490 मेगावाट की अरुण-4 के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर
शिमला, 16 मई। सार्वजनिक क्षेत्र की मिनी रत्न कंपनी सतलुज जलविद्युत निगम ने नेपाल में 490 मैगावाट की अरुण-4 जलविद्युत परियोजना हासिल करने में सफलता पाई है। इस परियोजना के लिए आज सतलुज जलविद्युत निगम और नेपाल विद्युत प्राधिकरण के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देऊबा की मौजूदगी में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। सतलुज विद्युत निगम की ओर से निगम के अध्यक्ष नंदलाल शर्मा और नेपाल विद्युत प्राधिकरण के प्रबंध निदेशक कुलमन घीसिंग ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। ये पनविद्युत परियोजना एसजेवीएन और नेपाल विद्युत प्राधिकरण द्वारा संयुक्त उद्यम के रूप में विकसित की जाएगी। परियोजना में अधिक हिस्सेदारी एसजेवीएन की है।
सतलुज जलविद्युत निगम के प्रवक्ता ने शिमला में कहा कि ये जलविद्युत परियोजना अरुण-3 परियोजना के अपस्ट्रीम में बनेगी। इसके पूरा होने पर हर वर्ष 2100 मिलियन यूनिट से अधिक ऊर्जा का उत्पादन होगा। इस परियोजना पर 4900 करोड़ रुपए की लागत आएगी। उन्होंने कहा कि ये परियोजना बिजली क्षेत्र में भारत नेपाल संयुक्त विजन को प्राप्त करने की दिशा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित होगी।
एसजेवीएन द्वारा नेपाल में निर्मित होने वाली ये तीसरी मेगा परियोजना होगी। इसके अलावा पहले से निर्माणाधीन 900 मैगावाट अरुण-3 और 669 मैगावाट लोअर अरुण की परियाजना सर्वेक्षण और जांच के चरण में है। इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के साथ एसजेवीएन के पास अब नेपाल में कुल 2059 मैगावाट की तीन परियोजनाएं हैं। एसजेवीएन का वर्ष 2030 तक नेपाल में 5000 मैगावाट की पनविद्युत परियोजनाएं स्थापित करने का लक्ष्य है।
परियोजनाओं से होगा समग्र विकास
एसजेवीएन के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक नंदलाल शर्मा ने कहा है कि नेपाल में निगम द्वारा बनाई जा रही परियोजनाओं से समग्र विकास होगा और भारत तथा नेपाल में पारस्परिक आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं से संबंधित क्षेत्र में समग्र समान सामाजिक व आर्थिक विकास भी सुनिश्चित होगा। एसजेवीएन बिजली की निकासी के लिए भी 217 किलोमीटर 400 केवी की ट्रांसमिशन लाईन का भी नेपाल में निर्माण कर रहा है।