संदीप उपाध्याय
शिमला. कांग्रेस के नए प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला ने संगठन के पदाधिकारियों, विधायकों और सीनियर नेताओं के साथ मीटिंग कर एकजुटता का पाठ पढ़ाया। शुक्ला ने कहा कि सभी एकजुट होकर केंद्र और राज्य सरकार की नामामियों को जनता के बीच लेकर जाओ और प्रचार करो। एकजुटता के पाठ के साथ राजीव शुक्ला ने कार्यकर्ताओं को इलेक्शन मोड में लाने का कार्य किया और प्रदेश में अगली सरकार कांग्रेस की बनाने का दाबा भी किया। राजीव शुक्ला का प्रयास अच्छा है और प्रभारी होने के नाते करना ही चाहिए। लेकिन सवाल यह है कि पहले से ही कई गुटों में बंटी कांग्रेस को एकजुटता के माले में पिरोना राजीव शुक्ला के बहुत बड़ी चुनौती है। शुक्ला के प्रभारी बनने से पहले ही हिमाचल कांग्रेस में नए प्रदेशाध्यक्ष बनाने की आवाज उठ रही है।
कांग्रेस के सीनियर नेताओं में से प्रदेशाध्यक्ष पद के दाबेदारों की लंबी लाइन भी है तो कई नेताओं के नाम चर्चा में आते रहे हैं। जिसमें पूर्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर, ठाकुर रामलाल, पूर्व मंत्री आशा कुमारी के नामों की चर्चा होती रही है। इसके साथ ही कांग्रेस नेताओं का एक वर्ग विधानसभा में विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री को भी प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी पर देखना चाहता है। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू खुलकर दाबेदारी तो नहीं करते लेकिन उनके समर्थक समय-समय पर इसकी मांग उठाते रहे हैं। परदे के पीछे सभी नेताओं का तर्क यही है कि वर्तमान प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर के नेतृत्व में संगठन कमजोर हुआ है। जिसके कारण संगठन को नए सिरे से खड़ा करने की जरुरत है जिससे ही आगामी विधानसभा चुनाव को जीता जा सकता है। कुलदीप राठौर न तो सरकार के खिलाफ ताकत के साथ लड़ पा रहे हैं और न ही संगठन को मजबूत कर पा रहे हैं। इसके कारण ही पार्टी के सीनियर नेता प्रदेशाध्यक्ष पद की दाबेदारी कर रहे हैं।
कौल सिंह ठाकुर की बात की जाए तो कुछ समय पूर्व ही मंत्री के कुछ कांग्रेसी नेताओं ने कौल सिंह को अध्यक्ष बनाने की मांग की थी। आवाज उठी तो पार्टी में हलचल हुई लेकिन परिणाम कुछ नहीं हुआ। लेकिन परदे के पीछे कौल सिंह ठाकुर की प्रदेशाध्यक्ष पद की दाबेदारी चल रही है। कांग्रेस के सीनियर नेता और नयनादेवी के विधायक राम लाल ठाकुर का नाम भी प्रदेशाध्यक्ष पद के दाबेदारों में हैं। रामलाल ठाकुर पूर्व में राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से भी मुलाकात कर चुके हैं। इसके साथ ही वह अहमद पटेल के साथ मुलाकात करने के बाद प्रदेश प्रभारी बने राजीव शुक्ला से भी दिल्ली में अकेले जाकर मुलाकात कर चुके हैं। इन मुलाकात के बारे में रामलाल कभी खुलकर तो नहीं बोले लेकिन मीडिया की खबरों के अनुसार वह हाईकमान के समक्ष प्रदेशाध्यक्ष पद को लेकर ही चर्चा कर रहे हैं। वहीं पूर्व मंत्री आशा कुमारी के भी प्रदेशाध्यक्ष बनने के समीकरण सामने आ रहे हैं। आशा कुमारी पूर्व में पंजाब की प्रभारी और राष्ट्रीय कांग्रेस की सचिव पद पर रहीं। कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन में फेरबदल के कारण आशा कुमारी सभी पदों से मुक्त हो गईं हैं। जिससे यह कयास लगाए जा रहे हैं कि आशा कुमारी को अब प्रदेश में बड़ी जिम्मेदारी प्रदेशाध्यक्ष पद के रुप में मिल सकती है। आशा कुमारी के नाम पर कांग्रेस के एक वड़े वर्ग की सहमति भी हो सकती है। आशा कुमारी का हाईकमान के साथ भी अच्छा संपर्क है और एआईसीसी में बैठे सीनियर नेताओं का साथ भी आशा कुमारी को मिल सकता है। कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू सीधे तौर पर प्रदेशाध्यक्ष की दौड़ में नहीं हैं लेकिन वह भी वर्तमान प्रदेशाध्यक्ष को बदलने के पक्ष में हैं। प्रदेश कांग्रेस में सुक्खू के समर्थकों की लंबी लाइन है जो चाहती है कि सुक्खू को ही प्रदेशाध्यक्ष की कमान मिले। यही समर्थक सुक्खू को प्रदेशाध्यक्ष बनाने की मांग हाईकमान तक पहुंचा सकते हैं। वहीं कांग्रेस नेताओं और विधायकों का बड़ा वर्ग मुकेश अग्निहोत्री को प्रदेशाध्यक्ष बनाने की बकालत कर रहा है। मुकेश अग्निहोत्री ने कभी अपनी दाबेदारी नहीं की लेकिन उनके समर्थक मानते हैं कि जिस तरह विपक्ष के नेता रहते हुए मुकेश अग्निहोत्री सरकार के खिलाफ लड़ने में कामयाब हैं, जिससे उन्हें प्रदेशाध्यक्ष की कमान मिलने संगठन भी मजबूत होगी और पार्टी सरकार के खिलाफ लड़ने में कामयाब होगी।
इसके साथ ही अन्य नेता भी प्रदेशाध्यक्ष पद की दाबेदारी परदे की पीछे कर रहे हैं। ऐसे समय में प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला का पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को एकजुटता के कार्य करने का संदेश देना कितना कारगर होगा, इस पर सवाल है। अब देखना है कि राजनीति के हरफनमौला खिलाड़ी राजीव शुक्ला पार्टी नेताओं को एकजुट करने के कौन सा फॉर्मूला अपनाते हैं जिससे पार्टी हिमाचल में सत्ता में आ सके।