हिमाचल में प्लास्टिक कचरा अब समस्या नहीं
शिमला, 11 अगस्त। शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश में प्लास्टिक का कचरा अब कोई समस्या नहीं रह गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में विभिन्न सफाई अभियानों के तहत एकत्रित कचरे को सीमेंट उद्योगों को ईंधन के लिए और लोकनिर्माण विभाग को सड़क निर्माण के लिए दिया जा रहा है। वे आज विधानसभा में नियम-62 के तहत प्रदेशभर में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कूड़ा-कर्कट की बढ़ती समस्या और इसके निपटारे के लिए लाए गए प्रस्ताव पर लाई गई चर्चा के जवाब में बोल रहे थे।
सुरेश भारद्वाज ने कहा किअब तक स्वच्छ भारत मिशन, ग्रामीण के तहत 8 प्लास्टिक कचरा निष्पादन इकाइयों की स्थापना की जा चुकी है। चालू वित्त वर्ष के लिए 81 प्लास्टिक कचरा निष्पादन इकाइयों की स्थापना प्रस्तावित है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार प्रत्येक विकास खंड में एक-एक प्लास्टिक कचरा निष्पादन इकाई की स्थापना होने से प्लास्टिक कचरे से निजात पाई जा सकेगी।
शहरी विकास मंत्री ने कहा कि वर्ष 2021-22 के लिए भारत सरकार द्वारा अनुमोदित वार्षिक कार्य योजना में 41.94 करोड़ रुपए प्रदेश को प्राप्त हो चुके हैं। इस कार्य योजना के तहत प्रदेश में 25719 व्यक्ति शौचालयों का निर्माण, 10845 सामुदायिक शौचालयों का निर्माण, 5338 गांवों में ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन गतिविधियां चलाई जाएंगी। उन्होंने कहा कि इस कार्य योजना पर कार्य आरंभ हो चुका है।
इससे पहले, भाजपा सदस्य विशाल नैहरिया ने सदन में प्रदेशभर में शहरी और ग्रामीण एरिया में कूड़ा-कर्कट की बढ़ती समस्या और इसके निपटारे को लेकर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि इसकी समस्या दिनोंदिन बढ़ रही है। इससे फसलों को भी नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि कूड़े को ठिकाना लगाने के लिए सीमेंट फेक्टरियों से संपर्क किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यहां पर 60 फीसदी वेस्ट डंपिंग साइट पर ही छोड़ना पड़ता है। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक आज हमारे जीवन में लगातार बढ़ रहा है और उसका डिस्पोजल नहीं हो पा रहा है।