कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर का 16वां दीक्षांत समारोह
राज्यपाल व मुख्यमंत्री ने पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय की उपलब्धियों को सराहा
शिमला, 23 अगस्त। जिला कांगड़ा के चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर का 16वां दीक्षांत समारोह आज आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने की जबकि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में उपस्थित हुए।
राज्यपाल ने अपने संबोधन में युवा विज्ञानियों और डिग्रीधारकों से अपील की कि वे रोजगार की तलाश के बजाय रोजगार प्रदात्ता बनें। इसके लिए उन्हें स्वरोजगार की राह पर आगे बढ़ना चाहिए। उनके ज्ञान का लाभ समाज, विशेषकर कृषि समुदाय को मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक योगदान के अलावा, वे राज्य के कृषि क्षेत्र में भी योगदान दें। युवा देश की सम्पदा हैं और उन्हें राष्ट्र निर्माण की गतिविधियों में भाग लेना चाहिए।
आर्लेकर ने कहा कि अनुसंधान और तकनीक के माध्यम से नवाचार बड़े पैमाने पर कृषि समुदाय को आत्मनिर्भर बनाने में सहायक सिद्ध होगा। राज्यपाल ने स्वर्ण पदक विजेताओं, सभी डिग्रीधारकों और पूर्व विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार द्वारा 1 नवम्बर, 1978 को विश्वविद्यालय के रूप में रोपा गया यह पौधा आज देश में उच्च शिक्षा का केंद्र बन गया है। शांता कुमार की इस परिकल्पना को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है और इस दिशा में योगदान देना हम सबकी जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय शिक्षा, अनुसंधान और प्रसार की दिशा में अपनी भूमिका बखूबी निभा रहा है। पिछले साल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् ने इस विश्वविद्यालय को देश के सभी कृषि विश्वविद्यालयों और समकक्ष कृषि संस्थानों में 14वें स्थान पर आंका, जिसके लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन बधाई का पात्र है। उन्होंने विश्वविद्यालय को और अधिक कार्य करने की सलाह दी ताकि यह विश्वविद्यालय देश में सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर सके। राज्यपाल ने कहा कि स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थी समाज, राष्ट्र और राज्य के लिए समर्पण की भावना से कार्य करें। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी विश्वविद्यालय से अर्जित शिक्षा और ज्ञान का भरपूर उपयोग करें।
मुख्यमंत्री ने दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय देश के हिमालयी राज्यों के कृषि अनुसंधान और शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी विश्वविद्यालयों में एक है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश की 90 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती जिसका मुख्य व्यवसाय कृषि है। इसलिए प्रदेश की आर्थिकी को सुदृढ़ करने के लिए कृषि क्षेत्र में अनुसंधान और अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के बिना प्रदेश के विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। कृषि के इस योगदान को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार ने उत्पादन में सुधार, रोजगार के अवसर सृजित करने और परिवार की आय को बढ़ाने के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री देश के कृषक समुदाय के कल्याण के लिए चिन्तित हैं और महामारी के दौरान विशेषकर किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से किसान सम्मान निधि योजना शुरू की गई है। इस योजना के अन्तर्गत राज्य के 9.32 लाख किसानों को 1 हजार 350 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। प्रदेश सरकार रसायनों के न्यूनतम प्रयोग व कम निवेश से किसानों की आय को बढ़ाने के लिए प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना का क्रियान्वयन कर रही है। प्रदेश के सभी जिलों में जिका परियोजना क्रियान्वित की जा रही है जिससे फलों और सब्जियों के अंतर्गत क्षेत्र बढ़ा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने फसलों को बन्दरों, जंगली जानवरों और बेसहारा पशुओं से बचाने के लिए मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना शुरू की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश ने पूर्ण राज्यत्व के 51वें वर्ष में प्रवेश किया है। उन्होंने विश्वविद्यालय को कृषि क्षेत्र में प्रदेश की यात्रा को प्रदर्शित करने के लिए एक कार्यक्रम आयोजित करने का सुझाव दिया।