हिमाचल विधानसभा बजट सत्र

हिमाचल विधानसभा बजट सत्र

विपक्ष ने बजट को कोसा, सत्ता पक्ष ने किया गुणगान

आशा कुमारी ने बजट को आने वाले समय के लिए बताया घातक

शिमला, 9 मार्च। हिमाचल प्रदेश के अगले वित्त वर्ष के लिए विधानसभा में पेश किए गए बजट को जहां विपक्षी सदस्यों ने जमकर कोसा, वहीं सत्तापक्ष के सदस्यों ने इसका खुले मन से गुणगान किया। इस दौरान एक-दूसरे पर टिका-टिप्पणियां भी की गई।

बजट पर चर्चा शुरू करते हुए आज कांग्रेस सदस्य आशा कुमारी ने कहा कि वर्ष 2020-21 के लिए 49131 करोड़ रुपए का बजट था और अगले वित्त वर्ष के लिए इसमें 1061 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी की है। महंगाई को देखते हुए यह बहुत ही कम बढ़ोतरी है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से सरकार चली है, यह सरकार सत्ता से जाते वक्त 85 हजार करोड़ रुपए के कर्ज में राज्य को ले जाएगी। उन्होंने कहा कि जीडीपी गिर रही है और देश के साथ-साथ हिमाचल में यह माइनस में है। यही नहीं, प्रति व्यक्ति आय भी कम हुई है।

आशा कुमारी ने कहा कि यह बजट लांग टर्म में हिमाचल के लिए डिजास्टर्स है। उन्होंने इस बजट को जनविरोधी करार देते हुए इसकी आलोचना की। उन्होंने कहा कि क्या मुख्यमंत्री यह आश्वासन देंगे कि पूरे साल में कोई टैक्स नहीं लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि कहीं सरकार बजट पास होने के बाद पिछले दरवाजे से कोई कर तो नहीं लगाएगी। उन्होंने मांग की कि सरकार डीजल और पेट्रोल और रसोई गैस की बढ़ती कीमतों को कम करने को प्रस्ताव लाए। उन्होंने कहा कि पहले भाजपा के नेता थोड़ी सी महंगाई पर सड़कों पर उतर जाते थे और आज कह रहे हैं कि पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें बाजार के अधीन हैं।

आशा कुमारी ने कहा कि शगुन योजना में हर वर्ग की गरीब कन्या को लाभ मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य के कर्मचारियों के लिए नए वेतन आयोग की सिफारिशों के लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि पर्यटन क्षेत्र की तरफ भी सरकार ने ध्यान नहीं दिया है। सरकार ने टैक्सी, बस आपरेटर को कोई राहत नहीं दी है। जब टैक्सी चली ही नहीं, तो उन से टैक्स क्यों लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 10 लाख बेरोजगार हैं और 30 हजार भर्ती की बात कर रहे हैं। जबकि पिछले बजट में जो भर्तियों की बात कही थी, वह भी नहीं की हैं। उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन में किए जा रहे टेंडर प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि टेंडर को ब्रेकअप कर किसी विशेष को लाभ देने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि मंडी जिले के दो हलकों में ही इसके टेंडर हो रहे हैं। उन्होंने इसे घोटाला करार दिया।

भाजपा सदस्य नरेंद्र बरागटा ने बजट चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि यह बजट सर्वव्यापी और सर्वस्पर्शी है। इसमें हर वर्ग के लिए कुछ न कुछ है। इस बजट में की गई घोषणाओं से हर वर्ग को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि यदि डॉ. मनमोहन सिंह भी यहां आ जाएं तो वह भी बजट बनाने में इसके इर्द-गिर्द ही रहते। क्योंकि स्थिति ही ऐसी है। उन्होंने कहा कि 50192 करोड़ रुपए का जो बजट पेश किया गया है, उसमें कृषि-बागवानी, उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा समेत कई विषयों पर फोकस किया गया है। उन्होंने कहा कि कोरोना के इस संकट से निकलने का मुख्यमंत्री ने जो प्रयास किया है, वह सराहनीय है।

कांग्रेस सदस्य राजेंद्र राणा ने कहा कि भाजपा सरकार का डबल इंजन बंद हो गया है और अब नाबार्ड अन्य बैंक इनके इंजन को खींच रहे हैं। उन्होंने कर्मचारियों के मुद्दों को बजट में स्थान न देने के लिए सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि सरकार ने महंगाई को कम करने के लिए कोई प्रयास नहीं किए, जबकि बजट में इसका जिक्र होना चाहिए था। उन्होंने कहा कि कोविड काल में बहुत युवा बेरोजगार हो गए और इनके लिए कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था गिर रही है और इसका प्रदेश पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। राणा ने कहा कि 69 एनएच का कोई अता-पता नहीं है और रेल लाइन को लेकर भी कदम नहीं उठाए जा रहे।

भाजपा के बलवीर सिंह ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री के व्यवहार में आए बदलाव की सराहना की। उन्होंने प्रदेश सरकार द्वारा लिए जा रहे कर्जों को जायज ठहराया और कहा कि सरकार पूरी पारदर्शिता से कर्जे ले रही है, जबकि पूर्व सरकार के कार्यकाल में कर्ज लेने के लिए दलाली तक दी गई।

कांग्रेस के मोहन लाल ब्राक्टा ने बजट को रूटीन दस्तावेज बताया और कहा कि महंगाई को कम करने का कोई जिक्र इसमें नहीं है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने नाबार्ड से विधानसभा क्षेत्रवार मिलने वाली राशि में 15 करोड़ रुपए की वृद्धि को सराहा तथा कहा कि इसमें और बढ़ोतरी होनी चाहिए।

भाजपा के बिक्रम जरियाल ने कहा कि मुख्यमंत्री ने बजट में हर वर्ग का पूरा ख्याल रखा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की दूरदर्शिता से प्रदेश तेजी से विकास कर रहा है।

माकपा सदस्य राकेश सिंघा ने कहा कि बजट दस्तावेज को दिशाहीन तथा भ्रमित करने वाला बताया। उन्होंने कहा कि बजट दस्तावेज में राजस्व बढ़ाने का कोई प्रयास नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार जब तक आय के नए संसाधन नहीं जुटाएगी, तब तक वह प्रदेश की जनता के साथ न्याय नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि हिमाचल के जंगलों की कीमत 21 लाख करोड़ रुपए है, लेकिन इसके एवज में प्रदेश को आज दिन तक केंद्र से कोई रायल्टी नहीं मिली, क्योंकि प्रदेश सरकार ने केंद्र के सम्मुख यह मुद्दा कभी उठाया ही नहीं। सिंघा ने कहा कि सरकार सुप्रीमकोर्ट के फैसले के बावजूद बीबीएमबी से अपना हिस्सा लेने में अभी तक कामयाब नहीं रही है। उन्होंने सरकार की कोरोना से लड़ने की रणनीति को भी गलत ठहराया और कहा कि इसकी वजह से प्रदेश की आर्थिकी तबाह हो गई है।

कांग्रेस के इंद्रदत्त लखनपाल ने प्रदेश सरकार से जुमलेबाजी बंद करने और प्रदेश के विकास के प्रति गंभीर होने की सलाह दी। उन्होंने आशंका जताई कि डबल इंजन वाली भाजपा सरकार कर्ज लेने के सारे रिकार्ड तोड़ेगी।

भाजपा सदस्य जेआर कटवाल ने कहा कि बजट में हर वर्ग का ध्यान रखा गया है और सरकार की खासकर समाज कल्याण की योजनाओं का अब ज्यादा लोगों को लाभ मिल रहा है।

कांग्रेस सदस्य लखविंद्र राणा ने अपने विधानसभा क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं को उठाया तथा स्वास्थ्य संस्थानों में आवश्यक स्टाफ तैनात करने की मांग की।