शिमला. नेशनल हाइवे को मुद्दा बनाकर सत्ता में आई भाजपा सरकार अब वायदा पूरा न होने के मुद्दे पर घिर गई है। विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने नेशनल हाइवे से संबंधित पत्र बम को जारी कर सरकार की पोल खोल दी है। मुद्दा था मटौर से शिमला तक प्रस्तावित नेशनल हाइवे का, जिसें केंद्र सरकार ने अस्वीकृत कर प्रदेश के लोक निर्माण विभाग को सौंपने का पत्र लिख दिया। केंद्रीय सड़क एवं भूतल परिवहन मंत्रालय को एनएचएआई के द्वारा लिखा गया पत्र विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने 11 सितंबर को सदन के समक्ष रखा और सरकार से जवाब मांगा। इस पत्र बम से विपक्ष ने सरकार की पोल खोल कर रख दी। नेशनल हाइवे पर विपक्ष के आरोपों से घिरी सरकार के पास जवाब नहीं था और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर नेशनल हाइवे के मुद्दे पर सदन में घिरे नजर आए। विपक्ष के सवालों के जवाब में तीन-चार दिन बाद मुख्यमंत्री ने सदन में जवाब दिया कि मटौर-शिमला नेशनल हाइवे पर एनएचएआई ने मंत्रालय को इस संबंध में पत्र लिखा था। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय सड़क एवं भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से इस संबंध में बात की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार पूरी ताकत के साथ केद्र सरकार के समक्ष नेशनल हाइवे का मुद्दा उठाती रहेगी। सवाल यह उठता है कि तीन साल बाद में प्रदेश की सड़कें गेंद की तरह कभी केंद्र सरकार और कभी प्रदेश सरकार के हाथों में लुढ़क रही हैं। जब तीन साल तक यह स्थिति है तो सरकार को बताना चाहिए कि प्रस्तावित फोरलेन सड़क का निर्माण किस दशक में होगा।
प्रदेश की नेशनल हाइवे का मुद्दा गत विधानसभा चुनाव 2017 में भाजपा का प्रमुख चुनावी मुद्दा था। चुनाव से पूर्व केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने प्रदेश में आकर धड़ा धड़ प्रदेश की हर सड़क को नेशनल हाइवे बनाने का वायदा कर दिया। केंद्रीय मंत्री के द्वारा प्रदेश की जनता से यह वादा तीन साल से अधिक समय पहले किया गया था। केंद्रीय मंत्री ने प्रदेश की 69 सड़कों को नेशनल हाइवे का दर्जा देकर 65 हजार करोड़ में बनाने की बात की। भाजपा ने नेशनल हाइवे को विधानसभा चुनाव का मुद्दा बनाया और भाजपा सत्ता में आ गई। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने पर विपक्ष लगातार मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से नेशनल हाइवे के बारे में सवाल पूछता रहा। मुख्यमंत्री कभी डीपीआर बनाने, कभी केंद्र के द्वारा करोड़ों रुपए जारी करने तो कभी जमीन अधिग्रहण करने की प्रक्रिया चालू होने की बात कर गुमराह करते रहे। अब नेशनल हाइवे अथॉरिटी के द्वारा पत्र में पोल खोल दी जिसमें उन्होंने एक नेशनल हाइवे को प्रदेश सरकार को सौंपने की बात की। विपक्ष के नेता का आरोप है कि केंद्रीय सड़क एवं भूतल परिवहन मंत्रालय ने वाइवल और अनवाइवल सड़कों की सूची जारी की है। जिसमें वाइवाल सड़कों की सूची में हिमाचल प्रदेश की किसी भी सड़क का नाम शामिल नहीं है। वहीं अनवाइवल सड़कों की सूची में हिमाचल की 5 से अधिक सड़कों का नाम है। वाइवल सड़कों की सूची में नाम न होने से यह तय माना जा रहा है कि केंद्र सरकार हिमाचल की किसी भी सड़क को बनाने नहीं जा रही है। हालांकि इस पत्र के आने से पूर्व केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक समाचार पत्र को दिए इंटरव्यू में कहा था कि हिमाचल में घोषित नेशनल हाइवे प्रोजेक्ट को प्रधानमंत्री कार्यालय से स्वीकृति नहीं मिली है। जिससे साफ हो गया था कि हिमाचल की कोई भी सड़क को अभी तक केंद्र सरकार ने स्वीकृति नहीं दी है। गडकरी के बयान पर जब विपक्ष ने सरकार से जवाब मांगा तो सरकार ने फिर वही डीपीआर बनाने और सड़कों का मुद्दा केंद्र के समक्ष उठाने की बात कर गोलमोल कर दिया। अब फिर एनएचएआई के पत्र से सरकार नेशनल हाइवे के मुद्दे पर विपक्ष के निशाने पर आकर घिरी हुई नजर आ रही है। विधानसभा में उठा नेशनल हाइवे का मुद्दा अब सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस का प्रमुख मुद्दा बन गया है। जिसे लेकर कांग्रेस के नेता जनता के बीच जाकर सरकार के झूठे वायदों को पोल खोलेंगे।
मुकेश अग्निहोत्री ने सोशल मीडिया पर दागे थे सरकार पर सवाल
शिमला से मटोर ( matour) नैशनल हाइवे-88 फ़ोरलैन (4 laning) प्रोजेक्ट से केंद्र ने हाथ झाड़े। यह हिमाचल सरकार को बड़ा झटका है-राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का पत्र देख लें , इसके निर्माण को unviable करार देकर इसे राज्य Pwd के हवाले कर दिया गया है। महकमा मुख्य मंत्री जी के अधीन है- यह हो क्या रहा है?? आप तो 65 हज़ार करोड़ के 69 राजमार्ग बनाने वाले थे, वह सब घोषणाए तो फ़र्ज़ी निकली, लेकिन यहाँ तो घोषित प्रोजेक्ट ही छिन गया।यह सरकार की असफलता की कहानी है।