हिमाचल विधानसभा का मॉनसून सत्र शुरू

विधानसभा ने दी पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और नरेंद्र बरागटा को भावभीनी श्रद्धांजलि

तीन पूर्व विधायकों को भी शोकोद‌्गार के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित

शिमला, 2 अगस्त। हिमाचल प्रदेश विधानसभा का मॉनसून सत्र आज शिमला में शुरू हुआ। 10 दिवसीय मॉनसून सत्र गमगीन माहौल में शुरू हुआ और सदन ने मौजूदा विधायक व पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह तथा भाजपा के चीफ व्हिप स्व. नरेंद्र बरागटा और अन्य पूर्व विधायकों मोहन लाल, राम सिंह और अमर सिंह चौधरी को शोकोद‌्गार के माध्यम से श्रद्धांजलि दी।

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सदन में शोक प्रस्ताव प्रस्तुत किया और बजट सत्र तथा मॉनसून सत्र के दौरान दिवंगत हुए पांचों सदस्यों को श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने वीरभद्र सिंह के निधन को देश व प्रदेश के लिए बड़ी क्षति करार दिया। उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह एक जीवंत व्यक्तित्व थे। जयराम ठाकुर ने कहा कि आज के अधिकांश नेता उनका हाथ पकड़ कर आगे बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह के जीवन में कई उतार चढ़ाव आए लेकिन उन्होंने कभी अपनी जमीन नहीं छोड़ी। जयराम ठाकुर ने वीरभद्र सिंह के साथ अपने चुनाव क्षेत्र में बिताए पलों को भी याद किया। उन्होंने भाजपा के चीफ व्हिप नरेंद्र बरागटा को याद करते हुए कहा कि बरागटा ने हमेशा ही बागवानों के मुद्दों को उठाया और उनके जाने का आज भी विश्वास नहीं होता। मुख्यमंत्री ने मोहन लाल, राम सिंह और अमर सिंह चौधरी के निधन पर भी शोक जताया तथा शोकसंतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की।

नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने इस शे’र के माध्यम से वीरभद्र सिंह को श्रद्धांजलि दी-‘बाद जाने के अंधेरा रहेगा महफिल में, बहुत चिराग जलाओगे रोशनी के लिए’। अग्निहोत्री ने कहा कि वीरभद्र सिंह अखंड राजयोगी थे और इस तरह की प्रतिभाएं कम ही देखने को मिलती हैं। उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह ने हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम किया तथा क्षेत्रवाद की खाई को खत्म करने का प्रयास किया। अग्निहोत्री ने कहा कि वीरभद्र सिंह की मान्यता पूरे प्रदेश में थी और सभी ने उनकी मान्यता का लोहा माना। उन्होंने ये भी कहा कि वीरभद्र सिंह के दरबार से कभी कोई खाली नहीं गया।

संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि वीरभद्र सिंह बहुत ही संवेदनशील व्यक्ति थे और उनके द्वारा बनाए गए माता-पिता भरण पोषण कानून तथा धर्मांतरण कानून को पूरे देश में सराहा गया।

वन मंत्री राकेश पठानिया, आशा कुमारी, रामलाल ठाकुर और राजीव बिंदल ने कहा कि वीरभद्र सिंह जमीन से जुड़े हुए नेता थे और प्रदेश का कोई गांव ऐसा नहीं होगा जहां वह पैदल नहीं गए। विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज ने वीरभद्र सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए अपने बयान पर भी सफाई दी और कहा कि उन्होंने सिर्फ इतना कहा था कि वीरभद्र सिंह के जाने के बाद कांग्रेस में लड़ाई बढ़ गई है।

कर्नल धनीराम शांडिल, कमलेश कुमारी, सुखंविंद्र सिंह सुक्खू, राकेश सिंघा, विक्रम जरयाल, जगत सिंह, हर्षवर्धन चौहान, राजेंद्र राणा, पवन काजल, जीआर कटवाल, नंदलाल, बलवीर वर्मा, जगत सिंह नेगी, अनिरुद्ध सिंह और अन्य ने भी शोकोद‌्गार के माध्यम से वीरभद्र सिंह, नरेंद्र बरागटा और अन्य तीन पूर्व विधायकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। सदन ने इन दिवंगत मौजूदा तथा पूर्व विधायकों के सम्मान में कुछ देर का मौन भी रखा।