हिमाचल विधानसभा ने प्रवर समिति को भेजा भू-जोत संशोधन विधेयक

हिमाचल विधानसभा ने प्रवर समिति को भेजा भू-जोत संशोधन विधेयक

चाय बागावानों की जमीन से संबंधित है ये भू-जोत विधेयक

शिमला, 12 अगस्त। हिमाचल प्रदेश भू-जोत संशोधन विधेयक को प्रवर समिति को भेज दिया गया है। आज विधानसभा में विधेयक पर हुई चर्चा के बाद इसे प्रवर समिति को भेजने का प्रस्ताव राजस्व मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने सदन में रखा। चर्चा में कांगे्रस के आशीष बुटेल, माकपा के राकेश सिंघा व भाजपा के अरुण कुमार ने भाग लिया।

विधेयक पर हुई चर्चा में बोलते हुए कांग्रेस विधायक आशीष बुटेल ने कहा कि कांगड़ा वैली टी-प्लांटेशन एसोसिएशन ने भू-जोत कानून को लेकर मामला सर्वोच्च न्यायालय में दायर किया हुआ है। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी माना है कि भू-जोत कानून के तहत स्वीकृत सीमा के भीतर की भूमि को संशोधन के दायरे से बाहर रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को लैंड सीलिंग एक्ट का लाभ नहीं मिला है उन्हें संशोधन के दायरे से बाहर रखा जाए। बुटेल ने कहा कि सरकार को चाय बागानों की भूमि अधिग्रहित करने की शक्ति अपने पास रखनी चाहिए क्योंकि विकास कार्यों के लिए इसकी जरूरत पड़ सकती है।

चर्चा में भाग लेते हुए माकपा के राकेश सिंघा ने कहा कि बेशक वह प्रदेश सरकार द्वारा गठित उस कमेटी के सदस्य थे जिसकी सिफारिशों पर संशोधन पेश किया गया है। संशोधन पेश करने से पहले इस पर गंभीर चर्चा भी हुई है। मगर उन्होंने कहा कि वह इस कानून बारे पूरी तरह से आत्मसात नहीं थे। न ही उन्हें यह मालूम था कि मामला सर्वोच्च न्यायालय के विचाराधीन है। उन्होंने कहा कि भूमि सुधार कानून के तहत जमीन रखने की स्वीकृत सीमा 10, 15, 30 एकड़ है। जनजातीय इलाकों में यह सीमा 70 एकड़ है। उन्होंने कहा कि स्वीकार्य सीमा से अधिक भूमि जिनके पास है उसे अधिग्रहित करने की शक्ति सरकार के पास रहनी चाहिए। सदन का भी यह अधिकार होना चाहिए। माकपा विधायक ने इस संशोधन कानून को पारित करने से पहले न सिर्फ सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का इंतजार करने बल्कि विधेयक को प्रवर समिति को भेजने का आग्रह भी राजस्व मंत्री से किया।

चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के अरुण कुमार ने कहा कि संशोधन के दौरान सरकार को छोटे चाय बागानों के स्वामियों का भी याल रखना चाहिए। इससे पहले विधानसभा में राजस्व मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने संशोधन विधेयक को पारित करने के उद्देश्य से सदन में पेश किया। विधायकों के विचार सुनने के बाद उन्होंने इसे प्रवर समिति को भेजने का प्रस्ताव रखा।