हिमाचल का चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 5.84 प्रतिशत रहने का अनुमान
जीएसटी मुआवजा राशि मिलना बंद होने और पेंशन भोगियों के एरियर के भुगतान से बाधा राजकोषीय घाटा
शिमला, 06 जनवरी केंद्र सरकार से जीएसटी मुआवजा राशि मिलना बंद होने के साथ-साथ पेंशन खर्चों में बढ़ोत्तरी से हिमाचल सरकार का राजस्व घाटा सकल घेरलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.84 फीसद तक पहुंच गया है। राजस्व घाटे में बढ़ोतरी पर नियंत्रक महालेख परीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में सवाल खड़े किए हैं। साथ ही सरकार से बढ़ते राजस्व घाटे को एफआरबीएम कानून के प्रावधानों के मुताबिक ही रखने को कहा है। चालू वित्त वर्ष में हिमाचल की राजस्व प्राप्तियां 37110.67 करोड़ रहने का अनुमान है। राजस्व प्राप्तियों में कर राजस्व के तौर पर 11268.14 करोड़, गैर कर 2797.99, केंद्रीय करों में हिस्सेदारी की एवज 18770.42 तथा केंद्रीय अनुदान के तौर पर खजाने में 4274.4 करोड़ आने का अनुमान है। केंद्र से जीएसटी मुआवजे के तौर पर राज्य को मिलने वाली जून महीने से मिलनी बंद हो गई है। नतीजतन चालू वित्त वर्ष में सरकार को मुआवजे के तौर पर मिलने वाली 558.37 करोड़ की कम राशि मिलेगी। साथ ही छठे पंजाब वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बाद पेंशनरों को एरियर के भुगतान पर सरकार को 1009.80 करोड़ का अतिरिक्त भुगतान करना होना। नियंत्रक महालेखा परीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इन दोनों मदों की वजह से प्रदेश का राजस्व घाटा 1456.32 करोड़ होगा। साथ ही राजकोषीय घाटा 1642.49 करोड़ तक पहुंच जाएगा। एफआरबीएम प्रावधानों के तहत राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 3.5 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। मगर यह 5.84 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है। उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री द्वारा सदन में प्रस्तुत की गई नियंत्रक महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में राजकोषीय घाटा नियंत्रित करने के लिए सरकार ने अनुत्पादक खर्चों को कम करने, बाह्य सहायता प्राप्त प्रोजेक्टों के लिए केंद्रीय मदद से धन जुटाने तथा विकास कार्यों के लिए केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं के तहत अधिक से अधिक धन जुटाने की बात कही है।