लर्नर ड्राइविंग लाईसेंस प्रक्रिया हुई अब और सुगम: मुख्यमंत्री
लाइसेंसिंग प्राधिकारी ड्राइविंग टेस्ट से पहले प्रमाणीकरण के लिए एआई का करेंगे उपयोग
प्रदेश सरकार लोगों को सरल और सुगम तरीके से सरकारी सुविधाएं उपलब्ध करवाने की दिशा में अनेक नवोन्मेषी कदम उठा रही है। क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों (आरटीओ) और क्षेत्रीय लाइसेंसिंग प्राधिकारियों (आरएलए) के कार्यालयों को सुविधा सम्पन्न करने के उद्देश्य से सरकार ने एक नई पहल की है। इसके अंतर्गत लोगों को अपने घरों से ही आसानी से बिना किसी परेशानी के अपना लर्नर ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने की सुविधा प्रदान की जाएगी। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि व्यक्ति अब आधार-आधारित प्रमाणीकरण का लाभ उठाते हुए, पूरी तरह से ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से किसी भी स्थान से अपना लर्नर लाइसेंस प्राप्त कर सकते हैं।इस प्रणाली से आधार-आधारित लर्निंग लाइसेंस आवेदन प्रक्रिया सुव्यवस्थित हुई है तथा भौतिक सत्यापन, जांच और अनुमोदन की आवश्यकता नहीं रहेगी। आवेदक अब अपने लर्निंग लाइसेंस आवेदन, आवश्यक दस्तावेज और हस्ताक्षर ऑनलाईन अपलोड कर सकते हैं और आवश्यक शुल्क का भुगतान भी ऑनलाइन कर सकते हैं। इससे न केवल बहुमूल्य समय और संसाधनों की बचत होगी, बल्कि आरएलए और आरटीओ कार्यालयों पर अनावश्यक बोझ भी कम होगा।आरएलए धर्मशाला में पायलट आधार पर सफल कार्यान्वयन के बाद, यह प्रणाली अब प्रदेश के सभी जिलों में काम कर रही है। इस प्रणाली का मुख्य उद्देश्य लोगों को दक्षता से महत्वपूर्ण सेवाएं उपलब्ध करवाने के राज्य सरकार के दृष्टिकोण को यथार्थ रूप प्रदान करना है। इस प्रणाली के उपयोग से कागजी कार्रवाई कम होने के साथ ही लोगों के लिए लाइसेंस अधिग्रहण प्रक्रिया अधिक सुव्यवस्थित हुई है। हालांकि ड्राइविंग लाइसेंस टेस्ट (परीक्षण) के लिए आवेदकों को अभी भी स्लॉट बुकिंग के अनुसार अपाइंटमेंट शेडयूल करने के लिए आरएलए में स्वयं जाना आवश्यक है।लर्निंग लाइसेंस के लिए ऑनलाइन फेसलेस सेवा सप्ताह भर चौबीस घंटे आवेदकों के लिए सुविधाजनक सिद्ध हो रही है। भौतिक प्रमाणीकरण की आवश्यकता समाप्त होने, दस्तावेज सत्यापन और आरएलए कार्यालयों में लर्निंग टेस्ट आयोजित करने इत्यादि से लाइसेंस अधिग्रहण प्रक्रिया में दक्षता भी बढ़ी है।मुख्यमंत्री ने कहा कि लर्नर लाईसेंस के आवेदकों की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिए, लर्निंग ड्राइविंग टेस्ट शुरू होने से पहले कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) आधारित फेस अथेंटिकेशन प्रक्रिया शुरू की गई है। आवेदक के चेहरे की तुलना आधार रिकार्ड के अनुसार उनके आवेदन पत्र में उपलब्ध छवि से की जाती है।उन्होंने कहा कि प्रदेश के लोगों की सुविधा के लिए राज्य सरकार अधिक से अधिक सूचना प्रौद्योगिकी आधारित सेवाएं उपलब्ध करवाना सुनिश्चित कर रही है। इसके दृष्टिगत राज्य सरकार विभिन्न सरकारी विभागों के कामकाज में आधुनिक तकनीक को शामिल कर रही है।प्रधान सलाहकार (सूचना प्रौद्योगिकी एवं नवाचार) गोकुल बुटेल ने कहा कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में राज्य सरकार की इस पहल को क्रियान्वित करने में डिजिटल प्रौद्योगिकी विभाग ने प्रमुखता से कार्य किया है।