भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान शिमला द्वारा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित

भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान शिमला द्वारा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित

राज्यपाल ने अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन श्री अरबिंद एण्ड इंडिया रेनिसेंस की अध्यक्षता की

शिमला, 1 अगस्त। भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला द्वारा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ‘श्री अरबिंद एण्ड इंडिया रेनिसेंस’ विषय पर आज आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि श्री अरबिंद घोष एक विद्वान, कवि और राष्ट्रवादी थे, जिन्होंने आध्यात्मिक विकास के माध्यम से सार्वभौमिक मुक्ति के दर्शन को प्रतिपादित किया। वह न केवल भारतीय क्रांतिकारियों में एक अग्रणी थे, बल्कि दूरदर्शी भी थे, जिन्होंने एक उभरते हुए भारत का पूर्वाभास किया और राष्ट्र निर्माण में उल्लेखनीय योगदान दिया।

राज्यपाल ने कहा कि श्री अरबिंद का पूरा जीवन बलिदान भरा रहा। उन्होंने कहा कि त्याग अलग-अलग विषयों में अलग-अलग तरीके से किया जा सकता है लेकिन त्याग की भावना का होना आवश्यक है। मन में त्याग का भाव हो तो सारा संसार तुम्हारा है, क्योंकि जब भी त्याग की भावना होती है, तो उसके दृष्टिकोण से भिन्न-भिन्न विषयों का समाधान किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि देश के लिए बलिदान की भावना का होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जब कई आत्माएं त्याग की भावना से आगे बढ़ती हैं, तो समय के साथ राष्ट्र और अधिक सुदृढ़ हो जाता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र का अर्थ है नागरिकों की बलिदान की भावना। राज्यपाल ने कहा कि यदि बलिदान की भावना नहीं होगी तो हमारे जीवन और इसका अस्तित्व ही व्यर्थ हो जाएगा।

राज्यपाल ने कहा कि श्री अरबिंद ने कहा था कि देश केवल भूमि का एक टुकड़ा नहीं है बल्कि एक जीवंत राष्ट्र है। राष्ट्र में एक आत्मा होती है, जिसकी चेतना से राष्ट्र विकसित होता है। यदि यह चेतना मर जाती है, तो राष्ट्र टुकड़ों में बिखर जाता है। इसलिए देश को राष्ट्रीय चेतना और नवाचार की आवश्यकता है। उन्होंने यह विचार लगभग सौ वर्ष पूर्व हमारे सामने रखे थे।

इस अवसर पर उन्होंने महान देशभक्त लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की पुण्यतिथि पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

राज्यपाल ने अरबिंद घोष के चित्र और ‘हिमांजलि’ नामक पुस्तक का अनावरण भी किया।

इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक प्रो.सम्पदानन्द मिश्रा ने भी अपने विचार रखे।