हिमाचल विधानसभा में नो कॉन्फिडेंस, निरस्त सदन में पहले ही दिन विपक्षी दल कांग्रेस ने किया जबरदस्त हंगामा 

हिमाचल विधानसभा में नो कॉन्फिडेंस, निरस्त
सदन में पहले ही दिन विपक्षी दल कांग्रेस ने किया जबरदस्त हंगामा 

शिमला, 10 दिसम्बर
हिमाचल प्रदेश में हाल ही में हुए चार उपचुनावों में सत्तादल भाजपा की शर्मनाक हार से उत्साहित विपक्षी दल कांग्रेस ने आज प्रदेश विधानसभा में सरकार के खिलाफ नियम 278 के तहत नो-कॉन्फिडेंस प्रस्ताव पेश किया। इस दौरान सदन में जोरदार हंगामा हुआ और सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ही ओर से हुए शोरगुल के बीच विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने नियमों का हवाला देते हुए नो-कॉन्फिडेंस प्रस्ताव को निरस्त कर दिया।  नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन शोकोद्गार के बाद सदन में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। अग्निहोत्री ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि मौजूदा जयराम ठाकुर सरकार अपना विश्वास खो चुकी है और प्रदेश की जनता का इस सरकार पर कतई विश्वास नहीं रह गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में हाल ही में संपन्न तीन विधानसभा और एक लोकसभा उपचुनाव में सत्तादल भाजपा की करारी हार हुई है और जनता ने उसे नकार दिया है।
अग्निहोत्री ने कहा कि अच्छा होता यदि मुख्यमंत्री उपचुनावों में हार के बाद सरकार भंग कर चुनाव का रास्ता प्रशस्त करते। उन्होंने कहा कि जहां एक ओर सदन के भीतर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया है, वहीं सदन के बाहर सदन के बाहर लगातार धरने प्रदर्शन हो रहे हैं और कोई भी वर्ग सरकार से खुश नहीं है।
नेता प्रतिपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत करने के बीच ही सदन में शोरगुल का माहौल शुरू हो गया और दोनों ओर से सदस्यों ने खूब हो-हल्ला किया। इसी शोर गुल के बीच विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार ने व्यवस्था दी कि अविश्वास प्रस्ताव को सदन में पेश करने के लिए नियमों के तहत विपक्ष के पास न्यूनतम 23 सदस्यों का समर्थन होना चाहिए, लेकिन प्रस्ताव पेश करने के समय सदन में विपक्ष के केवल 18 सदस्य ही मौजूद हैं। इसलिए नियमों के तहत सदन में अविश्वास प्रस्ताव पेश करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। विपिन परमार ने कहा कि सदन में अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में सदस्यों की संख्या एक तिहाई नहीं है। इसलिए वह अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करते हैं।
विधानसभा अध्यक्ष की व्यवस्था के बीच सदन में भारी शोरगुल चलता रहा और दोनों ओर से सदस्य अपनी-अपनी सीटों पर खड़े हो गए। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री को इस प्रस्ताव पर अपना पक्ष रखने की अनुमति नहीं देने से खफा विपक्षी सदस्यों ने इस दौरान नारेबाजी भी की।