डा. परमार के प्रयासों से हिमाचल को मिली अलग पहचान
शिमला, 4 अगस्त। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने आज शिमला के पीटरहफ में हिमाचल प्रदेश के निर्माता एवं प्रथम मुख्यमंत्री डा. यशवंत सिंह परमार की 115वीं जयंती के अवसर पर आयोजित राज्य स्तरीय समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि डा. परमार एक निःस्वार्थ, प्रेरणादायक और बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। डा. परमार को प्रदेश के निर्माण, इसे उचित आकार व स्थान दिलाने के लिए सदैव याद रखा जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि डा. वाई.एस. परमार का सपना था कि पहाड़ी लोगों की एक अलग पहचान हो। उन्होंने कहा कि डा. परमार ने अपने कार्यों से स्वयं को अमर किया है। डा. परमार की प्रतिबद्धता और समर्पण के फलस्वरूप ही हिमाचल को अनेक कठिनाइयों के बावजूद एक अलग पहचान मिली। उन्होंने कहा कि डा. परमार की स्पष्टता, दूरदर्शिता और सशक्त प्रयासों के कारण ही वर्ष 1971 में हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्यत्व का दर्जा प्राप्त हुआ।
जयराम ठाकुर ने कहा कि डा. परमार पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें स्वयं को पहाड़ी कहलाने में गर्व महसूस होता था और इसके पश्चात ही हिमाचली लोगों ने हर प्रकार की हिचकिचाहट को त्याग कर स्वयं का इस मिट्टी से सम्बन्ध होने में गर्व महसूस करना आरम्भ किया। उन्होंने कहा कि डा. परमार पहाड़ी संस्कृति के प्रशंसक थे। वह पहाड़ी वेश-भूषा धारण करते थे और पहाड़ी वास्तुकला का प्रचार करते थे। डा. परमार सही मायने में राज्य की समृद्ध संस्कृति के सच्चे प्रचारक थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि डा. वाई.एस. परमार का राज्य के विकास, विशेषकर सड़कों के निर्माण, बागवानी तथा कृषि क्षेत्र में अहम योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि डा. परमार की दूरदर्शिता और सशक्त नेतृत्व के कारण ही हिमाचल प्रदेश आज पहाड़ी क्षेत्रों के विकास के लिए देश में आदर्श राज्य बनकर उभरा है। डा. परमार ने विकास के मुद्दों और योजना के सम्बन्ध में पहाड़ी क्षेत्रों को भारत के अन्य क्षेत्रों के अनुरूप आंकने के विरुद्ध आवाज उठाई और केन्द्र सरकार को केवल मैदानी क्षेत्रों के विकास के दृष्टिगत योजनाएं न बनाकर पहाड़ी राज्यों को भी प्राथमिकता देने के लिए राजी किया।
जयराम ठाकुर ने कहा कि आज हिमाचल प्रदेश शिक्षा, जलविद्युत, स्वास्थ्य, सामाजिक कल्याण आदि क्षेत्रों में अन्य राज्यों के लिए आदर्श बन चुका है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के पूर्ण राज्यत्व की स्वर्ण जयंती वर्ष के उपलक्ष्य पर प्रदेश के 50 वर्षों की शानदार यात्रा की झलक प्रदर्शित करने के उद्देश्य से सरकार ने प्रदेश भर में 51 कार्यक्रम आयोजित करने की योजना तैयार की थी। लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण यह सम्भव नहीं हो पाया। उन्होंने कहा कि हम सभी को डा. परमार के जीवन और कार्यों से प्रेरणा लेनी चाहिए, जो इस महान धरतीपुत्र के लिए सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी।
मुख्यमंत्री ने डा. परमार के जीवन पर आधारित छायाचित्र प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया और इसमें गहरी रूचि दिखाई। इस अवसर पर उन्होंने डा. परमार के परिवार के सदस्यों को भी सम्मानित किया।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने कहा कि आज प्रदेश का हर नागरिक डा. वाई.एस परमार के प्रयासों के लिए कृतज्ञ है, जिनके कारण हमारी अलग पहचान है और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के अवसर प्राप्त हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में पूर्व में रहे प्रत्येक मुख्यमंत्री ने प्रदेश के विकास के लिए अत्यधिक योगदान दिया है। इन सभी मुख्यमंत्रियों का योगदान, हर व्यक्ति के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर पूर्व मुख्यमंत्रियों द्वारा निर्धारित लक्ष्यों और मील पत्थरों को हासिल करने के लिए दृढ़ प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा परिसर में डा. परमार संग्रहालय का विस्तार करने के लिए प्रयास किए जाएंगे।
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि डा. वाई.एस. परमार के प्रयासों के कारण हिमाचल प्रदेश, भारत का 18वां राज्य बना। उन्होंने कहा कि डा. परमार के दृढ़ प्रयासों और मेहनत के कारण ही राज्य के लोगों को अपने भाग्य का निर्णय लेने का अवसर प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि डा. परमार ने न केवल हिमाचल की अलग राज्य के रूप में कल्पना की, बल्कि यह सुनिश्चित किया कि प्रदेश के हित संरक्षित और बरकरार रहें। उन्होंने यह समारोह शानदार तरीके से आयोजित करने के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया।