हिमाचल में सीरो सर्वे का नतीजा राहत भरा
कोरोना की दोनों डोज लेने वाले 97.6 फीसदी लोगों में एंटीबॉडीज विकसित
शिमला, 24 सितंबर। हिमाचल प्रदेश में कोरोना की संभावित तीसरी लहर की चुनौतियों से निपटने की तैयारियों में लगे स्वास्थ्य विभाग द्वारा करवाए गए सीरो सर्वे का नतीजा राहत भरा है। विभाग द्वारा प्रदेश के सभी 12 जिलों में करवाए गए सीरो सर्वे में 87.5 लोगों में एंटीबॉडीज बनने का खुलासा हुआ है। सर्वे के दौरान प्रदेश में 6 साल से अधिक उम्र के 4822 लोगों को शामिल किया गया। राहत वाली बात यह है कि प्रदेश में कोरोना की दोनों डोज लेने वाले 97.6 फीसदी लोगों में एंटीबॉडीज विकसित हुई है। जाहिर है कि कोरोना की दोनों डोज लेने वालों को महामारी से महफूज माना जा सकता है।
स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश के 12 जिलों में जून व जुलाई महीने में सीरो सर्वे करवाया। सर्वेक्षण में प्रत्येक जिला में 400 लोगों को शामिल किया गया। इनमें 6 से 9 साल तक के 437, 10 से 17 साल तक के 939, 18 से 44 साल तक के 2005, 45 से 60 साल तक की उम्र के 963 तथा 60 साल से अधिक आयु के 2005 लोगों को शामिल किया गया। सर्वेक्षण में शामिल लोगों में 2594 महिलाएं तथा 2218 पुरूष हैं। इनमें से 4079 में एंटीबॉडीज पाई गई है। किन्नौर जिला में 95.6 तथा ऊना में 76.1 फीसदी लोगों में एंटीबॉडीज विकसित हुई है। बच्चों की अपेक्षा वयस्को में एंटीबॉडीज ज्यादा पाई गई है। 6 से 9 साल तक के 53.6 फीसदी तथा 10 से 17 साल तक के 61.5 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडीज पाई गई। सर्वेक्षण में शामिल लोगों में से 71.5 प्रतिशत ऐसे थे जिन्हें कोरोना की डोज़ नहीं मिली थी।
कोरोना के खिलाफ जंग में टीकाकरण महत्वपूर्ण है। यह सबसे कारगर हथियार माना जा रहा है। इसका खुलासा भी सर्वेक्षण के परिणाम से हुआ है। सीरो सर्वे के मुताबिक प्रदेश में कोरोना की एक डोज लेने वाले 95.4 फीसदी लोगों में एंटीबॉडीज पाई गई, जबकि दोनों डोज लेने वाले 97.6 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडीज विकसित हुई। एंटीबॉडीज विकसित होने का तात्पर्य साफ है कि शरीर रोग से लडऩे की क्षमता रखता है।