शिमला. राजभवन में वर्षों से सेवा दे रहे पी.एस. राणा ने रिकॉर्ड स्थापित किया है। वह अपनी सेवा में आठ बार विस्तार पाने वाले शायद प्रदेश के पहले अधिकारी होंगे। सरकार राणा को बेहतर सेवाओं के चलते लगातार सेवा विस्तार दे रही है। ऐसे में राणा को बेहतर सेवाओं के लिए कोई अवॉर्ड हो तो वह भी मिलना चाहिए। इतना बेहतर कार्य कर रहे हैं कि सरकार उनको रिटायर ही नहीं कर पा रही है। वैसे तो राणा को 2013 में रिटायर होना था लेकिन वह आठ साल बाद 2020 में भी एक साल को सेवा विस्तार हासिल करने में सफल रहे हैं। मतलब अब वह 2021 तक तो राजभवन में बेहतर सेवाएं देंगे। कमाल की बात तो यह है कि राणा पूर्व कांग्रेस सरकार में भी चार बार सेवा विस्तार ले चुकें हैं। जिससे राणा ने साबित किया है कि सरकार किसी भी पार्टी की हो, उनको सेवा विस्तार मिल सकता है क्योंकि वह राजभवन का सानिध्य में नौकरी कर रहे हैं। सरकार के इस सेवा विस्तार पर सवाल यह उठता है कि जब प्रदेश में लाखों युवा बेरोजगार हैं तब यह सेवा विस्तार क्यों दिया जा रहा है। राणा को अगर 2013 में रिटायर कर दिया जाता तो कम से कम एक युवा को तो रोजगार मिलता, लेकिन सरकार की मेहरबानियों के कारण ऐसा नहीं हो पा रहा है। सरकार में ऐसे सैकड़ों चहेते हैं जिनको सेवा विस्तार मिल रहा है। सवाल यह भी उठता है कि भाजपा जब विपक्ष में थी तो तात्कालीन कांग्रेस सरकार के द्वारा अधिकारियों और कर्मचारियों को दिए जाने वाले सेवा विस्तार का विरोध करती रह है और अब भाजपा की सरकार है तो सरकार भी सेवा विस्तार दे रही है। सेवा विस्तार देने का कोई मापदंड नहीं होता है। जब सत्ता में काबिज किसी बड़े नेता की सिफारिश हो तो सेवा विस्तार मिल जाता है। सरकार के ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं जब किसी चहेते कर्मचारी को सेवा विस्तार के सत्ता धारी दल के बड़े नेताओं ने सिफारिश की है और उन्हें सेवा विस्तार दिया गया है।
वर्तमान में राज्यपाल के ओएसडी पद पर कार्यरत पीएस राणा को सरकार ने एक वर्ष का सेवा विस्तार दिया है। राणा पूर्व में राजभवन में सचिव के पद पर विराजमान रहे हैं। उसके बाद भाजपा राज में राणा को ओएसडी का पद देकर राजभवन में विराजमान किया गया। उसके बाद लगातार ओएसडी के पद पर रहते हुए सेवा विस्तार प्राप्त कर रहे हैं। यह तो तय है कि कांग्रेस और भाजपा सरकार में राणा को सेवा विस्तार राजभवन की सिफारिश पर ही मिल रहा है। राणा राजभवन में बेहतर सेवाएं दे रहे होंगे, इस कारण राजभवन को लग रहा होगा कि राणा चले जाएंगे तो उनके काम कैसे होंगे। अगर ऐसा ही हर विभाग मेें अधिकारी सोचना शुरु कर दें तो फिर कई होनहार अधिकारी ऐसे पाए जाएंगे जो मरते दम तक रिटायर नहीं होंगे। लेकिन सरकार सिस्टम में तो यही चलता है कि काम को कम और सिफारिश को अधिक महत्व दिया जाता है। इस कारण राणा को आठवीं बार सेवाविस्तार और नियुक्ति मिल रही है। कोई कुछ भी कहे लेकिन सरकार को ऐसे निर्णय लेने से परहेज करना चाहिए।