संदीप उपाध्याय
शिमला. खेलों से लगाव रखने वाले खेल मंत्री बने राकेश पठानिया प्रदेश के युवाओं के लिए नई खेल नीति बनाने में जुटे हैं। पठानिया का मानना है कि प्रदेश में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं हैं लेकिन सुविधाओं की कमी और बेहतर प्रशिक्षण न मिल पाने के कारण वह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं। प्रदेश की खेल नीति पर पठानिया ने अपनी ही सरकार पर सवाल उठाए थे और विधानसभा के अंदर लंबा चौड़ा भाषण दिया था। तब खेल मंत्री गोविंद ठाकुर थे और पठानिया विधायक के तौर पर विधानसभा में खेल नीति पर बोल रहे थे। अब पठानिया सरकार में खेल मंत्री बन गए हैं तो वह खेलों के लिए बहुत कुछ करके दिखाना का जज्बा लिए हैं। खेल मंत्री बनने के बाद पठानिया ने कांगड़ा में स्पोर्टस यूनिवर्सिटी बनाने की घोषणा भी की और केंद्रीय खेल मंत्री से मिलकर इस बारे में चर्चा भी की है।
अब पठानिया प्रदेश के खिलाड़ियों के लिए नई खेल नीति बनाने में जटे हैं। इसके लिए पठानिया ने खेल विभाग के सभी अधिकारियों और प्रदेश के खेल संगठनों से जुड़े पदाधिकारियों के साथ चर्चा की और उनसे सुझाव प्राप्त किए हैं। सभी से प्राप्त सुझावों और दूसरे राज्यों की खेल नीतियों का अध्ययन कर प्रदेश की नई खेल नीति का खाका तैयार किया जा रहा है। खेल नीति पर चर्चा के लिए पठानिया इस माह खेल विभाग के अधकारियों के साथ के साथ मीटिंग करने जा रहे हैं। मीटिंग में सभी पहलुओं पर चर्चा होगी और किन खेलों के लिए कहां पर सुविधाएं प्रदान की जा सकती हैं, उस पर चर्चा होगी। खेल नीति में प्रमुख रुप से खेलों के लिए बजट का प्रावधान, खिलाड़ियों को मिलने वाल सुविधाओं, ट्रेनिंग सेंटर और कोच की व्यवस्था आदि को शामिल किया जाएगा। प्रमुख रुप से खिलाड़ियों को मिलने वाली प्रोत्साहन राशी और भत्ते के प्रावधानों पर भी चर्चा होगी। खेल मंत्री का प्रयास है कि जल्द ही खेल नीति को तैयार कर सरकार की स्वीकृति के साथ खिलाड़ियों को लाभान्वित किया जाए। वर्तमान सरकार का कार्यकाल अभी 2 वर्ष ही बचा है। पठानिया चाहते हैं कि खेल मंत्री के रुप में वह प्रदेश के युवा खिलाड़ियों के विकास के लिए वह ऐसा कुछ करें, जिससे खिलाड़ियों का भविष्य उज्जवल हो।
खेल मंत्री राकेश पठानिया मंत्री पद संभालने के बाद लगातार खेलों को बढ़ावा देने के लिए जुटे हुए हैं। इससे पहले उन्होंने शिमला जिले के चांशल क्षेत्र और फिर बाद में लाहौल स्फीति का दौरा कर विंटर खेलों की संभावनाओं को तलाशने का प्रयास किया है। पठानिया का मानना है कि प्रदेश में विंटर खेलों की अपार संभावनाएं हैं जिससे विंटर खेलों को बढ़ावा देने के प्रयास किए जाएं।
अब देखना होगा कि नई खेल नीति में ऐसा क्या होगा जो प्रदेश में खेलों को बढ़ावा देने में सफल होगी और प्रदेश के खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन करने के लिए तैयार हो पाएंगे और बेहतर प्रदर्शन कर प्रदेश का नाम रोशन करेंगे।