कर्ज लेने की सीमा बढ़ायेगी जय राम सरकार

केंद्रीय करों में कमी का मामला

कर्ज लेने की सीमा बढ़ायेगी जय राम सरकार

हिमाचल पर अब और भी अधिक बढ़ेगा कर्ज का बोझ

शिमला, 15 मार्च। हिमाचल प्रदेश पर कर्ज का बोझ और बढ़ेगा। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने केंद्रीय करों से मिलने वाले हिस्से में आई कमी के दृष्टिगत प्रदेश की कर्ज लेने की सीमा को बढ़ाने के लिए आज विधानसभा में हिमाचल प्रदेश राजकोषीय उत्तरादित्व और बजट प्रबंध संशोधन विधेयक 2021 पेश किया। इस विधेयक के मुताबिक प्रदेश सरकार को राज्य के कुल जीडीपी के 5 फीसदी तक ऋण लेने की छूट मिल जाएगी। अभी तक हिमाचल प्रदेश राजकोषीय उत्तरादित्व और बजट प्रबंध अधिनियम 2005 के अनुसार प्रदेश सरकार को राज्य की कुल जीडीपी के 3 फीसदी के बराबर ही ऋण लेने की अनुमति है।

मुख्यमंत्री ने बिल पेश करते हुए कहा कि वर्ष 2019-20 के दौरान केंद्रीय करों की वास्तविक प्राप्तियों में कमी आई है। इसके फलस्वरूप राज्यों का हिस्सा भी प्रभावित हुआ है। ऐसे में केंद्र सरकार ने 26 फरवरी 2020 को केंद्रीय करों को निम्नतर अवक्रमण के लिए राज्यों को क्षतिपूर्ति करने के लिए अतिरिक्ति उधार लेने के लिए राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंध विधियों में संशोधन करने के लिए एक बार विशेष व्यवस्था करने की इजाजत दी है। इसी अनुमति के अनुसार प्रदेश सरकार अपनी कर्ज लेने की सीमा को बढ़ाने जा रही है।

मुख्यमंत्री ने इस बिल पर विपक्ष के विरोध पर कहा कि प्रदेश पर कर्जों का बोझ कांग्रेस का किया धरा है और भुगत अब हम रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 50 हजार करोड़ रुपए का कर्ज नहीं छोड़ा होता तो प्रदेश के वित्तीय हालात इतने खराब नहीं होते।

इससे पूर्व नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने इसे प्रदेश के भविष्य के लिए घातक कदम करार दिया। उन्होंने इस बिल का विरोध करते हुए मुख्यमंत्री से मांग की कि बिल को पेश करने पर ही सरकार इसे वापस ले ले। उन्होंने कहा कि इस बिल के पेश होने से साबित हो गया है कि सरकार किस तरह अंधाधुंध कर्जे ले रही है। इससे विपक्ष का वह दावा भी सही साबित हुआ है, जिसमें कहा गया था कि सरकार कर्जे पर चल रही है। उन्होंने दावा किया कि प्रदेश लगातार दिवालिएपन की ओर जा रहा है।