संदीप उपाध्याय
शिमला. भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस का दम भरने वाली मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरती जा रही है। भ्रष्टाचार के आरोप सरकार के मंत्रियों पर लगातार लग रहे हैं। पहले सरकार में कांगड़ा जिला से मंत्री पर जमीन खरीदी में भ्रष्टाचार के आरोप लगे तो अब मंडी जिले से सरकार में जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। कांग्रेस के सीनियर नेता और पूर्व मंत्री कौल सिंह ने जल शक्ति मंत्री पर आरोप लगाया कि उन्होंने 175 करोड़ के पाइप बिना टेंडर के ही खरीद लिए हैं। सरकारी सिस्टम में ऐसा होना नियमों के खिलाफ हैं। सरकार में हर खरीदी के लिए टेंडर प्रक्रिया होती है जिसमें निर्धारित मापदंडों को पूरा करने वाला और सस्ते दामों पर टेंडर भरने वाले से ही खरीददारी की जाती है। कांग्रेस नेता के यह आरोप यदि सत्य हैं तो फिर इसमें बड़े घोटाले की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता क्योंकि खरीददारी के आरोप 175 करोड़ रुपए के हैं। पूर्व मंत्री ने यह भी आरोप लगाया है कि जयराम सरकार में भ्रष्टाचार को दबाने का प्रयास किया जाता है।
सरकार के जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह बहुत की शक्तिशाली माने जाते हैं और मुख्यमंत्री के खास भी हैं। राजनीति में बहुत सीनियर होने के कारण उनके पास बहुत ही महत्वपूर्ण महकमें हैं और वह मुख्यमंत्री के बाद नंबर टू के मंत्री माने जाते हैं। सरकार में उनकी शक्ति का अहसास तब भी हुआ जब सरकार ने मंत्रियों के विभागों में फेरबदल किया लेकिन महेंद्र सिंह के कोई विभाग नहीं बदले गए बल्कि एक और महत्वपूर्ण राजस्व विभाग भी सौंप दिया गया। जिससे वह सरकार में शक्तिशाली मंत्री के रुप में भी पहचाने जाते हैं।
जलशक्ति मंत्री पर इससे पहले भी कोरोना संकट काल में महंगी गाड़ी खरीदने के आरोप लगे थे। मंडी जिले में जलजीवन मिशन के तहत 25 लाख से अधिक कीमत की गाड़ी विभाग के अधिकारी के नाम खरीदी गई और गाड़ी के लिए वीआईपी नंबर भी 1 लाख में लिया गया। समाचार पत्रों में खबर प्रकाशित होने के बाद विवाद तो गहराया लेकिन सत्ता पक्ष की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया। गाड़ी खरीदने के मामले में भी आरोप है कि इसके टेंडर बाद में किए गए और गाड़ी पहले खरीद ली गई। यह भी आरोप हैं कि 25 लाख की सरकारी गाड़ी का उपयोग मंत्री जी के बेटे करते हैं लेकिन बेटे ने सफाई देते हुए कहा था कि मंत्री जी के ओएसडी क्षेत्र में रहकर गाड़ी का उपयोग करते हैं और वह उसके साथ बैठ जाते हैं। खैर मंत्री जी के बेटे उपयोग करते हैं या नहीं लेकिन कोरोना संकट काल में महंगी गाड़ी खरीदने पर ही सवाल उठ रहे हैं।
मंत्री जी पर लगे पाइप खरीद और गाड़ी खरीद के आरोप पर सत्ता पक्ष की ओर से अभी तक कोई जवाब नहीं दिया गया है। राजनीति में ऐसा ही होता आया है कि किसी विवादित मुद्दे पर मौन धारण करने में ही फायदा होता है। कुछ दिन बाद मामला खुद ही शांत हो जाएगा। शायद ही सोचकर सत्ता पक्ष की ओर से जवाब नहीं दिया जा रहा है।
भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की बात करने वाले मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को सरकार या मंत्री पर लगने वाले भ्रष्टाचार के मामलों पर सही और समय पर जवाब देना चाहिए। जिससे जनता के मन में यह बात सही साबित हो कि सरकार भ्रष्टाचार पर वाकई जीरो टालरेंस की नीति अपना रही है। अब देखना है कि कांग्रेस नेता द्वारा बिना टेंडर के 175 करोड़ के पाइप खरीदने के आरोप पर सत्ता पक्ष की ओर से कब सच्चाई सामने रखी जाती है।