शिमला. हिमाचल कांग्रेस के प्रभारी बदलने से कांग्रेस के सियासी समीकरण भी बदल रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के करीबी राजेंद्र राणा को भी तबज्जो मिल रही है। गत विधानसभा चुनाव में भाजपा के घोषित मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को परास्त करने से सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा का कद सियासत में काफी बढ़ गया है। भाजपा के मुख्यमंत्री पद के घोषित प्रत्याशी को हराने से राजेंद्र राणा का नाम राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चित हुआ। अब कांग्रेस के नए प्रभारी राजीव शुक्ला बने हैं तो राणा हर जगह आगे दिख रहे हैं। जिससे तय है कि आगे की सियासत में भी राणा बेहतर भूमिका में नजर आएंगे।
राणा में कांग्रेस का दामन पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के आशीर्वाद से थामा था। तब से राणा वीरभद्र सिंह के आशीर्वाद से ही कांग्रेस में राजनीति कर रहे हैं। हिमाचल की राजनीति में राजपूत वर्ग के नेताओं का अहम होता है क्योंकि प्रदेश में राजपूत वर्ग की संख्या अधिक है। राजेंद्र राणा की सियासत को देखा जाए तो राजनीति में कदम रखने के बाद उनके सितारे अच्छे चल रहे हैं। राणा ने सुजारपुर में बेहतर जमीनी पकड़ बना ली है। जनसेवा से राजनीति में प्रवेश करने वाले राजेंद्र राणा ने पहला चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में जीता था। निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में वही नेता जीत दर्ज कर सकता है जिसकी जमीनी पकड़ मजबूत हो। राणा ने कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशियों को पराजित कर विधानसभा में दस्तक दी थी। दूसरा विधानसभा चुनाव कांग्रेस की टिकट पर लड़े और भाजपा के मुख्यमंत्री पद के घोषित चेहरे पूर्व मुख्यमंत्री धूमल को हराने में कामयाब रहे। जिससे यह साबित होता है कि राणा ने अपने विधानसभा क्षेत्र के लोगों को दिल जीत लिया है। राणा ने संसदीय क्षेत्र का नेता बनने की ओर कदम भी रखा और लोकसभा चुनाव के मैदान में भी उतरे। लेकिन लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। लोकसभा चुनाव से राजेंद्र राणा को यह फायदा हुआ कि उनका नाम संसदीय क्षेत्र में जाना पहचाना हो गया। अब राणा अपने बेटे अभिषेक राणा को संसदीय क्षेत्र की सियासत के लिए तैयार कर रहे हैं। जिससे लगता है कि राणा स्वयं अब दिल्ली की सियासत नहीं बल्कि विधानसभा सदस्य रहकर प्रदेश की सियासत ही करना चाहते हैं।
प्रदेश कांग्रेस के नए प्रभारी राजीव शुक्ला के आने से राणा में जोश भी नजर आ रहा है। राणा मानते हैं कि अब प्रदेश की सियासत नई रणनीति के तहत होगी, जिसमें जमीन पर मजबूत नेताओं को तवज्जो मिलेगी। राजीव शुक्ला के प्रभारी बनने के बाद उनके प्रदेश में दो दौरे हुए हैं। पहला कार्यक्रम शिमला में हुआ तो दूसरा मंडी में हुआ। दोनों ही कार्यक्रम में राणा की उपस्थिति प्रथम पंक्ति के नेताओं के साथ नजर आई। राजीव शुक्ला ने मंच से अपने संबोधन में राणा का नाम विधायकों की सूची में सबसे ऊपर रखा तो लंच के समय भी राणा राजीव शुक्ला के साथ बैठे दिखे जबकि पार्टी के अन्य विधायक लंच में शामिल भी नहीं हो सके। इस तरह राजीव शुक्ला के प्रभारी बनने के बाद प्रदेश की सियासत के समीकरण बदलते दिख रहे हैं तो राणा की सियासत भी नई उम्मीदों के साथ नई दिशा में कदम रख रही है। अब देखना है कि आगे के सियासी संघर्ष में राणा अपने को कहां खड़ा करने में सफल होते हैं।