कायदे-कानून मानने होंगे स्टोन क्रशर मालिकों को : उद्योग मंत्री

कायदे-कानून मानने होंगे स्टोन क्रशर मालिकों को : उद्योग मंत्री

लोडिंग की मैकेनिकल अनुमति शीघ्र देगी सरकार

शिमला, 4 अगस्त। उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ने कहा है कि प्रदेश में काम कर रहे क्रशर मालिकों को सरकार के कायदे-कानून मानने ही होंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने क्रशर मालिकों को काम करने की अनुमति दी है, लेकिन उन्हें इसमें हेराफेरी की इजाजत नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा कि नदी-नालों से रेत बजरी निकालने के लिए जेसीबी से माइनिंग की व्यवस्था है, लेकिन यह व्यवस्था केवल उन्हीं क्रशर मालिकों के लिए है, जिन्हें माइनिंग प्लान में इसकी इजाजत दी गई है। अन्य क्रशर मालिकों को जेसीबी से रेत बजरी निकालने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

बिक्रम सिंह आज प्रदेश विधानसभा में भाजपा के रमेश धवाला द्वारा नियम-62 के तहत जिला कांगड़ा के नूरपुर और इंदौरा उपमंडल के 30 स्टोन क्रशर मालिकों द्वारा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा लगाई गई कड़ी शर्तों के विरोध में अपनी इकाइयों को बंद कर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के कारण लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का जवाब दे रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश सरकार क्रशर मालिकों को जल्द ही मैकेनिकल लोडिंग की अनुमति देने जा रही है।

उद्योग मंत्री ने कहा कि वैज्ञानिक खनन को बढ़ावा देने एवं प्रदेश में हो रहे विभिन्न विकास कार्यों के लिए, खनिजों की निर्बाध आपूर्ति को बनाए रखने के लिए सरकार द्वारा 462 खनन पट्टे प्रदान किए गए हैं तथा राज्य में इस समय कुल 376 स्टोन क्रशर स्थापित हैं। उन्होंने कहा कि खनिजों के वैज्ञानिक दोहन को प्रोत्साहन देते हुए प्रदेश के विभिन्न नदी नालों की सरकारी भूमि में उपलब्ध लघु रेत, रोड़ी, बजरी एवं पत्थर को खुली बोली द्वारा और पारदर्शी तरीके से नीलाम किया गया है। इसी शृंखला में खनन विभाग द्वारा जिला मंडी, शिमला, कुल्लू, बिलासपुर, सिरमौर, ऊना, कांगड़ा, चम्बा एवं हमीरपुर के नदी नालों में पड़े हुए रेत, रोड़ी, बजरी एवं पत्थर की खानों को चिन्हित करने के बाद 221 खनन पट्टों की नीलामी कर दी गई है। इनमें से 13 खनन पट्टों में खनन कार्य शुरू हो गया है व अन्य नीलामी क्षेत्रों में भी पर्यावरण एवं वन विभाग की स्वीकृतियां प्राप्त होने के बाद खनन कार्य शुरू हो जाएगा। इससे एक ओर खनिज सामग्री उपयोगी दरों पर उपलब्ध होगी, वहीं अवैध खनन पर भी अंकुश लगाया जा सकेगा।

इससे पहले भाजपा सदस्य रमेश चंद धवाला ने नियम 62 के तहत सदन में यह मामला उठाया। उन्होंने कहा कि माइनिंग के लिए प्रदेश सरकार द्वारा अत्याधिक कड़े कानून बना दिए जाने से स्टोन क्रशर मालिकों को जेसीबी से रेत, बजरी निकालने की अनुमति नहीं दी जा रही है। इस कारण क्रशर मालिकों में भारी रोष है और कांगड़ा जिले में उन्होंने अपने क्रशर ही बंद कर दिए हैं। इससे विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि माइनिंग के लिए सरकार द्वारा बनाए कानूनों को थोड़ा लचीला किया जाए।

रमेश धवाला ने कहा कि क्रशर मालिकों को जेसीबी से रेत बजरी निकालने की अनुमति दी जाए और उनके खिलाफ पुलिस में मामले दर्ज करने बंद किए जाएं। उन्होंने माइनिंग कानूनों का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना राशि को भी कम करने का सुझाव दिया। धवाला ने यह भी कहा कि हड़ताल पर गए सभी क्रशर मालिकों की तुरंत बैठक बुलाई जाए और उनकी मांगों का समाधान किया जाए, ताकि विकास कार्यों के लिए रेत, बजरी जैसी जरूरी सामग्री उपलब्ध हो सके।

रमेश धवाला ने यह भी कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा माइनिंग के लिए कड़े कानून लागू करने से भ्रष्टाचार बढ़ रहा है। यही नहीं, प्रदेश में रेत व बजरी जैसी सामग्री उपलब्ध न होने से इसे पंजाब से लाया जा रहा है, जिसका फायदा वहां के लोगों को हो रहा है।