अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन

अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन

विधान सभा अध्यक्ष विपिन परमार वर्चुअल माध्यम से हुए शामिल

शिमला, 15 सितंबर। 81वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन को वर्चुअल माध्यम से सम्बोधित करते हुए विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा तथा मजबूत लोकतन्त्र है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र शासन व्यवस्था का एक प्रकार है। यह एक ऐसी व्यवस्था है जहां जनता सरकार को चुनती है। आजादी मिलने के बाद 26 जनवरी, 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ। यह विश्व का सबसे लम्बा लिखित संविधान है तथा भारत में संसदीय लोकतंत्र प्रणाली प्रचलित है। भारत के लोकतंत्र के तीन मुख्य स्तंभ विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका है। वर्ष 2007 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अन्तराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस की शुरूआत की गई थी तथा वर्ष 2008 में पहला अन्तराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस मनाया गया। इसके तहत दुनिया के हर कोने में सुशासन लागू करना है। पूरी दुनिया में दो लोकतंत्र प्रणाली है। एक संसदीय शासन प्रणाली तथा दूसरा राष्ट्रपति शासन प्रणाली, लेकिन दोनों ही प्रणालियों में जनता अपने मताधिकार का प्रयोग करके अपने देश के जनप्रतिनिधियों को चुनती है जो जनता के लिए काम करें।

परमार ने कहा कि लोकतंत्र तथा संसदीय प्रणाली की मजबूती के लिए अखिल भारतीय स्तर के पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन समय-समय पर विभिन्न स्थलों पर आयोजित करने चाहिए तथा सीधी चर्चा व संवाद से लोकतंत्र की बेहतरी के लिए जो भी निष्कर्ष  निकलता है उसको पूर्ण इच्छा शक्ति से अपनाना चाहिये और समय की नजाकत को देखते हुए उसमें संशोधन भी करने चाहिए।

इस अवसर पर बोतले हुए परमार ने कहा कि अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों का पहला सम्मेलन 14 व 16 सितम्बर को शिमला में आयोजित किया गया था। ब्रिटिश संसद की संयुक्त समिति जो 1919 के सुधार विधेयक से सम्बन्धित थी ने केन्द्रीय विधान मण्डल के लिए एक प्रेजिडेंट की नियुक्ति की सिफारिश कर महसूस किया कि वह प्रांतीय परिषदों के अध्यक्षों का मार्गदशर्क और सलाहाकार होना चाहिए तथा उसका चुनाव इस दृष्टि से किया जाये ताकि उसका समग्र प्रभाव भारत में संसदीय प्रक्रिया के इतिहास पर भी रहे।