हिमाचल विधानसभा का शीतकालीन सत्र

हिमाचल विधानसभा का शीतकालीन सत्र
शपथ से पहले तपा तपोवन 
संस्थान बंद करने पर विपक्ष का हंगामा, वाकआउट
शिमला, 04 जनवरी हिमाचल प्रदेश की 14वीं विधानसभा का पहला सत्र हंगामे और वाकआउट के साथ शुरू हुआ। विपक्षी दल भाजपा ने सत्र के पहले ही दिन विधायकों के शपथ से पहले ही प्रदेश की नवगठित सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार द्वारा पूर्व भाजपा सरकार के अंतिम वर्ष के कार्यकाल में खोले गए लगभग 900 संस्थानों को बंद करने के मुद्दे पर पहले सदन में जोरदार हंगामा किया और फिर शपथ ग्रहण के बाद सदन से वाकआउट कर दिया।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही प्रदेश सरकार द्वारा पूर्व सरकार के अंतिम वर्ष के कार्यकाल में खोले गए संस्थानों को डिनोटिफाई करने का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि विधायकों की शपथ तो 24-25 दिन बा हो रही है, लेकिन सरकार ने इससे पहले ही पूर्व सरकार के कार्यकाल में खुले संस्थानों को डिनोटिफाई करने की झड़ी लगा दी है। जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के इतिहास में इस तरह बदले की भावना से कभी काम नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार जनादेश का अपमान कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में नए संस्थान खोलने का फैसला कैबिनेट ने लिया है और कैबिनेट ही इन संस्थानों को बंद करने का फैसला ले सकती है, लेकिन प्रदेश में अभी तक कैबिनेट का गठन ही नहीं हुआ है। ऐसे में पूर्व में खुले संस्थानों को नियमों को तहत डिनोटिफाई नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि सरकार डिनोटिफाई किए गए सभी संस्थानों को फिर से खोलने के आदेश जारी करे और इनकी पुनः समीक्षा करने के बाद इन्हें चलाने का बंद करने का फैसला लिया जाए। उन्होंने दावा किया कि पूर्व सरकार ने कोई भी संस्थान ऐसा नहीं खोला, जिसके लिए पद सृजित न किए गए हों। उन्होंने सरकार पर बिना सोचे-विचारे संस्थानों को डिनोटिफाई करने का आरोप लगाया और इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। इस दौरान सदन में भारी शोरगुल होता रहा और कई मौकों पर विपक्ष ने संस्थान डिनोटिफाई करने के खिलाफ नारेबाजी भी की। विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर चंद्र कुमार चौधरी ने इस दौरान सदस्यों को शांत रहने और संयम बरतने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि आज बहुत शुभ अवसर है और 23 सदस्य पहली बार चुनकर सदन में पहुंचे हैं। ऐसे में विपक्ष को शपथ ग्रहण में सहयोग करना चाहिए और इसके बाद उन्हें अपने मुद्दे उठाने चाहिए। इस दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी विपक्ष से पहले शपथ ग्रहण में सहयोग करने और फिर सरकार के निर्णयों पर चर्चा का आग्रह किया, जिसके बाद सदन में नवनिर्वाचित सदस्यों का शपथ ग्रहण शुरू हुआ। शपथ ग्रहण खत्म होने के तुरंत बाद विपक्ष ने इस मुद्दे को फिर से उठाय़ा। इससे सदन में फिर से हंगामे की स्थिति पैदा हुूई और कुछ देरबाद ही पूरा विपक्ष सदन से वाकआउट कर नारे लगाते हुए बाहर चला गया।