पहली जुलाई से दर्शानों के लिए खुलेंगे चिंतपूर्णी मंदिर के कपाट

पहली जुलाई से दर्शानों के लिए खुलेंगे चिंतपूर्णी मंदिर के कपाट

भजन, कीर्तन, सतसंग व अन्य धार्मिक आयोजनों पर प्रतिबंध

शिमला, 28 जून। कोरोना महामारी के बीच बंद पड़े मां चिंतपूर्णी मंदिर के कपाट एक जुलाई से खुलने जा रहे हैं। यह आदेश जारी करते हुए जिलाधीश राघव शर्मा ने कहा कि मंदिर प्रात: 7 बजे से सांय 8 बजे तक दर्शानों के लिए खुला रहेगा। जबकि हवन, यज्ञ, भजन मंडली, भंडारा, लंगर मंदिर परिसर, धर्मशाला व सड़क के किनारे लगाने पर प्रतिबंध रहेगा। इसक अतिरिक्त स्थिति के अनुसार मंदिर अधिकारी समय सीमा में परिवर्तन कर सकते हैं। सभी श्रद्धालुओं को दर्शन पर्ची लेने के साथ-साथ कोविड-19 की स्क्रीनिंग भी करवानी होगी। एडीबी सदन को श्रद्धालुओं के इस्तेमाल के लिए खुला रहेगा। चिंतपूर्णी क्षेत्र में भजन, कीर्तन, सतसंग, भागवत या अन्य धार्मिक आयोजनों पर प्रतिबंध रहेगा। मंदिर परिसर में भीड़ ना हो इसके लिए मंदिर सहायक आयुक्त दर्शन पर्ची जारी करना रोक सकेगा। चिंतपूर्णी क्षेत्र में अस्थाई दुकानें नहीं खुल सकेगी तथा केवल सुखा प्रसाद ही चढ़ाया जा सकेगा। श्रद्धालुओं को मंदिर में बैठने, खडे होने तथा इंतजार करने की अनुमति नही होगी। चिकित्सीय परीक्षण के बाद केवल एसिम्टोमैटिक श्रद्धालु ही मंदिर परिसर में जा सकेंगे, जबकि फ्लू जैसे लक्षणों वाले श्रद्धालुओं को अस्पताल में आइसोलेट किया जाएगा और उनकी कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आने पर ही मंदिर के अंदर जाने की अनुमति होगी। इसके अलावा भी श्रद्धालुओं को कोविड प्रोटोकॉल को मानना होगा तथा सामाजिक दूरी, मास्क का प्रयोग एवं हाथों को सेनिटाइज करना आवश्यक होगा। आंगतुकों को मंदिर परिसर में गेट एक व दो के माध्यम से निर्धारित सामाजिक दूरी अपनाते हुए भेजा जाएगा। जहां तक संभव हो जूतों को गाड़ी में ही उतारना होगा और यदि जरूरत पड़ती है तो पुराना बस अड्डा के पास जूते रखने के स्थान को प्रयोग में लाया जा सकता है। श्रद्धालुओं को माता चिंतपूर्णी के दर्शानार्थ जाते समय पंक्ति में हर समय 6 फीट की सामाजिक दूरी बनाए रखनी होगी। आंगतुकों को मंदिर परिसर में प्रवेश करने से पूर्व हाथ और पैर साबुन से धोने होंगे। इसके लिए जगदंबा ढाबा, मंगत राम की दुकान के समीप व पुराना बस अड्डा के पास व्यवस्था की गई है।

मंदिर के अंदर श्रद्धालुओं का मूर्तियों, धार्मिक किताबों, घंटियों इत्यादि को छूना वर्जित रहेगा। ढोल नगाड़ों युक्त गायन दलों के आने पर भी मनाही रहेगी। मंदिर में प्रसाद व पवित्र जल का वितरण भी नहीं होगा।