शिमला. ज्वालामुखी के विधायक रमेश ध्वाला ने गत दिवस संगठन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और संगठन मंत्री पवन राणा पर खुलकर आरोप दागे। ध्वाला के सार्वजनिक रुप से पवन राणा की खिलाफत करने पर भाजपा में हलचल पैदा हो गई। मीडिया में आए भाजपा में कांगड़ा विस्फोट के समाचारों से सरकार और संगठन को सकते में ला दिया। यह माना गया कि ध्वाला के इस कदम से सत्ता और संगठन की छवि खराब हो रही है। शुरुआत में तो भाजपा के विधायक और पार्टी के पदाधिकारियों ने पवन राणा का पक्ष लेते हुए रमेश ध्वाला की खिलाफत की और पार्टी से अनुशनात्मक कार्रवाई की मांग कर दी। लेकिन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर कांगड़ा जिले में रमेश ध्वाला की अहमियत को समझते हैं। ध्वाला कांगड़ा जिले के ओबीसी वर्ग के नेता हैं। ध्वाला का नाराज करना यानि ओबीसी वर्ग को नाराज करने जैसा माना जाता है। जिससे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने ध्वाला की ज्वाला को शांत करने की प्रयास किया। मुख्यमंत्री के इस प्रयास में नूरपुर के विधायक राकेश पठानिया भी भाजपा के लिए संकटमोचक की भूमिका में रहे। पठानिया ने ध्वाला से भी बात की और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के संग ध्वाला की मीटिंग के समय भी मौजूद रहे। कांगड़ा जिले की सियासत में ब्राम्हण, राजपूत, ओबीसी और गद्दी समुदाय का सियासी समीकरण बनते हैं। इस कारण राजपूत वर्ग के नेता राकेश पठानिया भी कांगड़ा जिले में ओबीसी वर्ग का महत्व समझते हैं। इस कारण मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और राकेश पठानिया ने मिलकर ध्वाला से चर्चा की और अंत में ज्वालामुखी की ज्वाला को शांत करने में कामयाबी हासिल की। मुख्यमंत्री के साथ रमेश ध्वाला की मीटिंग के बाद ध्वाला ने पत्र जारी कर पवन राणा के खिलाफ कही गई बातों पर खेद प्रकट किया है। ध्वाला ने पत्र में यह भी लिखा है कि मैं पार्टी का समर्पित सिपाही हूं। मैंने अपनी बात मुख्यमंत्री के समक्ष रखी हैं। मुख्यमंत्री ने आश्वसन दिया है कि वह संगठन के चर्चा कर समाधान करने का प्रयास करेंगे7 ध्वाला ने कहा कि वह संगठन और सरकार की मजबूती के लिए कार्य करते रहे हैं और करते रहेंगे। ध्वाला के इस पत्र के साथ ही भाजपा की ज्वाला शांत हो गई है लेकिन सवाल फिर वही है कि यह कब तक शांत रहेगी। ध्वाला ने पिछले कल कहा था कि वह ढाई साल से लगातार मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा तक इस मामले को उठा चुके हैं लेकिन अभी तक समाधान नहीं हुआ, जिससे पार्टी को नुकसान हो रहा है। लेकिन अब सरकार मिशन रिपीट की तैयारी करने लगी है तो शायद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर कांगड़ा जिले के ओबीसी वर्ग को साधने के लिए ध्वाला की ज्वाला को शांत रखने में सफल हों। कितने सफल होते हैं यह तो समय ही बताएगा लेकिन फिलहाल अभी शांति हो गई है। और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने संगठन मंत्री और विधायक की जंग में सत्ता और संगठन की हो रही खराब छवि को रोकने का प्रयास किया है। और इस प्रयास में मुख्यमंत्री का साथ राकेश पठानिया ने मजबूती के साथ दिया।