भूस्खलन में माता-पिता और बच्चे सहित तीन की मौत
कुल्लू और मंडी में ब्यास में बाढ़, कई इलाकों में घुसा ब्यास का पानी, कार बही
शिमला-कालका रेल सेवा ठप्प, मंडी से लाहौल तक सड़क यातायात के लिए बन्द
पंडोह डैम और नाथपा डैम के फ्लड गेट खुले
नाथपा झाखडी पन बिजली परियोजना ठप्प, उत्तर भारत मे बढ़ेगा बिजली संकट
लाहौल के लोसर सहित ऊंची पहाड़ियों पर बर्फवारी
राज्य के 6 ज़िलों में फ़्लैश फ्लड की चेतावनी
शिमला, 09 जुलाई हिमाचल प्रदेश में बीते 3 दिनों से हो रही लगातार मूसलाधार वर्षा से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है और भूस्खलन सहित अन्य घटनाओं में बीती रात से अब तक 7 लोगों की जान चल गई है। राज्य में भारी वर्षा से जुड़ी अब तक 50 लोगों की मौत हो चुकी है। प्रदेश में जारी भारी से अति भारी वर्षा के कारण जहां सार्वजनिक और निजी संपत्ति को व्यापक नुकसान हुआ है, वहीं दूसरी ओर दर्जनों सड़के बंद हो गई हैं और सभी प्रमुख मार्गों पर यातायात बाधित है। भारी वर्षा के कारण राज्य के सभी नदी-नाले उफान पर हैं। मंडी में पंडोह डैम के फ्लड गेट खोल दिए जाने के चलते मंडी शहर में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं और ब्यास नदी का जलस्तर खतरे के निशान तक पहुंच गया है।
शिमला जि़ला की उप तहसील कोटगढ़ की मधावनी पंचायत के पानेवली गांव में हुए भूस्खलन की चपेट में आ जाने से एक दंपत्ति और उनके बच्चे की मौत हो गई। मृतकों की पहचान अनिल(32), उनकी पत्नी किरण(31) और बेटे स्वप्निल(11) की मौत हो गई। इस घटना में जयचंद और उनकी पत्नी वीना देवी घायल हो गए।खराब मौसम के कारण श्रीखंड महादेव यात्रा मार्ग पर ग्लेशियर पर फिसलने से भी एक श्रद्धालु की मौत हो गई है जबकि 2 अन्य लापता हैं। ये घटना श्रीखंड महादेव यात्रा पर चढ़ाई के दौरान हुई। रेस्क्यू टीम ने एक शव बरामद कर दिया है, जबकि 2 अन्य को ढूंढने के प्रयास जारी हैं। आनी के डी.एस.पी. चंद्रशेखर कायथ ने कहा कि खराब मौसम के कारण सर्च ऑपरेशन में दिक्कतें आ रही हैं। खराब मौसम को देखते हुए श्रीखंड महादेव यात्रा को 2 दिनों के लिए स्थगित कर दिया गया है। किन्नौर जि़ला में भी भारी वर्षा और भूस्खलन के दृष्टिगत किन्नर कैलाश ट्रैकिंग यात्रा को जि़ला प्रशासन ने स्थगित कर दिया है।
उधर चंबा जि़ला के ककींया नामक स्थान पर हुए भूस्खलन की चपेट में आने से एक व्यक्ति की मौत हो गई। मृतक की पहचान किशोरी लाल के रूप में हुई है। वह धलेई गांव का रहने वाला था। जि़ले में हो रही भारी वर्षा के कारण सभी नदी-नाले उफान पर हैं और जि़ला प्रशासन ने लोगों को ज़रूरी होने पर ही घरों से बाहर निकलने की सलाह दी है। जि़ले के अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हिमपात की भी सूचना है। जि़ले का चंबा तीसा मार्ग भी भारी भूस्खलन के कारण कई स्थानों पर बंद हो गया है। इससे क्षेत्र की 55 पंचायतों का जि़ला मुख्यालय से संपर्क कट गया है।इधर मंडी-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग भारी वर्षा और भूस्खलन के कारण पंडोह के पास 6 मील नामक स्थान पर अवरूद्ध हो गया है। इस सड़क पर यातायात बहाल करने के लिए मशीनरी मौके पर तैनात कर दी गई है और सड़क के दोपहर बाद तक यातायात के लिए खुलने की उम्मीद है। मंडी से कटौला होकर कुल्लू जाने वाला वैकल्पिक मार्ग भी कमांद के पास घोड़ा फार्म नामक स्थान पर भूस्खलन के कारण अवरूद्ध हो गया है। पंडोह डैम के फ्लड गेट खोल दिए जाने के चलते मंडी शहर में ब्यास नदी खतरे के निशान तक पहुंच गई है। पंडोह डैम से एक लाख क्यूसिक पानी इसमें छोड़ा जा रहा है। ब्यास नदी का जलस्तर बढ़ने से पंडोह में भी कई रिहायशी इलाकों में पानी भर गया है और कई गाडि़यां तथा घर पानी में डूब गए हैं। ऐसे में लोगों को बाढ़ जैसे हालात का सामना करना पड़ रहा है।लाहौल स्पीति जि़ला में भी भारी बारिश हो रही है। इसे देखते हुए मौसम विभाग ने जि़ले में अचानक बाढ़ आने और हिमखंड गिरने की चेतावनी जारी की है। जि़ले के लोसर गांव सहित आस-पास की पहाडि़यों पर आज सुबह से ही हिमपात हो रहा है। इससे जि़ले में गर्मियों में भी लोगों को ठंड का सामना करना पड़ रहा है। जि़ले की ग्राम्फू-काजा सड़क छोटा दड़ा के पास कई स्थानों पर हुए भूस्खलन के कारण अवरूद्ध हो गई है। इस सड़क पर स्पिति से मनाली की ओर आ रहा काॅलेज के 30 विद्यार्थियों का एक दल फंस गया था, जिसे लाहौल-स्पिति जि़ला प्रशासन ने सुरक्षित निकाल लिया है। लाहौल-स्पिति आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार ये सभी विद्यार्थी सुरक्षित हैं।
कुल्लू में ब्यास नदी का जलस्तर बढ़ जाने के चलते जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। जिला प्रशासन ने ब्यास नदी के जलस्तर में वृद्धि और पहाड़ों से हो रहे भूस्खलन तथा पत्थर गिरने के दृष्टिगत कुल्लू से मंडी और कुल्लू से मनाली के बीच यातायात को पूरी तरह से रोक दिया है। मनाली से अटल टनल होते हुए लाहौल के लिए भी यातायात को बंद कर दिया है क्योंकि इस सड़क पर भी पहाड़ों से पत्थर गिर रहे हैं। कुल्लू में ब्यास नदी के जलस्तर में हुई वृद्धि के चलते कुल्लू में पार्किंग में खड़ी एक कार ब्यास नदी की तेज धारा में बह गई।भारी वर्षा के चलते सतलुज नदी के जलस्तर में तेज वृद्धि हो रही है। इससे नदी में गाद का स्तर बढ़ गया है। इसे देखते हुए सतलुज जल विद्युत निगम ने 1500 मैगावाॅट की नाथपा झाकड़ी परियोजना को बंद कर दिया है जिस कारण उत्तर भारत में बिजली का संकट बढ़ जाने कक आशंका है। निगम प्रबंधन ने कहा है कि जलस्तर में वृद्धि को देखते हुए नाथपा बांध से 1500 क्यूमैक्स पानी छोड़ा जा रहा है। इससे नदी के जलस्तर में अचानक वृद्धि होगी। निगम ने सतलुज नदी के किनारे रहने वाले सभी लोगों को सचेत रहने और नदी के किनारे न जाने की सलाह दी है।शिमला-परवाणु सड़क भी कई स्थानों पर भूस्खलन से प्रभावित हुई है और यातायात में बाधा आ रही है। पर्यटन व रेलवे पुलिस के मुताबिक भूस्खलन के चलते शिमला-कालका रेल लाइन पर आज के दिन के लिए सभी रेल सेवाएं बंद कर दी गई हैं।सिरमौर जि़ला के राजगढ़ क्षेत्र में बीते 48 घंटों से हो रही भारी बारिश के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त है। क्षेत्र में सभी नदी-नाले उफान पर हैं और अब बारिश फलों व सब्जियों के लिए नुकसानदेह हो सकती हैं, क्योंकि सड़न रोग का खतरा बढ़ गया है।इस बीच मौसम विभाग ने आज राज्य के 7 जि़लों में भारी से अति भारी वर्षा का रैड अलर्ट जारी किया है। विभाग ने इसे देखते हुए एडवाइजरी जारी की है और लोगों को भूस्खलन संभावित क्षेत्रों से दूर रहने की सलाह दी है। विभाग ने ये भी कहा है कि मौसम खराब रहने तक ट्रैकिंग और अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में जाने से परहेज करें। विभाग ने लोगों को भारी बारिश को देखते हुए नदी-नालों के समीप न जाने की भी सलाह दी है और कहा है कि इन नदी-नालों के जलस्तर में कभी भी वृद्धि हो सकती है। विभाग ने कल 10 जुलाई तक राज्य के 6 जि़लों चंबा, कांगड़ा, कुल्लू, शिमला, सिरमौर और मंडी में कुछ स्थानों पर अचानक बाढ़ आने की चेतावनी भी जारी की है। विभाग ने राज्य के 11 जि़लों में कल 10 जुलाई तक भारी वर्षा का यलो और ऑरेंज अलर्ट भी जारी किया है।
हिमाचल में भारी वर्षा और बाढ़ से 362 करोड़ का नुकसान
हिमाचल प्रदेश में मानसून के दौरान अब तक सरकारी और निजी संपत्ति को 362 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हो चुका है। इसमें से सर्वाधिक 204 करोड़ रुपए का नुकसान लोक निर्माण विभाग को हुआ है। इसके अलावा जल शक्ति विभाग को 127 करोड़, बागवानी विभाग को 26 करोड़, बिजली बोर्ड को 92 लाख और शहरी विकास विभाग को 38 लाख रुपए का नुकसान हुआ है। भारी बरसात के कारण राज्य में अभी तक कच्चे व पक्के मकान, 7 दुकानें और 34 गौशालाएं क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। जबकि 354 मवेशियों की भी मौत हुई है। इस बीच बीते 24 घंटों के दौरान बिलासपुर के नंगल डैम में सर्वाधिक 283 मिलीमीटर, ऊना में 229, बिलासपुर में 224, देहरा गोपीपुर में 175 मिलीमीटर, चंबा और डलहौजी में 147, मनाली और नाहन में 131, धर्मशाला में 126, लाहौल स्पीति के गोदंला में 112, कांगड़ा में 108, जुब्बड़हट्टी में 103, भुंतर में 102, नारकंडा में 88, सुंदरनगर में 83, मंडी में 80 और शिमला में 79 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई।