शिमला, 09 सितंबर। हिमाचल प्रदेश विधानसभा में नाबार्ड की योजना के सवाल को लेकर सत्ता पक्ष व विपक्ष आमने सामने आ गया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि नाबार्ड के तहत केवल कांग्रेस विधायकों के विधानसभा क्षेत्रों की योजनाएं ही स्वीकृत हो रही हैं और विपक्ष के विधायकों के क्षेत्रों की डीपीआर भी नहीं बनाई जा रही है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विपक्ष के इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि पूरे हिमाचल का एक समान विकास करवाना उनकी सरकार की प्राथमिकता है। विधायक सुखराम चौधरी की अनुपस्थिति में विधायक रणधीर शर्मा द्वारा पूछे सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि नाबार्ड की योजना में विधानसभा क्षेत्र की लिमिट 175 करोड़ तय है। इसमें सरकार ने 20 करोड़ बढ़ाकर 195 करोड़ किया है। इसमें विधायक इलेक्ट्रिक व्हीकल और इसके चार्जिंग स्टेशन के लिए प्रस्ताव दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि 175 करोड़ रुपए की परिधि में स्कीमें आएगी, तो उसे स्वीकृति मिलेगी। उन्होंने कहा कि नाबार्ड के तहत शिमला शहरी हलकों में ही सड़कें नहीं बन रही है, क्योंकि यह शहरी क्षेत्र है। इसके अलावा हर विधानसभा क्षेत्र में काम हो रहा है। मुख्यमंत्री ने बताया कि 1 अप्रैल 2022 से लेकर 31 जुलाई तक नाबार्ड के तहत प्रदेश में 350 योजनाएं स्वीकृत की गई हैं, जबकि इसी अवधि के दौरान नाबार्ड के पास कुल 318 योजनाएं विचाराधीन हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार किसी से भी कोई भेदभाव नहीं कर रही है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने पूछा कि क्या सरकार की ओर से नाबार्ड को प्राथमिकता बदलने को लेकर पत्र भेजा गया है। उन्होंने कहा कि जहां विपक्ष के विधायक हैं, उन हलकों की डीपीआर नहीं बनाई जा रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि अधिकारियों को निर्देश दें कि विपक्ष के विधायक है वहां पर भी डीपीआर बनाई जाए। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी अधिकारी को यह नहीं कहा कि विपक्ष के विधायकों की डीपीआर तैयार न करें। वहीं, विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि नाबार्ड का सैट प्रोसिजर है, जिसकी पहले डीपीआर जाती है वह पहले स्वीकृत होता है। उन्होंने कहा कि नाबार्ड से कर्ज मिलता है जिसका भुगतान प्रदेश सरकार करती है। ऐसे में प्रदेशभर में काम होने चाहिए।
सरकार समाप्त करेगी डेपुटेशन: बागवानी मंत्री बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि डॉ. यशवंत सिंह परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी, सोलन में निदेशक अनुसंधान व निदेशक विस्तार के पद को डेपुटेशन के आधार पर भरा गया है। अन्य राज्यों से प्रतिनियुक्ति पर इन पदों पर नियुक्त किए गए हैं। इनके वेतन ओर भत्तों पर 1 अगस्त 2022 से 31 जुलाई तक 1 करोड़, 67 लाख, 29 हजार 106 रुपए की राशि खर्च की गई है। वे विधायक संजय रतन द्वारा पूछे गए मूल और राकेश जम्वाल द्वारा पूछे गए अनुपूरक सवाल का जवाब दे रहे थे। विधायक संजय रतन ने कहा कि जब हिमाचल में इन पदों के लिए पात्र लोग थे तो फिर बाहरी राज्यों से डेपुटेशन लाने की जरूरत क्यों पड़ी। इस पर, बागवानी मंत्री ने कहा कि पूर्व सरकार के समय दो साल के लिए डेपुटेशन पर लाए गए थे। अब नौणी विश्वविद्यालय की वित्तीय स्थिति ऐसी नहीं कि इन्हें यहीं पर रखा जाए। उन्होंने कहा कि इनकी डेपुटेशन को रद्द करने की प्रक्रिया जारी है। विधायक राकेश जम्वाल ने अनुपूरक सवाल किया कि जब सरकार ने अनुमति दी है तो क्या इन्हें हटाया जा सकता है। क्या इन के खिलाफ कोई चार्जेज है कि सरकार इन्हें हटाने जा रही हे। उन्होंने कहा कि नौणी विश्वविद्यालय ही नहीं, अन्य विभागों में भी इस तरह की डेपुटेशन है और हिमाचल से भी कई लोग अन्य राज्यों में डेपुटेशन पर है। इस पर बागवानी मंत्री ने कहा कि डेपुटेशन रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और जल्द उन्हें रिलीव किया जाएगा।