साइबर थाना पुलिस को मिली 6 माह में 1800 शिकायतें

साइबर थाना पुलिस को मिली 6 माह में 1800 शिकायतें

शातिर साइबर अपराधी लोगों को फंसा रहे अपने जाल में

शिमला, 4 जुलाई। हिमाचल प्रदेश में साइबर क्राइम के बढ़ते मामले चिंता का विषय बन गए हैं। इस वर्ष 6 माह में साइबर अपराध से जुड़ी करीब 1800 शिकायतें साइबर थाना पुलिस शिमला को प्राप्त हुई हैं। इन शिकायतों का विशलेण करने पर पाया गया कि साइबर आपराधी लोगों से वॉयस कॉल एवं सोशल मीडिया के माध्यम से संपर्क कर रहे हैं। इसके तहत शातिर अपराधी यह कहकर लोगों को अपने झांसे में लेते हैं कि आपके मोबाईल नंबर की केवाईसी  को अपडेट करना आवश्यक है अन्यथा सिम बंद हो जाएगा। इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए शातिर साइबर अपराधी सोशल इंजनियरिंग स्किल का उपयोग करते हैं और लोगों को झांसे में लेकर उनके मोबाईल फोन का रिमोर्ट एक्सेस लेने के लिए टीम व्यूअर या ऐनी डेस्क जैसे अन्य एप्प को डाउनलोड करने के लिए कहते हैं। जैसे ही यह प्रक्रिया पूरी होती है तो साईबर अपराधी न्यूनतम 10 रुपए टेलिफोन सर्विस प्रोवाईडर के खाता में ट्रांसफर करने को कहते हैं, उसके पश्चात जैसे ही यह प्रक्रिया होती है साईबर आपराधी व्यक्ति के बैंक खाता का एक्सेस लेकर उनके खाता से धन राशि चंद मिनटों में ही अपने खाता में ट्रांसफर कर लेते हैं।

जांच में यह भी सामने आया है कि शातिर आरोपी सोशल मीडिया अंकाउट, फेसबुक, मैसेंजर, इंस्टाग्राम एवं व्हट्सएप से फेक अकाउंट के माध्यम से भी वीडियो कॉल करके पुरुष व महिलाओं को चैट करने के लिए आग्रह करते हैं। इसके बाद वे नग्न फोटाग्राफ्स व वीडियो शेयर करने को कहते हैं तथा बाद में फोटो व वीडियो को एडिट करके पैसों की मांग करते हैं। इस तरह की शिकायतें भी साइबर थाना पुलिस को लगातार मिल रही है।

साइबर थाना पुलिस के सुझाव

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अजनबियों की फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार करने से पहले सतर्क  रहे। अजनबियों के साथ वीडियो चैट में शामिल न हों। ब्लैकमेल के आगे न झुकें और कभी भी पैसे न दें। नकली प्रोफाइल पर दिखाए गए फोन नंबरों पर विश्वास न करें। अपने डिवाइस में एंटी वायरस और ऑपरेटिंग सिस्टम को अपडेट रखें। संदिग्ध वेब लिंक/यूआरएल खोलते समय सावधान रहें। अपना पासवर्ड/ पिन गोपनीय रखें। पासवर्ड समय-समय पर बदलते रहें और एक ही पासवर्ड को कई खातों में इस्तेमाल न करें।