लोकतंत्र प्रहरियों की सम्मान राशि बंद करने पर हंगामा
शिमला, 29 मार्च। हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा इमरजेंसी के दौरान जेल में गए लोकतंत्र प्रहरियों की सम्मान राशि बंद करने के मुद्दे पर बुधवार को विधानसभा में एक बार फिर सदन का माहौल गरमाया। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने प्रश्नकाल के बाद प्वाइंट आफ आर्डर के माध्यम से सरकार द्वारा लोकतंत्र प्रहरियों की सम्मान राशि बंद करने का मामला उठाया और सरकार से जानना चाहा कि आखिर वह इनकी सम्मान राशि कब बहाल कर रही है। इसी दौरान जब विपक्ष को यह मामला उठाने की विधानसभा अध्यक्ष ने इजाजत नहीं दी तो सदन में कुछ देर के लिए हंगामे की स्थिति पैदा हो गई और दोनों ओर से खूब हो-हल्ला हो गया। बाद में विधानसभा अध्यक्ष द्वारा जयराम ठाकुर को यह मामला उठाने की अनुमति दे दी गई। इस पर जयराम ठाकुर ने कहा कि लोकतंत्र के लिए लड़ाई लड़ने वाले नेताओं को इमरजेंसी के दौरान जेल में डाला गया और उन पर मीसा जैसा सख्त कानून लगाया गया। हिमाचल में बड़ी संख्या में बड़ी संख्या में लोग जेल में रखे गए। उन्होंने कहा कि इन लोकतंत्र प्रहरियों को सम्मान देने के लिए ही पूर्व सरकार ने सदन में विधेयक लाया और उसे कानून बनाया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लोकतंत्र प्रहरियों की संख्या 80 से भी कम है और इन्हें 20 हजार तथा 12 हजार रुपए से भी कम की नाम मात्र की राशि दी जा रही थी। उन्होंने सरकार से पूछा कि आखिर इस राशि से सरकार पर कितना वित्तीय बोझ पड़ रहा था। उन्होंने पूछा कि जिन लोगों ने अपना जीवन लोकतंत्र की रक्षा में लगा दिया, क्या उनको मिलने वाली राशि को सरकार बहाल करेगी। संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने नेता प्रतिपक्ष द्वारा उठाए गए इस मुद्दे पर अव्यवहारिक करार दिया। उन्होंने कहा कि सरकार को क्या करना है और क्या नहीं करना है, यह हमें देखना है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस बिल को वापस ले लिया है क्योंकि यह पूरी तरह से राजनीतिक था। उन्होंने कहा कि इस बिल से केवल राजनीतिक लोगों को लाभ मिला और इसमें पूर्व मंत्री तथा एमएलए तक शामिल थे। ऐसे में इस बिल का आम जनता से कोई लेना-देना नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि इमरजेंसी के दौरान केवल आरएसएस के लोग मीसा के तहत जेल गए थे, आम आदमी नहीं।