शिमला।
हिमाचल प्रदेश के वन और युवा सेवाएं व खेल मंत्री, श्री राकेश पठानिया ने वन पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन और आजीविका सुधार जैसे महत्वपूर्ण व महत्वाकांक्षी कार्यों में स्थानीय लोगों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने पर ज़ोर दिया है। उन्होंने कहा है कि प्रदेश में हरित क्षेत्र बढ़ाने के साथ-साथ लोगों के सतत् सामाजिक व आर्थिक विकास की दिशा में आगे बढ़ते समय महिलाओ को भी बराबर भागीदार बनाना लाज़िमी है।
श्री पठानिया ने वीरवार शाम शिमला के पॉटर्स हिल में ”हिमाचल प्रदेश वन पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन और आजीविका सुधार परियोजना” के मुख्यालय में अधिकारियों और अन्य स्टाफ के साथ चर्चा के दौरान ये बातें कहीं। वन मंत्री का कार्य संभालने के बाद परियोजना मुख्यालय का उनका यह पहला दौरा था। 800 करोड़ रुपए की यह परियोजना जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जाईका) ने वित्तपोषित की है। इसे भारत जापान सहयोग के हिस्से के रूप में कार्यान्वित किया जा रहा है।
परियोजना प्रबंधन के अब तक के प्रयासों की सराहना करते हुए वन मंत्री ने कहा कि वे भी फील्ड में जाकर गतिविधियों का खुद जायजा लेंगे। उन्होंने परियोजना कार्यान्वयन की गति को और तेज़ करने के लिए सबका हौसला बढ़ाया। श्री पठानिया ने कहा कि 2030 तक प्रदेश का हरित क्षेत्र (ग्रीन कवर) मौजूदा 27.2 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत करने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य की प्राप्ति में इस परियोजना का अहम योगदान होगा।
वन मंत्री ने कहा कि इस परियोजना के सहयोग से वन विभाग की 61 नर्सरियों का सुदृढ़ीकरण किया जा चुका है। इसके चलते विभाग की नर्सरियों की क्षमता 35 लाख पौधे बढ़ी है। उन्होंने कहा कि इस वित्त वर्ष के दौरान 1631 हैक्टेयर भूमि पर पौधरोपण किया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि वनों पर निर्भर समुदायों के आजीविका सुधार के दृष्टिगत उन्हें निजी भूमि के साथ-साथ वन भूमि पर भी औषधीय व सुगंधित पौधों की खेती की इज़ाज़त दी जाएगी।
इस परियोजना के लक्ष्य और उद्देश्यों की ओर मुड़ते हुए श्री राकेश पठानिया ने कहा कि परियोजना के तहत सतत् वन पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन व संवर्द्धन, जैव विविधता संरक्षण, आजीविका सुधार सहायता और संस्थागत क्षमता सुदृढ़ीकरण पर ज़ोर रहेगा। उन्होंने भरोसा जताया कि यह परियोजना स्थानीय लोगों, विशेषकर महिलाओं की सक्रिय भागीदारी के बूते उनके सामाजिक व आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में मील पत्थर साबित होगी।
वन मंत्री ने खुशी जताई कि परियोजना कार्यान्वयन में सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यालय स्तर पर निगरानी व मूल्यांकन प्रकोष्ठ की स्थापना भी अच्छा कदम है। श्री पठानिया ने भरोसा जताया कि परियोजना की गतिविधियों के चलते जहां मानव-वन्यजीव संंघर्ष व जंगलों में आग की घटनाओं में कमी आएगी और अवैध कटान व कब्जों पर नियंत्रण होगा, वहीं भू-क्षरण रुकेगा, जल का संरक्षण होगा और स्थाई आजीविका के वैकल्पिक अवसर पैदा होंगे।
इस बीच बैठक के दौरान श्री पठानिया ने परियोजना के कुल्लू व रामपुर क्षेत्रीय कार्यालयों के अधिकारियों और अन्य स्टाफ के साथ वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से भी बातचीत की। उन्होंने इस अवसर पर परियोजना द्वारा तैयार की गई तीन पुस्तिकाओं -सामुदायिक विकास प्रशिक्षक नियमावली, लिंग कार्ययोजना और फील्ड कार्यकर्ताओं के लिए सूक्ष्म नियोजन दिशा निर्देश- का विमोचन किया। श्री पठानिया ने कार्यक्रम की समाप्ति के बाद परियोजना परिसर में ”चिनार” का पौधा भी लगाया।
बैठक के आरंभ में मुख्य परियोजना निदेशक, श्री नागेश कुमार गुलेरिया ने श्री राकेश पठानिया और अतिरिक्त मुख्य सचिव (वन), श्री संजय गुप्ता का स्वागत किया। उन्होंने परियोजना से संबंधित सभी विषयों को छूते हुए प्रस्तुति दी। इस अवसर पर प्रधान मुख्य अरण्यपाल (हॉफ), श्री अजय कुमार, परियोजना निदेशक, श्री रमन शर्मा, जड़ी-बूटी प्रकोष्ठ के निदेशक, डॉ. हर्ष मित्र, परियोजना प्रबंधन सलाहकार, श्री गिरीश भारद्वाज समेत स्टाफ के अन्य सदस्य उपस्थित थे।