1857 से 1947 तक हिमाचल की भूमि पर हुईं कई क्रांतिकारी गतिविधियां
शिमला, 24 अगस्त। 1857 की क्रांति से लेकर 1947 तक की आजादी की जंग में हिमाचल प्रदेश का अहम योगदान रहा है। ये बात प्रख्यात इतिहासकार और लेखक प्रो. ओम प्रकाश शर्मा ने बतौर मुख्य प्रवक्ता एक वेबीनार में कही। ये वेबीनार भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के शिमला स्थित फील्ड आउटरीच ब्यूरो द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में राजकीय कन्या महाविद्यालय की एनसीसी विंग की छात्राओं समेत कई अन्य कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।
प्रोफेसर ओपी शर्मा ने हिमाचल की स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका विषय पर विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि 1857 की क्रांति भले ही बैराकपुर और मेरठ से शुरू हुई हो, लेकिन उसकी आंच हिमाचल तक पहुंची। उन्होंने बताया कि कैसे 1857 की क्रांति से प्रभावित होकर अंबाला छावनी के अंतर्गत आने वाले ब्रिटिश सेना के भारतीय सिपहियों ने कसौली, जतोग आदि स्थानों पर विद्रोह का बिगुल फूंका। इस दौरान हिमाचल के सुबेदार भीम सिंह, राम प्रसाद बैरागी और दारोगा बुद्धि सिंह ने विद्रोह की आग में स्वयं की शहादत दी। अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि कांगड़ा घाटी भी 1857 के विद्रोह की धरती रही है।
इस मौके पर राजकीय कन्या महाविद्यालय की एनसीसी विंग की एसोसिएट प्रोफेसर कैप्टन लक्ष्मी ने प्रतिभागियों को नेशनल कैडिट कॉर्प यानी एनसीसी की नेशन बिल्डिंग में क्या भमिका है, विषय पर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एनसीसी में छात्रों को अनुशासन, भाईचारा और जाति मजहब से ऊपर उठ कर देश सेवा करने का प्रशिक्षण दिया जाता है।
वेबीनार के अंत में पीआईबी शिमला के उप निदेशक श्री तारीक राथर ने हिमाचल प्रदेश के स्वतंत्रता इतिहास से जुड़ी अहम जानकारी के लिए प्रो. ओपी शर्मा और एनसीसी के बारे में बताने के लिए कैप्टन लक्ष्मी को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि आजादी के संग्राम की कहानियां हमें भी देश के लिए कुछ कर गुजरने की प्ररेणा देती हैं।
कार्यक्रम का संचालन फील्ड आउटरीच ब्यूरो शिमला के प्रभारी अनिल दत्त शर्मा ने किया। वेबीनार में विभिन्न कॉलेजों के छात्र-छात्राओं, अध्यापकों और रीजनल आउटरीच ब्यूरो चंडीगढ़ के कई पदाधिकारियों ने भाग लिया।