हिमाचल में सूखे जैसे हालात
मार्च में सामान्य से 62 फीसदी कम बरसे बादल
शिमला। अपनी ठंडी वादियों और सदाबहार मौसम के लिए विख्यात हिमाचल प्रदेश में इस बार सूखे जैसे हालात पैदा हो गए हैं। हालत यह है कि प्रदेश में बादल तो उमड़-ढूमड़ कर आते हैं लेकिन बरसते नहीं। नतीजतन मार्च महीना सूखा चला गया। मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में मार्च महीने में केवल 41.7 मिलीमीटर वर्षा ही हुई जो सामान्य से 62 फीसदी कम हैं। राज्य में एक भी जिला ऐसा नहीं है जहां मार्च महीने में सामान्य वर्षा हुई हो।
मौसम विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक कांगड़ा जिला में मार्च महीने में सामान्य से 84 फीसदी कम वर्षा हुई जबकि हमीरपुर में सामान्य से 79 प्रतिशत कम, सिरमौर में 77, बिलासपुर में 74, ऊना में 71, सोलन में 67, चंबा में 62, लाहौल स्पिति व किन्नौर में 58, शिमला में 41 और मंडी में सामान्य से 40 फीसदी कम वर्षा हुई।
मौसम विभाग के स्थानीय निदेशक मनमोहन सिंह के मुताबिक मार्च महीने में राज्य महीने में 13 बार वर्षा हुई लेकिन इनमें से केवल पांच बार ही पूरे प्रदेश में वर्षा हुई। जबकि अन्य मौकों पर केवल टुकड़ों में ही बादल बरसे। उनका कहना है कि ऊना में इस वर्ष मार्च में ही अधिकतम तापमान 36 डिग्री तक पहुंच गया जो सामान्य से लगभग 6 फीसदी अधिक है।
मनमोहन सिंह के मुताबिक मार्च महीने में 2015 में राज्य में सर्वाधिक 190.8 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई थी जबकि 2004 और 2008 में मार्च महीने में क्रमश: सामान्य से 99 फीसदी और 96 फीसदी कम वर्षा दर्ज की गई थी।
प्रदेश में इस वर्ष सर्दियों में किसी भी महीने में राज्य में सामान्य वर्षा नहीं हुई नतीजतन जहां कृषि व बागवानी लगभग चौपट होने के कगार पर है वहीं गर्मियों से पहले ही राज्य में पेयजल संकट ने दस्तक दे दी है। ऐसे में प्रदेश सरकार को इस संकट से निपटने के लिए गर्मियों के दस्तक से पहले ही दो-चार होना पड़ रहा है। प्रदेश सरकार ने संभावित सूखे को देखते हुए राज्य में नए हैंड पंप लगाने पर लगी रोक को खत्म करने का फैसला लिया है वहीं ऐसी पेयजल योजनाओं को बड़ी पेयजल योजनाओं से जोड़ा जा रहा है जिनके स्रोत अभी से सूख गए हैं। इसके लिए प्रदेश का जलशक्ति विभाग शिमला में कुछ रोज पूर्व ही अपने प्रदेश भर के अधिशासी अभियंताओं की मैराथन बैठक भी आयोजित कर चुका है।