राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा 

राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा 

संस्थान डी नोटिफाई करने पर विपक्ष ने सरकार को घेरा

अभिभाषण में कोई रोड मैप या विज़न नहीं: परमार

सत्ता पक्ष की विपक्ष को 6 माह तक संयम बरतने की सलाह

शिमला, 06 जनवरी हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार द्वारा प्रदेश में लगभग 900 संस्थान डिनोटिफाई करने के मुद्दे पर आज विधानसभा में विपक्षी दल भाजपा ने सरकार पर जोरदार हमले बोले। विपक्ष ने बीते रोज सदन में सरकार की ओर से राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर द्वारा दिए गए अभिभाषण को रोड मैप रहित और दिशाहीन करार दिया और कहा कि इसमें कोई विजन नहीं हैै। वहीं, दूसरी ओर सत्तापक्ष ने सरकार के फैसलों का बचाव किया और कहा कि भाजपा छह माह तक संयम रखे तथा सरकार की कार्यशैली को देखे। राज्यपाल के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा शुरू करते हुए कांग्रेस विधायक संजय रतन ने भाजपा को रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाने और सकारात्मक सुझाव देने की सलाह दी, ताकि सरकार उन पर अमल कर सके। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार हर वह कार्य करेगी, जो प्रदेशहित में होगा। उन्होंने सरकार द्वारा लगभग 900 संस्थानों को डिनोटिफाई करने के फैसले का बचाव किया और कहा कि पूर्व सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम वर्ष में कई ऐसे संस्थान खोल दिए, जिनका फायदा होने के बजाय लोगों को नुकसान हुआ। संजय रतन ने कहा कि सरकार ने ऐसे संस्थान खोलने के लिए जनता के पैसे का दुरुपयोग किया। इसके बावजूद भाजपा चुनाव हार गई। उन्होंने पूछा कि ऐसी क्या जरूरत पड़ी की आखिरी साल में सरकार ने इतनी बड़ी संख्या में संस्थान खोल दिए। उन्होंने अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के कार्य को निलंबित करने के फैसले को भी सही करार दिया और कहा कि यह संस्थान भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद का अड्डा बन गया था। संजय रतन ने आपातकाल के दौरान जेलों में बंद लोगों को पूर्व सरकार द्वारा सम्मान राशि के रूप में दी जा रही पेंशन को तुरंत बंद करने की मुख्यमंत्री से अपील की। उन्होंने पूर्व सरकार पर कांगड़ा के साथ भेदभाव करने और प्रदेश में क्षेत्रवाद की राजनीति को बढ़ावा देने का आरोप भी लगाया और कहा कि पूर्व सरकार ने महंगाई नियंत्रित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए और न ही कर्मचारियों के हितों की रक्षा की। उन्होंने पूर्व सरकार पर बेरोजगारों के साथ मजाक करने का भी आरोप लगाया।
कांग्रेस के चंद्रशेखर ने धन्यवाद प्रस्ताव का अनुमोदन करते हुए सरकार से प्रदेश में सभी मनरेगा जॉबकार्ड होल्डर को 120 दिन का रोजगार देने की मांग की। उन्होंने केंद्र सरकार पर मनरेगा को कमजोर करने का आरोप लगाया। उन्होंने जल जीवन मिशन और बागवानी मिशन में पूर्व भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और कहा कि इन दोनों मिशन के तहत हुए कार्यों की जांच होनी चाहिए। उन्होंने कोरोना काल में जलशक्ति विभाग में गाड़ियों की मूवमेंट की भी जांच की मांग की। भाजपा सदस्य विपिन सिंह परमार ने प्रदेश सरकार द्वारा पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल में खोले गए संस्थानों को डिनोटिफाई करने के फैसले का कड़ा विरोध किया और सरकार से अपने इस फैसले पर फिर से विचार करने की अपील की। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार ने ये संस्थान खोलकर लोगों को सुविधा प्रदान की, लेकिन मौजूदा कांग्रेस सरकार इसे चाबुक मारकर वापस लेने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा इस मुद्दे पर सदन में भी उठाएगी और सड़क पर भी। उन्होंने सरकार द्वारा सुंदरनगर के डैहर में 1952 में खुली 70 साल पुरानी पुलिस चौकी को बंद करने पर भी हैरानी जताई और अधिकारियों को सरकार को सही सूचनाएं देने की सलाह दी। परमार ने कहा कि कांग्रेस ने अपने प्रतिज्ञा पत्र में सरकार बनने पर 10 दिनों के भीतर ओपीएस लागू करने, एक लाख रोजगार का प्रावधान करने और प्रदेश की 18 साल से 60 वर्ष तक की महिलाओं को 1500 रुपए प्रतिमाह भत्ता देने का वादा किया था। उन्होंने पूछा कि अब इन वादों का क्या हुआ, क्योंकि सरकार को बने एक महीने का समय होने जा रहा है। परमार ने कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण में कोई रोड मैप अथवा विजन नहीं है और कहा कि राज्यपाल ने मजबूरी में इस अभिभाषण को पढ़ा और निराश नजर आए। उन्होंने कहा कि कार्यशैली से कुछ ही दिनों में प्रदेश के लोग उकता चुके हैं और अब ”सुक्खू मामा मन्नी जा, ओपीएस ते 1500 रुपए देई जा, कन्ने दो रुपए किलो गोबर लेई जा” जैसे नारे खुलेआम लगा रहे हैं।
कांग्रेस सदस्य विक्रमादित्य सिंह ने विपक्ष को अपने राजनीतिक चश्मे को हटाकर सुक्खू सरकार द्वारा प्रदेश हित में लिए जा रहे निर्णयों की सराहना करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्यपाल का अभिभाषण उन्हीं अफसरों ने तैयार किया है, जो पूर्व भाजपा सरकार में अहम पदों पर तैनात थे। इसलिए भाजपा को अधिकारियों की बुद्धिमता पर संदेह नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश पर 70 हजार करोड़ रुपए से अधिक के कर्ज में से 25 हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज केवल पूर्व जयराम ठाकुर सरकार ने ही लिया है। ऐसे में भाजपा को सुक्खू सरकार से सवाल करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि कहा कि प्रदेश की जनता ने भाजपा को नकार दिया है। इसलिए अगले छह माह तक भाजपा विधायक विधानसभा में मौन व्रत रखकर आएं और हमारी कार्यशैली देखें। उन्होंने पूछा कि पूर्व सरकार के कार्यकाल में हुए पुलिस भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच आज तक क्यों नहीं हुई और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के ड्रीम प्रोजेक्ट ग्रीन फील्ड हवाई अड्डे का क्या हुआ। भाजपा विधायक सुखराम चौधरी ने सत्ता पक्ष को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में सरकार के गठन के बाद 10 दिन में ओपीएस लागू करने की घोषणा की थी। 18 से 60 साल की महिलाओं को हर माह 1500 रुपए, 2 रुपए किलो गोबर खरीद के साथ-साथ कई  अन्य वायदे किए। हैरानी की बात तो यह है कि सरकार ने संस्थानों को बंद करने की कमेटी तो बना दी मगर गोबर खरीद के लिए नहीं। उन्होंने कहा कि हिमाचल के लोग इंतजार कर रहे हैं। महिलाओं को 1500 रुपए  हर माह देने के लिए 4 हजार करोड़ सालाना चाहिए। उन्होंने कहा कि रेणुका, शिलाई तथा भरमौर विधानसभा क्षेत्रों के लोगों को बिजली बोर्ड के डिवीजन में काम के लिए मीलों सफर कर आना पड़ता है मगर सरकार ने इन इलाकों में संस्थानों को बंद कर दिया। उन्होंने उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री से कांग्रेस सरकार के वक्त अप्रैल से नवंबर 2017 तक खोले संस्थानों का ब्यौरा प्रस्तुत करने को कहा। साथ ही यह भी जानना चाहा कि इनमें से कितने संस्थान सरकार ने बंद किए है। सुखराम चौधरी ने संस्थानों को बंद करने के फैसले पर दोबारा विचार करने की बात सदन में कही। कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी ने कहा कि पूर्व सरकार ने संवैधानिक रूप से चुने गए लोगों को नजरअंदाज करके ऐसे लोगों को बढ़ावा दिया जिनका संविधान में कोई अधिकार नहीं था। ऐसे हारे नकारे लोगों को जयराम सरकार ने बढ़ावा दिया, जिसका खामियाजा यह हुआ कि आज भाजपा को जनता ने विपक्ष बैठा दिया है। उन्होंने पूर्व सरकार पर जनजातीय क्षेत्र के विधायकों के साथ अन्याय का आरोप लगाया और यह भी कहा कि पूर्व सीएम जयराम ठाकुर सत्ता के नशे में चूर थे। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार ने 900 संस्थान खोले, फिर भी उनके 9 मंत्री शहीद हो गए। वर्तमान सरकार इन सभी संस्थानों को पूरी जस्टीफिकेशन के साथ खोलेगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार विधायकों के सम्मान को लौटाते हुए उन्हें भी उनका प्रतीक चिन्ह वापिस करेगी। उन्होंने विपक्ष पर विधायकों के शपथ ग्रहण को रोकने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जो विपक्ष संविधान और नियमों की बात कर रहा है उसने गैर जिम्मेदाराना हरकत की है जो इतिहास में दर्ज होगी।
चर्चा में हिस्सा लेते हुए भाजपा सदस्य रणधीर शर्मा ने कहा कि संस्थान बंद करने के मुद्दे पर सरकार को प्रदेश की जनता को जवाब देना होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार पहले ही दिन से बदला-बदली की भावना से काम कर रही है। उन्होंने कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह पर रजवाड़ाशाही मानसिकता का आरोप लगाया और सरकार कोे डिनोटिफाई की मुहिम बंद कर विकास कार्यों पर ध्यान देने की सलाह दी। कांग्रेस के इंदद्रत लखनपाल ने कटाक्ष करते हुए कहा कि भाजपा को अभी भी विश्वास नहीं हो पा रहा कि वह विपक्ष में आ गई है। उऩ्होंने कहा कि भाजपा जो सुझाव आज कांग्रेस को दे रही है, यदि उन पर खुद अमल किया होता तो आज विपक्ष में न होती। उन्होंने सीमेंट विवाद जल्द सुलझा लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि सरकार लोगों से गोबर खरीदेगी और उसका पूरा पैसा भी देगी।
भाजपा के डॉ. हंस राज ने कहा कि सरकार के व्यवस्था परिवर्तन के नारे पर कटाक्ष करते हुए कहा कि इसका मतलब गरीबों और वंचितों को सड़कों पर उतारना नहीं है। उन्होंने उम्मीद जताई कि व्यवस्था परिवर्तन का प्रदेश के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के विधायकों के साथ भी न्याय होगा और उन्हें कम महत्व का मंत्रालय नहीं दिया जाएगा। हंस राज ने अपने चुनाव क्षेत्र में बिजली बोर्ड का मंडल कार्यालय बंद करने पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि यदि ये कार्यालय खोलकर आजादी के 75 सालों में पहली बार चुराह के साथ न्याय हुआ था तो क्या गलत हुआ था। उन्होंने आकांक्षी जिला चंबा को सरकार से विशेष महत्व देने की मांग की, ताकि इस जिला को भी विकास के मामले में अन्य जिलों के समान खड़ा किया जा सके। कांग्रेस विधायक केवल सिंह पठानिया ने पूर्व भाजपा सरकार द्वारा प्रदेश के नौजवानों और बेरोजगारों के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया। इसी दल के सुरेश कुमार ने भी चर्चा में हिस्सा लिया।