अलविदा मॉनसून

लगभग चार महीने बाद हिमाचल से दक्षिणी पश्चिमी मॉनसून वापिस

शिमला, 8 अक्तूबर। लगभग चार महीने तक सक्रिय रहने के बाद दक्षिण-पश्चिम मॉनसून आज हिमाचल प्रदेश से वापिस हो गया है। मौसम विभाग स्थानीय कार्यालय द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस साल मॉनसून 14 दिन देर से वापिस हुआ है। सामान्यतः प्रदेश से मॉनसून 25 सितम्बर तक वापिस हो जाता है। मॉनसून के दौरान प्रदेश में लगभग 6 सौ 87 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई जो सामान्य से 10 प्रतिशत कम है। मॉनसून के दौरान प्रदेश में आमतौर पर लगभग 7 सौ 64 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की जाती है। मौसम विभाग के अनुसार इस वर्ष मॉनसून के दौरान लाहौल स्पिति में सामान्य से 69 प्रतिशत कम, चम्बा में 44 प्रतिशत, सिरमौर और ऊना में 14-14, सोलन में 11, ऊना में 10, कंागड़ा में 8 और किन्नौर में सामान्य से 6 प्रतिशत कम वर्षा दर्ज की गई। मॉनसून के दौरान कुल्लू जिला में 40 प्रतिशत अधिक, मण्डी में 11 और शिमला में सामान्य से 9 प्रतिशत अधिक वर्षा दर्ज की गई।

हिमाचल प्रदेश में भले ही इस बार मॉनसून की वर्षा सामान्य से 10 प्रतिशत कम रही लेकिन इसके बावजूद पिछले पांच वर्षों की तुलना में प्रदेश में इस बार सबसे अधिक जानी नुकसान हुआ। मॉनसून से जुड़ी विभिन्न घटनाओं में इस बार लगभग 450 लोगों की जान चली गई। किन्नौर और लाहौल स्पिति जिले में सामान्य से बहुत कम वर्षा होने के बावजूद इन जिलों में भूस्खलन ने इस बार खूब तबाही मचाई और किन्नौर में जहां बटसेरी तथा निगुलसरी जैसी बड़ी भूस्खलन की घटनाएं हुई वहीं लाहौल स्पिति में भी भूस्खलन ने चिनाब का रास्ता रोका। हालांकि इस नदी का बहाव ज्यादा देर नहीं रुका जिससे बड़ी तबाही होने की आशंका खत्म हो गई। शिमला और कुल्लू जिलों में भी इस बार मॉनसून की भारी बरसात ने सम्पत्ति को भारी नुकसान पहुंचाया। प्रदेश में फोर लेन सड़कों के चल रहे कार्य के कारण मॉनसून के दौरान लोगों को यातायात में भी भारी दिक्कतें झेलनी पड़ी।