छात्राओं पर मुकदमा दर्ज करने का मामला
मामला दर्ज करने की घटना पर भड़के जयराम ठाकुर
मुख्यमंत्री अपने छुटभैया नेताओं के इशारे पर मुकदमे करने की सनक में
शिमला, 07 अक्तूबर।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के एक कार्यक्रम में कॉलेज छात्राओं द्वारा खाना न मिलने पर मुख्यमंत्री के खिलाफ की गई नारेबाजी के मामले में छात्राओं पर मुकदमा दर्ज करने को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच तकरार बढ़ गई है। पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सरकार के इस कदम पर कड़ी आपत्ति जताई है और कहा है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू कांग्रेस के छुटभैय्या नेताओं को खुश करने के लिए छात्राओं पर मुकदमा दर्ज करने से भी संकोच नहीं कर रहे हैं।
जयराम ठाकुर ने कहा कि सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार को एफआईआर दर्ज करने की सनक सवार हो गई है। प्रदेश के मुख्यमंत्री होते हुए भी वह छोटे दिलवाले छुटभैया नेताओं के चंगुल में फंसकर वैसी ही हरकतें कर रहे हैं। उनकी नाकामी के खिलाफ जहां से भी कोई आवाज उठती है, सीधे मुकदमा कर दो, जेल में भेज दो, परिवार का बिजनेस है तो तबाह कर दो, परिजनों को परेशान करो यही नीति सरकार चला रही है।
उन्होंने कहा कि बीते कल सरकार ने बच्चियों पर भी एफआईआर इसलिए दर्ज कर दी क्योंकि उन्होंने खाना न मिलने की शिकायत की थी। कार्यक्रम में बच्चों को बुलाया गया, किसी तंत्र से भोजन का प्रबंध भी करवाया गया और बच्चियों को खाने के नाम पर घंटों धूप में बैठाया गया। जब उन्होंने विरोध किया तो उनके ऊपर मुकदमा दर्ज कर दिया गया। उन्होंने कहा कि कोई नेता बोले तो उसके खिलाफ मुकदमा ताकि सरकार की नाकामी के खिलाफ कोई आवाज ही न उठ सके। जिनके खिलाफ मुकदमा न कर पाओ, उनके खिलाफ करोड़ों रुपए खर्च कर सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करते हुए घटिया भाषा में सोशल मीडिया पर अभियान चलाओ और फिर भी उस पर कोई कार्रवाई न करवाओ। उन्होंने कहा कि प्रदेश में निकम्मापन और तानाशाही का शासन चल रहा है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री चाहे जितनी तानाशाही कर लें, लेकिन उन्हें यह याद रखना चाहिए कि तानाशाहों का अंत हमेशा बुरा होता है। उनकी हर कारगुजारी का पूरा हिसाब रखा जाएगा। ऐसे अधिकारी जो सरकार के टूल बनकर काम कर रहे हैं, उन्हें भी यह याद रखना चाहिए कि उनके हर फैसले की समीक्षा कभी भी हो सकती है। तब ऐसे लोग अपनी जान बचाते फिरेंगे और कोई उनके काम नहीं आएगा। उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि अपनी सामर्थ्य, ज्ञान और विवेक का उपयोग प्रदेश के भले के लिए करें, जिसके लिए उन्हें कुर्सी पर बैठाया गया है। ऐसा कोई काम न करें जिससे बाद में उन्हें शर्मिंदगी उठानी पड़े।
जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री इस समय कई संदिग्ध व्यक्तित्व वाले अधिकारियों की मदद लेकर उनके चंगुल में फंस चुके हैं, जिससे निकलना उनके लिए बहुत मुश्किल हो गया है। यह बेहद खतरनाक स्थिति है। आज पूरा प्रदेश कार्यवाहकों के भरोसे चल रहा है। प्रदेश का मुख्य सचिव और डीजीपी हॉफ कार्यवाहक है, देश के सबसे बड़े जिले का एसपी कार्यवाहक है, टेक्निकल और एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के वीसी कार्यवाहक हैं, आबकारी एवं कराधान विभाग का डायरेक्टर कार्यवाहक है और इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमिशन का अध्यक्ष भी कार्यवाहक है।
सही मायने में मुख्यमंत्री ऐसी स्थिति में नहीं हैं कि वे किसी की नियुक्ति अपने हिसाब से कर सकें। उनकी इस कार्यवाहक सरकार का विरोध उनके अपने मंत्री भी दबे मन से कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह सरकार मित्रों और कार्यवाहकों की सरकार बनकर रह गई है। मुख्यमंत्री जब टेढ़ी राह पर चल रहे थे, तभी हमने उन्हें आगाह किया था कि यह खेल बहुत बुरा है। अधिकारी आपको कहीं का नहीं छोड़ेंगे और आज वही हो रहा है। यह स्थिति प्रदेश के लिए अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।
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आपदा को लूट का अवसर बना रही सरकार और उसके लोग
जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया कि सरकार और उसके लोग आपदा को लूट का अवसर बना रहे हैं। सड़कों पर मलबा पड़ा है और उसे उठाए बिना ही बिल पास हो रहे हैं। सत्ता संरक्षित नेता पैसा अपनी जेब में डाल रहे हैं। सरकार और उसके लोगों का ध्यान आपदा प्रभावितों को राहत देने पर नहीं, बल्कि लूटने पर है। केंद्र सरकार द्वारा आपदा राहत के लिए भेजी गई 5500 करोड़ रुपए की धनराशि में से केवल 300 करोड़ रुपए ही प्रभावितों तक पहुंचे हैं, बाकी पैसे का सरकार के पास कोई हिसाब नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आपदा का दौरा कर 1500 करोड़ के विशेष पैकेज की स्वीकृति प्रदान की है। यह पैसा भी सरकार चाहती है कि उनकी जेब में आए और उसे आपदा प्रभावितों को देने की बजाय सरकार चलाने में खर्च करे जो होने वाला नहीं है। आपदा प्रभावितों के लिए आया पैसा केवल आपदा प्रभावितों को ही दिया जाएगा, सरकार उसे अपनी मर्जी से खर्च नहीं कर पाएगी।