शिमला, 10 जुलाई। पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरभद्र सिंह के पुत्र विक्रमादित्य सिंह का आज राज परिवार की परंपरा के अनुसार राजतिलक कर दिया गया। राजतिलक गम के माहौल व मंत्रोच्चार के बीच रामपुर के पद्म पैलेस में हुआ।
दो घंटे से अधिक समय तक चले राजतिलक समारोह में विक्रमादित्य सिंह और उनकी पत्नी ने ही हिस्सा लिया। राजतिलक एक बंद कमरे में परिवार के सदस्यों और मीडिया की चकाचौंध से दूर हुआ। राजतिलक के वक्त विक्रमादित्य सिंह की माता व वीरभद्र सिंह की धर्मपत्नी प्रतिभा सिंह भी दूर रहीं।
राजतिलक के दौरान वीरभद्र सिंह का पार्थिव शरीर पद्म पैलेस के दरबार हॉल में लोगों के अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया था।
राजतिलक के बाद विक्रमादित्य सिंह रामपुर रियासत के 123 वें राजा बने हैं। रामपुर बुशहर राज परिवार में 74 साल बाद राजतिलक समारोह हुआ। इससे पहले वीरभद्र सिंह 1947 में 13 साल की उम्र में रामपुर बुशहर रियासत के राजा बने थे।
जानकारों के मुताबिक विक्रमादित्य सिंह राजतिलक के विरुद्ध थे क्योंकि आजादी के बाद अब राजशाही खत्म हो चुकी है। लेकिन बड़े बुजुर्गों के आग्रह पर उन्होंने इस परंपरा को निभाने का आग्रह माना।
इस बीच वीरभद्र सिंह को अंतिम विदाई देने के लिए आज रामपुर में भारी जन सैलाब उमड़ा और लोगों ने नम आंखों से अपने प्रिय ‘राजा साहब’ को अंतिम विदाई दी।