर आ रही हैं।

इससे पहले, विधायक रमेश धवाला ने संकल्प प्रस्तुत करते हुए जलशक्ति विभाग से पाइपें लगाने का काम छोड़कर जल स्रोतों के सुधार पर ध्यान देने की सलाह दी। चर्चा में नरेंद्र ठाकुर, राकेश सिंघा, इंद्रदत्त लखनपाल, होशियार सिंह, कमलेश कुमारी और अरूण कुमार ने हिस्सा लिया।