बीपीएल सूची में नाम जोड़ने व हटाने का अधिकार केवल पंचायतों के पास – अनिरुद्ध सिंह
शिमला, 15 मार्च। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा है कि भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार बीपीएल सूची में नाम शामिल करने और नाम हटाने का अधिकार केवल संबंधित ग्राम सभाओं के पास है। कांग्रेस विधायक केवल सिंह पठानिया द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के लिखित उत्तर में अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि अपात्र परिवारों के नाम हटाने और पात्र परिवारों के नाम शामिल करने के उद्देश्य से हर साल सूचियों की समीक्षा की जाती है। जहां तक राज्य सरकार का संबंध है, वह यह सुनिश्चित करती है कि बीपीएल सूची में पात्र लोगों को शामिल करने और अपात्र को बाहर करने के लिए निर्धारित मानदंड पूरे हों। अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार ने वर्ष 2018 में सालाना बीपीएल सूची में संशोधन के लिए एक विस्तृत सूचना जारी की। इस अधिसूचना के अनुसार प्रत्येक पंचायत स्तर पर एक समिति का गठन किया, जिसे संबंधित खंड विकास अधिकारी द्वारा अधिसूचित किया गया। इस समिति में पंचायत सचिव, पटवारी और एक जन प्रतिनिधि को शामिल किया गया। उन्होंने कहा कि पात्र लोगों की अंतिम सूची के निर्णय के लिए सूची ग्राम सभा के समक्ष प्रस्तुत की जाती है। अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार समिति द्वारा तय नामों की सूची को ग्राम सभाओं के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है और ग्राम सभाओं द्वारा किया गया चयन अंतिम हैं। इसके अलावा, एसडीएम को आवेदनों के आधार पर या गलत चयन के आरोपों की शिकायतों या आरोपों की जांच करने के लिए अधिकृत किया गया है।अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि पूछताछ के बाद एसडीएम पंचायत को अपात्र परिवार का नाम बीपीएल सूची से हटाने का आदेश दे सकता है। ग्राम सभा द्वारा बी0पी0एल0 परिवारों के गलत चयन की दशा में एक माह के अन्दर आपत्ति/अपील एसडीएम के समक्ष प्रस्तुत की जा सकती है। यदि शिकायतकर्ता एसडीएम के निर्णय से संतुष्ट नहीं है, तो उपायुक्त के पास आगे की अपील दायर की जा सकती है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक ग्राम पंचायत में चुने जाने वाले परिवारों की संख्या निर्धारित है और रिक्तियां, यदि कोई हैं, ग्राम सभा द्वारा भरी जाती हैं।
विपिन सिंह परमार के एक सवाल के लिखित उत्तर में उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने हिमाचल प्रदेश इलेक्ट्रिक पालिसी 2022 जारी की है। यदि इस योजना में कोई कमी महसूस की जाती है तो सरकार इसमें संशोधन करने या नई इलेक्ट्रिक पालिसी बनाने पर विचार करेगी। विधायक रणधीर शर्मा के एक सवाल के लिखित जवाब में मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि प्रदेश में जलशक्ति विभाग के 66 मंडल कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने सत्ता संभालने के बाद आठ मंडलों को बंद कर दिया है। विधायक राकेश जंवाल के सवाल के लिखित जवाब में मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि सुंदरनगर विधानसभा क्षेत्र में जलशक्ति मंडल सुंदरनगर के तहत डैहर और सुंदरनगर के निकटतम क्षेत्रों के लिए 36.91 करोड़ रुपए से अधिक की दो पेयजल योजनाएं स्वीकृत हुई थी। इनमें से डैहर क्षेत्र के लिए स्वीकृत पेयजल योजना का 90 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है, जबकि दूसरी योजना का केवल 5 फीसदी कार्य ही पूरा हुआ है।
हिमाचल में हर वर्ष लगभग 1500 मीट्रिक टन ऊन उत्पादन
कृषि व पशुपालन मंत्री चंद्र कुमार ने कहा है कि प्रदेश में इस समय हर वर्ष औसतन 1400 से 1500 मीट्रिक टन भेड़ ऊन का उत्पादन हो रहा है। भरमौर के विधायक डॉ. जनक राज द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के लिखित उत्तर में चंद्र कुमार ने कहा कि प्रदेश में वर्ष 2018-19 में 1460.335 मीट्रिक टन भेड़ ऊन का उत्पादन हुआ। इसी तरह 2019-20 में यह लगभग 1516.44 मीट्रिक टन था। 2020-21 में 1482.24 मीट्रिक टन और 2021-22 में 1232.85 मीट्रिक टन उत्पादन हुआ। उन्होंने कहा कि वूल फेडरेशन की कुल ऊन भंडारण क्षमता 170 मीट्रिक टन है। इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश वूल फेडरेशन आवश्यकता के अनुसार किराए की सुविधाओं में ऊन का भंडारण करता है।
चंद्र कुमार ने कहा कि ऊन भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने 19 नवंबर, 2022 को केंद्रीय ऊन विकास बोर्ड, जोधपुर को प्रस्ताव भेजा है। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने पर राज्य की ऊन भंडारण क्षमता में अतिरिक्त 50 मीट्रिक टन की वृद्धि होगी।चंद्र कुमार ने कहा कि पुलिस मुख्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य में चरवाहों की भेड़ बकरियां चोरी होने और अन्य अपराधों के कुल 24 मामले दर्ज किए गए हैं। ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए सभी जिला पुलिस प्रमुखों को पीएचक्यू द्वारा समय-समय पर आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए जाते हैं। इसके अलावा अप्रैल 2021 में पीएचक्यू की ओर से स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर भी जारी किया गया था।
हिमाचल में सूखे की स्थिति नहीं
करसोग विधायक दीप राज द्वारा पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब में चंद्र कुमार ने सदन को बताया कि वर्तमान में हिमाचल प्रदेश में सूखे की स्थिति नहीं है, लेकिन पिछले साल की तुलना में इस बार सामान्य से कम बारिश के कारण कृषि और पशुपालन क्षेत्र के लिए चिंता बनी हुई है। उन्होंने कहा कि विभाग लगातार स्थिति की निगरानी कर रहा है और सूखे की स्थिति उत्पन्न होने पर सरकार चारा और पानी की आपूर्ति के लिए आवश्यक कार्रवाई करेगी। इस संबंध में आवश्यक निर्देश जारी किए गए हैं।