सहकारी सोसायटियों पर नकेल कसेगी सरकार
शिमला, 29 जून। हिमाचल प्रदेश में सहकारिता कानून को नजरअंदाज कर समय पर चुनाव न करवाने वाली सहकारी सोसायटियों पर नकेल कसेगी। सहकारिता विभाग के मंत्री सुरेश भारद्वाज ने पंजीयक सहकारी सभाओं से ऐसी सोसायटियों का रिकार्ड तलब किया है जिनके चुनाव समय पर नहीं हो रहे। समय पर चुनाव न होने से न सिर्फ सहकारिता आंदोलन अर्थात लोकतांत्रिक परंपराओं का हनन हो रहा है, बल्कि सोसायटियों का कारगुजारियों में पारदर्शिता को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
प्रदेश में सैंकड़ों सहकारी सोसायटियां पंजीकृत हैं। सहकारिता नियमों के तहत इनमें सोसायटी के संविधान के प्रावधान के मुताबिक एक अथवा दो साल में चुनाव होने चाहिए। हालांकि केंद्र सरकार ने 97 वां संविधान संशोधन कर सहकारी सोसायटियों का कार्यकाल 3 साल तय कर रखा है। मगर इसके लिए सोसायटियों को अपने संविधान तथा इसके उप नियमों में संशोधन करना आवश्यक है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक संविधान व उप नियमों में संशोधन के बगैर ही सहकारिता के जन्मदाता हिमाचल में सोसायटियां समय पर चुनाव नहीं करवा रही। नतीजतन इनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक कई सोसायटियों में तो कोरम के अभाव में ही फैसले भी लिए जा रहे हैं। कोरम के अभाव में लिए गए फैसलों पर सवाल उठाने वाले सदस्यों के खिलाफ कर्ताधर्ता स्वेच्छा से तुगलकी फरमान जारी कर कार्रवाई करने की बात करते हैं। खासतौर पर कोरम के अभाव में लिए गए वित्तीय फैसलों पर कई सोसायटियों में सवाल उठे हैं।