एनएसयूआई के समर्थन में उतरे अग्निहोत्री और हर्ष

ऑफ लाईन परीक्षाओं का मामला

एनएसयूआई के समर्थन में उतरे अग्निहोत्री और हर्ष

शिमला, 5 जुलाई। हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में कोरोना संक्रमण के कमजोर पड़ते ही स्नातक स्तर की परीक्षाएं शुरू करवा देने पर सरकार को विपक्ष के जोरदार विरोध का सामना करना पड़ रहा है। परीक्षाएं आरंभ हो जाने के बावजूद विपक्षी दल कांग्रेस और उसका छात्र संगठन ऑफ लाईन परीक्षाओं का लगातार विरोध कर रहा है। अब पार्टी के बड़े नेता भी इस विरोध में जुड़कर जहां एनएसयूआई का हौसला बढ़ा रहे हैं वहीं सरकार की घेराबंदी भी लगातार जारी है।

इसी कड़ी में आज कांग्रेस विधायक दल के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने ऊना जिला मुख्यालय पर चल रहे एनएसयूआई के आंदोलन में शामिल होकर सरकार पर हमले बोले। अग्निहोत्री ने कहा कि जयराम सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है। एक तरफ सरकार के पास वैक्सीन खत्म हो चुकी है वहीं दूसरी ओर सरकार विद्यार्थियों को जबरन परीक्षा केंद्रों पर बुलाकर उन्हें परीक्षा देने के लिए मजबूर कर रही है जिससे कोरोना संक्रमण के फिर तेजी से बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है। उन्होंने कहा कि बेहतर होता कि सरकार स्कूल शिक्षा बोर्ड की तर्ज पर विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को भी प्रमोट करने का फैसला लेती।

उधर दूसरी ओर कांग्रेस के मीडिया विभाग के चेयरमैन हर्षवर्धन चौहान आज नाहन में एनएसयूआई के आंदोलन में शामिल हुए। हर्षवर्धन चौहान ने इस मौके पर छात्रों द्वारा उठाई गई मांग को सरकार के समक्ष रखने का आश्वासन दिया। हर्षवर्धन ने ये भी कहा कि कॉलेजों में यदि ऑनलाईन परीक्षाएं होती हैं तो सभी सुरक्षित रहेंगे। इसलिए सरकार को छात्रों की मांगें मान लेनी चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि चूंकि अभी सभी छात्रों का टीकाकरण नहीं हुआ है इसलिए भी ऑफलाईन परीक्षाएं करवाना समझदारी नहीं है। नाहन में एनएसयूआई बीते सात दिनों से क्रमिक अनशन पर है।

शिक्षकों से माफी मांगें महेंद्र सिंह

नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा है कि शिक्षकों के खिलाफ गलत बयानबाजी के लिए जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर को तुरंत सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना की विकट परिस्थितियों में शिक्षकों ने निष्ठा से अपने कर्तव्यों का निर्वाह किया और इस दौरान कई शिक्षकों को अपनी प्राणों की आहुति भी देनी पड़ी। ऐसे में सरकार के एक कद्दावर मंत्री द्वारा शिक्षकों के खिलाफ दिया गया बयान उनका अपमान करने के बराबर है। इसलिए खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर को सार्वजनिक रूप से इस बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए।