शिमला, 10 सितंबर। हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने राज्य के घरेलू, व्यावसायिक, औद्योगिक बिजली उपभोक्ताओं को एक और बड़ा झटका दिया है। इस संबंध में सदन ने मंगलवार को हिमाचल प्रदेश विद्युत (शुल्क) अधिनियम, 2009 (2009 का अधिनियम संख्यांक 13) का और संशोधन करने के लिए लाए गए विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया। इस संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद बिजली उपभोक्ताओं पर दूध उपकर और पर्यावरण उपकर लगेगा। इसका असर प्रदेश के सभी वर्गों के बिजली उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। संशोधनों को उचित ठहराते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार ने पहले शराब पर लगाए गए दूध उपकर से 130 करोड़ रुपये कमाए हैं। सुक्खू ने कहा कि सरकार पहले की व्यवस्था में बदलाव लाने की कोशिश कर रही है, जहां कई मुफ्त चीजें दी जाती थीं। अब सरकार आम आदमी पर बोझ डाले बिना राजस्व बढ़ाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि दुग्ध उत्पादकों की आर्थिकी को मजबूत करने और किसानों के उत्थान के लिए बिजली पर दूध उपकर लगाया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वहीं, पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने और स्वच्छ पर्यावरण सुनिश्चित करने के लिए उद्योगों पर पर्यावरण उपकर लगाया गया है। उन्होंने कहा कि इन दोनों उपकरों को लगाने से एकत्र की गई राशि को इन निर्दिष्ट उद्देश्यों के लिए उपयोग करने के लिए बिजली विभाग के पास जमा किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे पहले शराब की बोतल पर 10 रुपये का दूध उपकर लगाया जा रहा था, लेकिन अब बिजली खपत पर उपकर लगाया गया है। उन्होने कहा कि यह बहुत मामूली पर्यावरण उपकर है, जिसका किसी पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि छोटी औद्योगिक इकाइयों के लिए दो पैसे, मध्यम के लिए चार पैसे, बड़ी औद्योगिक इकाइयों पर 10 पैसे, स्टोन क्रशर के लिए दो रुपये और इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने पर छह रुपये उपकर के रूप में लिए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की वित्तीय सेहत सुधारने के लिए यह वृद्धि किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि 2032 तक हिमाचल को देश का सबसे समृद्ध राज्य बनाने के प्रयास किए जाएंगे। हम वनों की सुरक्षा के लिए ग्रीन बोनस की मांग करेंगे, लेकिन हमें हर साल अक्टूबर से मार्च तक सात रुपये प्रति यूनिट बिजली खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ता है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि जब से सरकार बनी है, तभी से गरीबों पर बोझ डालने का काम किया गया है। उन्होंने कहा कि डीजल की कीमतों में सात रुपये की बढ़ोतरी की गई और 125 यूनिट मुफ्त बिजली बंद कर दी गई, जबकि कांग्रेस ने 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा किया था। जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि राज्य की वित्तीय हालत खराब है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सरकार आम आदमी पर बोझ डाले। उन्होंने कहा कि सरकार ने नल से पानी का शुल्क 10 रुपये से बढ़ाकर 100 रुपये कर दिया है, जो पूरी तरह से गलत है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने समाज के किसी भी वर्ग पर आर्थिक बोझ डाला है। विपक्ष के नेता ने कहा कि हिमाचल में बहुत अच्छी कनेक्टिविटी नहीं है, लेकिन सुनिश्चित बिजली सबसे बड़ा आकर्षण है। उन्होंने कहा कि हम बिजली अधिशेष वाले राज्य हैं और इसके बावजूद पंजाब, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में बिजली सस्ती है, तो कोई हिमाचल क्यों आएगा। उन्होंने कहा कि यह संशोधन राज्य को लाभ पहुंचाने के बजाय नुकसान पहुंचाएगा। विधायक बिक्रम सिंह, विधायक रणधीर शर्मा और विधायक राकेश जम्वाल ने संशोधन पर बोलते हुए मुख्यमंत्री से कुछ और संशोधन करने और पहले से ही बढ़ी हुई बिजली दरों से जूझ रहे लोगों पर बोझ न डालने का आग्रह किया। हिमाचल के लोग अमीर, लेकिन हिमाचल सरकार गरीब – सुक्खू मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि हिमाचल के लोग अमीर है, लेकिन हिमाचल सरकार गरीब है। उन्होंने बिजली पर उपकर बढ़ाने को लेकर लाए गए विपक्ष के संशोधनों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकार आमदनी बढ़ाने का काम कर रही है, लेकिन नेता प्रतिपक्ष गुस्सा हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार बिगड़ी अर्थव्यवस्था को ठीक कर रही है और बिजली उपकर लगाए जाने के बावजूद हिमाचल में बिजली पड़ोसी राज्य पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड की तुलना में एक रुपए सस्ती है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार की मानसिकता ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की है। उन्होंने कहा कि सरकार बिजली पर उपकर लगाकर किसानों को दी गई दूध की कीमत बढ़ाने की गारंटी को पूरा करने में सक्षम हो सकेगी।