नियंत्रक महालेखा परीक्षक ने हिमाचल सरकार के वित्तीय प्रबंधन की पोल खोली
बीते सालों में विधायिका से मंजूर बजट राशि से अधिक रकम खर्च की सरकार ने
शिमला, 5 अप्रैल। नियंत्रक महालेखा परीक्षक ने हिमाचल सरकार के वित्तीय प्रबंधन की पोल खोल कर रख दी है। नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सरकार ने बीते सालों में विधायिका से मंजूर बजट राशि से अधिक रकम खर्च की। सरकार ने 13 अनुदानों एवं दो विनियोजनों में विधान सभा से मंजूर बजट राशि से 1782.17 करोड़ की अधिक राशि खर्च की। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय साल 2014-15 से 2020-21 तक सदन की मंजूरी के बगैर खर्च किए गए 8818.47 करोड़ की राशि का विधायिका से विनियमन करवाना अपेक्षित था। रिपोर्ट में कहा गया है कि कई मामलों में सरकार मूल बजट को भी खर्च नहीं कर सकी, मगर अनुपूरक बजट में अनुदानों के लिए अतिरिक्त धन का प्रावधान किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को आगामी दस सालों में 61 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज चुकाना है। आय के साधन न बढऩे की स्थिति में प्रदेश की अर्थव्यवस्था कर्ज के मक्कडज़ाल में फंसेगी।
बुधवार को प्रदेश विधान सभा में कैग की वित्तीय वर्ष 2021-22 की रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट के मुताबिक 11 अनुदानों के तहत 13 मामलों में 647.13 करोड़ के अनुपूरक प्रावधान अनावश्यक साबित हुए। जाहिर है कि सरकार ने अनुपूरक बजट में इस राशि का प्रावधान कर लिया , मगर वास्तविक खर्च मूल बजट तक भी नहीं पहुंचा।
कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि माली साल 2021-22 के अंत में ही बजट में आवंटित राशि के खर्च की रफ्तार बढ़ी। माली साल की अंतिम तिमाही में 6 अनुदानों में 50 से 71 फीसद तक का खर्च हुआ। दिलचस्प बात तो यह है कि माली साल के अंतिम माह मार्च में 12 से 65 फीसद खर्च किया गया।नियंत्रक महालेखा परीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सरकार ने घाटे से उबरने के उपायों एवं ऋण स्तर के संबंध में राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम में संशोधन नहीं किया। कैग ने रिपोर्ट में इस बात पर हैरानी जताई है कि 2020-21 में 97 करोड़ का राजस्व घाटा 2021-22 में 1115 करोड़ के सरप्लस में तब्दील हो गया । जबकि 2020-21 में 5245 करोड़ का राजकोषीय घाटा 455 करोड़ घट गया। सरकार का प्राथमिक घाटा 2020-21 के 1228 करोड़ से कम हो कर 2021-22 में महज 604 करोड़ रह गया।
कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि माली साल 2021-22 में राज्य सरकार की राजस्व प्राप्तियों में बीते माली साल के मुकाबले 3871 करोड़ की वृद्धि हुई। राजस्व प्राप्तियों में बढ़ोतरी की वजह केंद्रीय करों एवं शुल्क के एवज खजाने में आने वाली 2595 करोड़ से अधिक अर्थात 54 फीसद राशि है। अन्यथा सरकार का स्व कर राजस्व 1631.27 करोड़ और गैर कर राजस्व 423.90 करोड़ रहा।
वित्तीय वर्ष 2021-22 के अंत तक सरकार पर ब्याज सहित 68630 करोड़़ के कर्ज का बोझ था। इसमें 45297 करोड़ मूलधन व 23333 करोड़ ब्याज की रकम शामिल है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आगामी पांच सालों के भीतर सरकार को 27677 करोड़ का कर्ज चुकाना है। 34001 करोड़ का कर्ज 5सालों के बाद चुकाना होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2026-27 तक सरकार को हर साल कर्ज के भुगतान पर 6926 करोड़़ की रकम खर्च करनी होगी। जाहिर है कि इन सालों में सरकार को आय के संसाधन तलाशने होंगे अन्यथा अर्थव्यवस्था पर दबाव लगातार बढ़ेगा।