शिमला. प्रदेश में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। कोरोना संक्रमितो का आंकड़ा 4500 के पार पहुंच गया है। जिससे प्रदेश के हर जिले के लोग भयभीत हैं कि कहीं वह न कोरोना के ग्रास बन जाएं। लेकिन प्रदेश की राजधानी शिमला के लोगों को कोरोना का भय कम सता रहा है। कारण यह है कि जहां प्रदेश के छोटे जिलों में कोरोना पॉजेटिव केस 1000 से अधिक हैं वहीं राजधानी शिमला में 200 केस के करीब हैं। जबकि राजधानी में कोरोना के शुरु होने के समय से ही अधिक लोगों का आना जाना हो रहा है। शिमला में सेब सीजन के कारण सबसे अधिक मजदूर और आढ़तियों का आना जाना भी हो रहा है लेकिन कोरोना नहीं फैल रहा है। शिमला की जनता को राहत की सांस लेने का मुख्य कारण डीसी अमित कश्यप की प्रशासनिक रणनीति ही रही है। डीसी ने शुरु से ही लॉकडाउन से अनलॉक होने तक जिले में प्रवेश होने के लिए और शिमला में प्रवेश के परमिट जारी करने के लिए ऐसी शख्त रणनीति अपनाई की, जिससे कोरोना संक्रमित लोग शिमला में प्रवेश नहीं कर सके और जिले में कोरोना नहीं फैला। डीसी के द्वारा शिमला के प्रवेश द्वार शोघी में लगाए गए बैरियर का परिणाम ही रहा है कि वहां सख्त जांच होने के कारण चोरी-छिपे भी लोग शिमला में प्रवेश नहीं कर सके। शिमला के लोगों की जान बचाने के लिए कश्यप ने चार माह के दौरान बहुत सख्त निर्णय भी लिए, जिससे कई राजनेताओं को परेशानी भी हुई लेकिन कोरोना से भयमुक्त शिमला की जनता अमित कश्यप के प्रयासों की सराहना ही कर रही है।
डीसी अमित कश्यप के प्रयासों के गवाह कोरोना संक्रमितों के आंकड़े भी हैं। प्रदेश में कोरोना के आंकड़े 4500 से अधिक हो गए हैं। छोटे जिले सोलन में यह आंकड़ा 1100, सिरमौर में 574, हमीरपुर में 427, कांगड़ा में 650 के करीब पहुंच गया है लेकिन राजधानी शिमला में 250 के करीब हैं और एक्टिव केस तो मात्र 74 ही हैं। जिससे साबित होता है कि शिमला में अन्य जिलों के मुकाबले कोरोना के केस बहुत कम हैं। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि शिमला जिले में स्थानीय लोगों को कोरोना संक्रमण नहीं हुआ है। प्रदेश के बाहर से आए लोग, मजदूर और आढ़ती ही कोरोना पॉजेटिव पाए गए हैं, जो संस्थागत क्वारंटाइन में थे या फिर होम क्वारंटाइन में थे। जिसके कारण बाहर से आए कोरोना पॉजेटिव लोगों के कारण स्थानीय लोगों में कोरोना संक्रमण का फैलाव नहीं हो सका। डीसी अमित कश्यप के साथ पूरी प्रशासनिक टीम और पुलिस टीम शिमला में आने वालें लोगों की सघन चैकिंग और क्वारंटाइन में रहने वाले लोगों की लगातार देखरेख करती रही है जिससे कि क्वारंटाइन व्यक्ति किसी भी प्रकार से नियमों को न तोड़ सके और आस पास कोरोना का संक्रमण न फैले। क्वारंटाइन किए गए लोगों के घर लगातार स्वास्थ्य विभाग व नगर निगम के कर्मचारी चैक करते रहे और आशा वर्कर के माध्यम से उनके देखरेख भी होती रही। डीसी ने ही सबसे पहले मास्क न पहनने पर जुर्माना लगाने का प्रावधान किया जिससे कि शहर का हर आदमी मास्क लगाकर ही चल रहा है। जिससे कोरोना संक्रमण नहीं फैल पाया। इसके साथ ही बाजारों के खुलने के समय, सब्जी और किराना दुकानों के खुलने के समय को निर्धारित किया और लगातार स्वयं जाकर निरीक्षण किया कि किसी भी क्षेत्र में नियमों का उल्लंघन तो नहीं हो रहा है। जिसके कारण ही शहर में कोरोना संक्रमण काल में सभी नियमों का पालन कराने में सफलता हासिल की और परिणाम सामने है कि सबसे अधिक एक्टिव शहर में सबसे कम कोरोना एक्टिव केस आए हैं। प्रदेश के सभी जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों को चाहिए कि वह शिमला की प्रशासनिक व्यवस्था से सीख लेकर कोरोना संक्रमण के खिलाफ बेहतर लड़ाई लड़ सकते हैं।