गुड़िया दुष्कर्म व हत्या मामला में आया फैसला

गुड़िया दुष्कर्म व हत्या मामला में आया फैसला

दोषी अनिल कुमार उर्फ नीलू को उम्र कैद की सजा

शिमला, 18 जून। बहुचर्चित गुड़िया दुष्कर्म एवं हत्या मामले में दोषी ठहराए गए अनिल उर्फ नीलू को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। शिमला में सीबीआई की विशेष अदालत ने आज दोषी को ये सजा सुनाई। दोषी नीलू को ये सजा आईपीसी की धारा 302 और 376 के तहत सुनाई गई। सजा के मुताबिक दोषी नीलू को आखिरी दम तक कारावास में रहना होगा और उसपर कारावास के साथ-साथ 10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है।  सजा शिमला के जिला व सत्र न्यायाधीश राजीव शर्मा ने सुनाई। अभियुक्त नीलू को मंगलवार को विशेष अदालत में पेश किया गया था और जिला व सत्र न्यायधीश राजीव भारद्वाज के समक्ष दोषी की सजा को लेकर अभियोजन व बचाव पक्ष के वकीलों के बीच बहस हुई थी।

अभियोजन की ओर से सीबीआई के अधिवक्ता ने बहस करते हुए अदालत से कहा था कि यह मामला रेयर ऑफ रेयरेस्ट है। आरोपी का आपराधिक इतिहास भी रहा है। उन्होंने अदालत से आरोपी को मृत्युदंड की सजा देने का आग्रह किया था। वहीं दूसरी ओर बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने कहा था कि रेयर ऑफ रेयरेस्ट का मामला नहीं बनता है और मृत्युदण्ड की बजाय उम्र कैद या कैद की सजा दी जाए।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश राजीव भारद्वाज ने सजा सुनाने के लिए आज 18 जून की तारीख तय की थी।

अदालत ने 28 अप्रैल 2021 को भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं  और बच्चों के यौन अपराध से संरक्षण कानून (पॉक्‍सों) अधिनियिम की धारा 4 के तहत नीलू को दुष्कर्म व हत्या का दोषी करार दिया था।

अदालत ने पहले 11 मई को दोषी को सजा सुनाने की तिथि निर्धारित की थी लेकिन कोरोना कर्फ्यू के कारण मामले की सुनवाई 18 मई को बढ़ा दी थी। 18 मई को सुनवाई 28 मई तीन जून आठ जून और फिर 15 जून को आगे बढ़ा दी गई।

उल्लेखनीय है कि ऊपरी शिमला के कोटखाई इलाके के हलाईला जंगल में 4 जुलाई 2017 को ये जघन्य वारदात हुई थी।  4 जुलाई 2017 को एक छात्रा स्कूल से लौटते समय लापता हो गई थी। 6 जुलाई 2017 को कोटखाई के तांदी के जंगल में पीड़िता का शव मिला। जांच में पाया गया कि छात्रा की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। छात्रा को बड़ी बर्बरता से मौत के घाट उतारा गया था।

गुड़िया के साथ दरिंदगी की इस वारदात के खिलाफ जबरदस्‍त जनाक्रोश देखने को मिला था। लोगों ने तब इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग को लेकर सड़क पर उतरकर आंदोलन किया था। छानबीन के बाद पुलिस ने 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इनमें एक आरोपी सूरज की पुलिस हिरासत में हत्या कर दी गई।  बाद में इस मामले में एक नया मोड़ आया और शेष सभी चार आरोपियों को जेल से रिहा कर दिया गया।

आरोपी सूरज की हिरासत में हत्या पर आक्रोशित लोगों का पुलिस पर गुस्सा फूटा और भीड़ ने कोटखाई थाने को आग के हवाले कर दिया था। बाद में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई के सुपुर्द कर दी। सीबीआई ने गुड़िया हत्या व दुष्कर्म और सूरज हत्याकांड में दो अलग-अलग मामले दर्ज किए। सीबीआई ने सूरज हत्याकांड में आईजी ज़हूर ज़ैदी सहित नौ पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को गिरफ्तार किया था।

सीबीआई ने डीएनए परीक्षण के आधार पर अप्रैल 2018 को नीलू नामक लकड़हारे (चरानी) को गिरफ्तार किया था। सीबीआई ने मामले की जांच के दौरान कोटखाई और आसपास के गांवों के सैकड़ों लोगों से पूछताछ की थी तथा बड़ी संख्या में लकड़हारों के खून के नमूनों भी लिए गए थे। इस मामले में सीबीआई ने 55 गवाहों के बयान दर्ज किए।