घर खरीददारों को राहत प्रदान करने में हिमाचल प्रदेश रेरा की भूमिका सराहनीय

घर खरीददारों को राहत प्रदान करने में हिमाचल प्रदेश रेरा की भूमिका सराहनीय

शिमला, 22 अगस्त। रियल एस्टेट क्षेत्र को विनियमित करने और बढ़ावा देने के उद्देश्य से गठित हिमाचल प्रदेश रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) अपनी स्थापना के डेढ़ वर्षों के भीतर निष्पादन याचिकाओं का निपटान करने में देश के सभी रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरणों में दूसरे स्थान पर है। पिछले डेढ़ वर्षों से कोविड महामारी के संकट काल के वाबजूद प्राधिकरण पूर्णतः कार्यशील है। प्राधिकरण द्वारा मामलों का त्वरित निष्पादन सुनिश्चित करने के लिए आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जा रहा है।

    प्राधिकरण ने आनलाइन सुनवाई करके बड़ी संख्या में मामलों के निर्णय लिए हैं। इससे पक्षकारों को सुनवाई के लिए व्यक्तिगत रूप से प्राधिकरण कार्यालय में नहीं आना पड़ता है। शिकायतों की सुनवाई वेबैक्स के माध्यम से की जा रही है। आज तक वेबैक्स के माध्यम से 260 से अधिक सुनवाई की जा चुकी हैं, जिससे हितधारकों के लिए कोविड महामारी के दौरान अपने घर या कार्यालय से मामलों को आगे बढ़ाना आसान हो गया है। इन मामलों में आवास आवंटियों को 6 करोड़ 55 लाख रुपये वापिस करने के आदेश दिए गए हैं। इस राशि में से लगभग 76 लाख रुपये की राशि प्रमोटरों एवं बिल्डरों से पहले ही वसूल कर आवंटियों के बैंक खातों में जमा कर दी गई है।

रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण न केवल उपभोक्ताओं के अधिकारों का संरक्षण, बल्कि रियल एस्टेट को विनियमित कर पारदर्शी कार्य प्रणाली भी सुनिश्चित कर रहा है।

हिमाचल प्रदेश रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण द्वारा भूखण्डों, अपार्टमेंट या भवनों की बिक्री के मामलों में घर के खरीददार के हितों के संरक्षण के लिए कुशल एवं पारदर्शी तरीके से कार्य किया जाता है। बहुत ही कम समयावधि के दौरान 38 नई रियल एस्टेट परियोजनाओं और 52 एजेंटों को प्राधिकरण के साथ पंजीकृत किया गया है। इसके साथ-साथ प्राधिकरण ने पक्षों के बीच शिकायतों के मामलों को सौहार्दपूर्ण तरीके से निपटाने के लिए महत्वाकांक्षी पहल की है। इसके परिणामस्वरूप आवंटियों को 52 लाख रुपये वापिस कर दिए गए हैं। रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 के प्रावधानों के उल्लघंन के लिए बिल्डरों एवं प्रमोटरों पर रिफंड के अलावा 2 करोड़ 27 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना भी लगाया गया। अभी तक आवंटियों द्वारा 14 निष्पादन याचिकाएं दायर की गई हैं और 9 निष्पादन याचिकाएं स्वतः संज्ञान से दर्ज की गई हैं। बिल्डरों और प्रमोटरों से कुल 35 लाख रुपये का जुर्माना भी वसूल किया गया।

शिमला, 22 अगस्त। रियल एस्टेट क्षेत्र को विनियमित करने और बढ़ावा देने के उद्देश्य से गठित हिमाचल प्रदेश रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) अपनी स्थापना के डेढ़ वर्षों के भीतर निष्पादन याचिकाओं का निपटान करने में देश के सभी रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरणों में दूसरे स्थान पर है। पिछले डेढ़ वर्षों से कोविड महामारी के संकट काल के वाबजूद प्राधिकरण पूर्णतः कार्यशील है। प्राधिकरण द्वारा मामलों का त्वरित निष्पादन सुनिश्चित करने के लिए आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जा रहा है।

    प्राधिकरण ने आनलाइन सुनवाई करके बड़ी संख्या में मामलों के निर्णय लिए हैं। इससे पक्षकारों को सुनवाई के लिए व्यक्तिगत रूप से प्राधिकरण कार्यालय में नहीं आना पड़ता है। शिकायतों की सुनवाई वेबैक्स के माध्यम से की जा रही है। आज तक वेबैक्स के माध्यम से 260 से अधिक सुनवाई की जा चुकी हैं, जिससे हितधारकों के लिए कोविड महामारी के दौरान अपने घर या कार्यालय से मामलों को आगे बढ़ाना आसान हो गया है। इन मामलों में आवास आवंटियों को 6 करोड़ 55 लाख रुपये वापिस करने के आदेश दिए गए हैं। इस राशि में से लगभग 76 लाख रुपये की राशि प्रमोटरों एवं बिल्डरों से पहले ही वसूल कर आवंटियों के बैंक खातों में जमा कर दी गई है।

रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण न केवल उपभोक्ताओं के अधिकारों का संरक्षण, बल्कि रियल एस्टेट को विनियमित कर पारदर्शी कार्य प्रणाली भी सुनिश्चित कर रहा है।

हिमाचल प्रदेश रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण द्वारा भूखण्डों, अपार्टमेंट या भवनों की बिक्री के मामलों में घर के खरीददार के हितों के संरक्षण के लिए कुशल एवं पारदर्शी तरीके से कार्य किया जाता है। बहुत ही कम समयावधि के दौरान 38 नई रियल एस्टेट परियोजनाओं और 52 एजेंटों को प्राधिकरण के साथ पंजीकृत किया गया है। इसके साथ-साथ प्राधिकरण ने पक्षों के बीच शिकायतों के मामलों को सौहार्दपूर्ण तरीके से निपटाने के लिए महत्वाकांक्षी पहल की है। इसके परिणामस्वरूप आवंटियों को 52 लाख रुपये वापिस कर दिए गए हैं। रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 के प्रावधानों के उल्लघंन के लिए बिल्डरों एवं प्रमोटरों पर रिफंड के अलावा 2 करोड़ 27 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना भी लगाया गया। अभी तक आवंटियों द्वारा 14 निष्पादन याचिकाएं दायर की गई हैं और 9 निष्पादन याचिकाएं स्वतः संज्ञान से दर्ज की गई हैं। बिल्डरों और प्रमोटरों से कुल 35 लाख रुपये का जुर्माना भी वसूल किया गया।