शिमला: मानसून सत्र के चौथे दिन की कार्यवाही देखने आए इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ लीगल स्टडीज हरि देवी घणाहटी तथा राजकीय कन्या महाविद्यालय शिमला के छात्र –छात्राओं के साथ संवाद करते हुए विधान सभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानियां ने उन्हें कौंसिल चैम्बर के इतिहास की जानकारी दी। इससे पूर्व विधान सभा अध्यक्ष ने इन छात्र – छात्राओं से संसदीय प्रणाली तथा भारतीय लोकतन्त्र से सम्बन्घित कई प्रश्न भी पूछे। इस अवसर पर पर कौंसिल चैम्बर की जानकारी देते हुए विधान सभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानियां ने कहा कि इसका इतिहास अविस्मरणीय रहा है। उन्होने कहा कि कौंसिल चैम्बर का निर्माण 10 लाख रूपये की लागत से ब्रिटिश काल में 1920 से 1925 के बीच हुआ था जिसकी हम शताब्दी मना चुके हैं। श्री पठानियां ने कहा कि कौंसिल चैम्बर का निर्माण राष्ट्रीय एसैम्बली के लिए किया गया था। उन्होने कहा कि वर्ष 1925 में विठ्ठल भाई पटेल राष्ट्रीय एसेम्बली के पहले निर्वाचित अध्यक्ष बने थे। उन्होने अपने ब्रिटिश प्रतिद्वन्द्वी को मात्र दो मतों से पराजित कर एक इतिहास रचा था। पठानियां ने कहा कि राष्ट्र्रीय एसैम्बली के सदस्य के रूप में मोती लाल नेहरू, लाल लाज पत राय जैसे स्वतन्त्रता सेनानियों ने अपनी भूमिका निभाई थी। कौंसिल चैम्बर को पँजाब विधान सभा, हि0प्र0 पार्ट सी0 स्टेट विधान सभा तथा 1 जुलाई 1963 से हिमाचल प्रदेश विधान सभा होने का गौरव प्राप्त हुआ है। कौंसिल चैम्बर में कई ऐतिहासिक महत्वपूर्ण प्रस्तावों को पारित किया गया जिसमें भारत की आजादी तथा मोती लाल नेहरू द्वारा महिलाओं के मताधिकार का प्रस्ताव भी यहीं पारित किया गया। इस अवसर पर विधान सभा अध्यक्ष ने सभी छात्र – छात्राओं के उज्जवल भविष्य की कामना तथा अपनी शुभ कामनाएं दी।