हिमाचल प्रदेश में चल रही है पल-पल पलटू राम की सरकार
अफसरशाही के शिकंजे में है मुख्यमंत्री: जयराम ठाकुर
शिमला, 26 अक्तूबर। हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सूक्खु सरकार द्वारा राज्य के विभिन्न विभागों और सार्वजनिक उपक्रमों में खाली पड़े 50000 से अधिक पदों को समाप्त करने की अधिसूचना जारी किए जाने पर प्रदेश में राजनीतिक घमासान मच गया है। सरकार के इस फैसले के खिलाफ विपक्ष खासकर भाजपा ने तेवर तीखे कर लिए हैं और सरकार पर चौतरफा हमले की बौछार कर दी है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने शनिवार को शिमला में एक पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश में पल-पल पलटू राम की सरकार चल रही है।उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सूक्खु पूरी तरह से अवसरशाही के शिकंजे में है और उन्हें पता ही नहीं चल रहा है कि क्या फैसले लेने हैं। उन्होंने दावा किया कि सूक्खु अफसरशाही के आगे विवश हो गए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश में व्यवस्था परिवर्तन के बजाय व्यवस्था पतन का कार्य चल रहा है। ऐसा हिमाचल के इतिहास में पहली बार हुआ है जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। जयराम ठाकुर ने कहा कि ऐसा लगता है कि हिमाचल प्रदेश में सिर्फ एक ही व्यक्ति समझदार रह गया है और वह है मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सूक्खु। उन्होंने आरोप लगाया कि सूक्खु अपने आप को ज्ञान का भंडार समझते हैं, लेकिन ऐसा है नहीं। नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री दोनों को सलाह दी की वह सरकार के नीतिगत फैसलों पर बोलने से पहले पढ़कर आएं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस प्रदेश में विधानसभा चुनाव में युवाओं को 5 साल में 5 लाख नौकरियां देने की गारंटी पर सत्ता में आई थी और सरकार ने 1 साल में एक लाख नौकरियां देने का वादा किया था। ऐसे में सरकार को एक साल में डेढ़ लाख नौकरियां देनी थी। उन्होंने कहा कि सरकार को बने अब 2 साल होने वाले हैं। ऐसे में सरकार प्रदेश की जनता को अब तक दी गई नौकरियों का सही आंकड़ा बताए। उन्होंने दावा किया कि प्रदेश में वास्तव में नाममात्र की नौकरियां दी गई है और ये वही नौकरियां हैं जिनकी भर्ती प्रक्रिया पूर्व भाजपा सरकार के समय आरंभ हो गई थी। जयराम ठाकुर ने दावा किया कि प्रदेश में 50000 से अधिक नौकरियां खत्म करने के लिए जारी की गई नोटिफिकेशन में जिन नौकरियों को खत्म किया गया है उन्हें बजट बुक से भी खत्म कर दिया गया है। उन्होंने सरकार के इस फैसले को राज्य के युवाओं के साथ खिलवाड़ कर दिया और कहा कि सरकार के इस फैसले के बाद प्रदेश में भविष्य में युवाओं को सरकारी क्षेत्र में नौकरियां मिलने की बिल्कुल भी संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार गलतियां खुद कर रही है और उसका दोष दूसरों को दे रही है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हिमाचल में सरकारी विभागों और उपक्रमों में खाली पड़े पदों को समाप्त करने की नहीं बल्कि मुख्यमंत्री द्वारा लगाए गए मुख्य संसदीय सचिवों, अध्यक्षों, अध्यक्षों, उपाध्यक्ष और कैबिनेट रैंक के सलाहकारों के पद समाप्त करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यदि मुख्यमंत्री अपने विवेक से फैसले लेने में नाकाम है तो उन्हें अपने सलाहकारों से सलाह ले लेनी चाहिए क्योंकि सरकार इन सलाहकारों पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। जयराम ठाकुर ने कहा कि सूक्खु को सब कुछ बंद करने का जुनून चढ़ा है। वह चले हुए काम बंद कर रहे हैं। सरकार द्वारा लगभग 1000 संस्थानों को बंद करना इसका ताजा उदाहरण है। जयराम ठाकुर ने कहा कि सुक्कू सरकार ने जिन 50000 से अधिक पदों को खत्म करने के लिए नोटिफिकेशन जारी की है उन पदों का राज्य पर कोई वित्तीय भोज नहीं है क्योंकि यह पत्र पहले से ही खाली है और स्वीकृत पद हैं जिनके लिए बजट में पैसे का प्रावधान होता है उन्होंने कहा कि भाजपा को प्रदेश के बेरोजगारों के बीच ले जाएगी और सरकार के खिलाफ खड़ा करेगी। बॉक्स हरियाणा में जीत की बचत सूक्खु भी नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा की दमदार जीत की एक बहुत बड़ी वजह प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सूक्खु के फैसले भी रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल में कांग्रेस झूठी गारंटियां देकर सत्ता में आए और फिर इन गारंटियों को पूरा नहीं कर पाए। यही नहीं चुनाव से ठीक पहले सूक्खु सरकार द्वारा लिए गए जन विरोधी निर्णयों का सीधा असर हरियाणा के मतदाताओं पर पड़ा और उन्होंने सही फैसला लेते हुए भाजपा को लगातार तीसरी बार सत्ता सौंपी। उन्होंने दावा किया कि हरियाणा कांग्रेस द्वारा पार्टी हाई कमान को सौंपी गई रिपोर्ट में हरियाणा में कांग्रेस की हार की एक बड़ी वजह हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह को बताया गया है और उनके खिलाफ रिपोर्ट में अनेक विपरीत टिप्पणियां की गई हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा ने भी हरियाणा विधानसभा चुनाव में सूक्खु सरकार द्वारा लिए गए जनविरोधी फैसलों को जोर जोर से उठाया और कांग्रेस की झूठी गारंटियों से भी मतदाताओं को अवगत करवाया जिसका परिणाम भाजपा की जीत के रूप में निकला।