बागवानी विकास प्रोजेक्ट कांग्रेस की देन : रोहित ठाकुर

भाजपा ने जुब्बल-कोटखाई के तीन सी.ए. स्टोर किए रद्द

शिमला, 22 अगस्त। हिमाचल प्रदेश में बागवानी के क्षेत्र को विकसित करने के लिए ₹1134 करोड़ रुपए का बागवानी विकास प्रोजेक्ट कांग्रेस की देन है। यह बात आज शिमला से पूर्व मुख्य संसदीय सचिव व पूर्व विधायक जुब्बल नावर कोटखाई रोहित ठाकुर ने प्रेस में जारी एक ब्यान में कही। उन्होंने कहा कि पूर्व कांग्रेस सरकार के अथक प्रयासों से बागवानी क्षेत्र के विकास के लिए विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित ₹1134 करोड़ के बागवानी प्रोजेक्ट की सौगात हिमाचल प्रदेश को मिली जिसका शुभारंभ 21 जून, 2016 को किया गया। बागवानों के प्रति उदासीन रवैए और क्षेत्रवाद की राजनीति के चलते भाजपा ने बागवानी की महत्वकांक्षी योजना को हाशिए पर धकेल दिया था। रोहित ठाकुर ने कहा कि भाजपा सरकार की विरोधाभास नीतियों और कछुआ चाल के चलते विश्व बैंक ने इस योजना के बजट में ₹68 करोड रुपए की कटौती कर दी और अब इस प्रोजेक्ट की स्वीकृत राशि घटकर  ₹1066 करोड़ रह गई है। उन्होंने कहा कि ₹1134 करोड़ के बागवानी विकास प्रोजेक्ट को सत्ता परिवर्तन के बाद बागवानी मंत्री  ने मात्र 4-5 सेब बाहुल्लय  विधानसभा क्षेत्र की योजना बताकर क्षेत्रवाद की राजनीति को हवा देते रहे और अब इस योजना के लाभकारी परिणाम सामने आ रहे हैं तो पूर्व में विरोध करने वाली भाजपा में श्रेय की होड़ मची हुई है।

उन्होंने कहा कि एक ओर जहां कांग्रेस सरकार ने बागवानी विकास के लिए विश्व बैंक से ₹1134 करोड़ का बागवानी विकास प्रोजेक्ट स्वीकृत करवाया वहीं सेब बाहुल्लय क्षेत्र की मांग को देखते हुए पूर्व कांग्रेस सरकार ने एपीड़ा से तीन सीए स्टोर खड़ापत्थर, बाघी और अणु के लिए स्वीकृत करवाए थे। एमओयू होने के बावजूद द्वेषपूर्ण राजनीति के चलते भाजपा नेताओं ने जुब्बल नावर कोटखाई विधानसभा क्षेत्र में बनने वाले सीए स्टोर रदद् करवा दिए।

रोहित ठाकुर ने कहा कि केंद्र की राजनीति में प्रदेश से भाजपा के दो बड़े नेता होने के बावजूद मोदी सरकार सेब की 5 हजार करोड़ रुपए की आर्थिकी को कमजोर करने में तुली है। भाजपा ने वर्ष 2014 व 2019 के संसद चुनाव में सेब को विशेष उत्पाद श्रेणी का दर्जा दिलाने व सेब पर आयात शुल्क तीन गुना बढ़ाने की बात की थी। मोदी सरकार द्वारा सेब को विशेष उत्पाद की श्रेणी में शामिल करना तो दूर की बात है इसके विपरीत सेब पर जो आयात शुल्क 50 प्रतिशत हुआ करता था उसे घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया है जिसके चलते अब विदेशों से सस्ते दामों में सेब आयात होगा और प्रदेश के बागवानों को भारी आर्थिक नुक़सान उठाना पड़ेगा। रोहित ठाकुर ने पिछले कई दिनों से सेब के दामों में आई भारी गिरावट पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि सेब के दामों में एकाएक गिरावट से बागवानों को लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा।