राज्य महिला आयोग द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

घरेलू हिंसा की समाप्ति के लिए पारिवारिक मूल्यों की विरासत को संजोए रखना अनिवार्य

शिमला, 23 जुलाई। हिमाचल प्रदेश राज्य महिला आयोग द्वारा आज ऊना में घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के तहत प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। शिविर का अध्यक्षता आयोग की अध्यक्षा डॉ. डेजी ठाकुर ने की।

अपने संबोधन में डॉ. डेजी ठाकुर ने कहा कि वर्तमान समय और कुछ दशक पूर्व के समय की अगर तुलना करें, तो हम पाएंगे कि परिवार रुपी संस्था में भी बड़ी तेजी से बदलाव आया है। संयुक्त परिवारों का अस्तित्व समाप्त होने की कगार पर है और अब एकांकी परिवार अधिक देखने को मिल रहे हैं। आपसी सामंज्य, विश्वास, सेवाभाव, आदरभाव जैसे पारिवारिक मूल्यों में कमी आई है। पूर्व में यदि दंपत्ति के मध्य कोई मतभेद उत्पन्न होते थे, तो बड़े-बुजुर्गों के हस्तक्षेप से उन्हें तुरंत सुलझा लिया जाता है। लेकिन आज एकांकी परिवार में दंपत्ति के आपसी मतभेद इस हद तक बढ़ जाते हैं कि मामला पुलिस व न्यायालय तक पहुंच जाता है। आज घरेलू हिंसा जैसी कुरीति को समाप्त करने के लिए पारिवारिक मूल्यों को संजोए रखने की नितांत आवश्यकता है।

डेजी ठाकुर ने कहा कि महिलाओं को घरेलू हिंसा व उत्पीड़न से संरक्षण प्रदान करने के लिए घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 को लागू किया गया है। उन्होंने बताया कि यदि किसी महिला के साथ किसी भी प्रकार का अत्याचार किया जाता है, तो वह अधिनियम के तहत मामला दर्ज करवाकर न्याय प्राप्त कर सकती हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे मामलों में महिला एवं बाल विकास विभाग के संरक्षण अधिकारियों की भूमिका बेहद अहम होती है।

उन्होंने आशा व्यक्त की कि संरक्षण अधिकारियों सहित पुलिस, सीडीपीओ, आंगनबाड़ी पर्यवेक्षकों व महिला शक्ति केंद्र कार्यशाला उपयोग सिद्ध होगी तथा  घरेलू हिंसा से जुड़े मामलों के त्वरित निपटान में मददगार बनेगी।