किसान-बागवान ने सरकार को दिखाई ताकत

एमएसपी को कानून बनाने के लिए प्रदेश भर में धरना-प्रदर्शन

शिमला, 13 सितंबर। हिमाचल प्रदेश संयुक्त किसान मंच ने आज प्रदेश में तहसील, ब्लॉक और उपमंडल स्तर पर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर सरकार को अपनी ताकत दिखाई। इस प्रदर्शन में संयुक्त किसान मंच के नेतृत्व में विभिन्न किसान संगठनों, जिला परिषद और ब्लॉक समितियों के सदस्यों, पंचायती राज संस्थाओं के सदस्यों और कांग्रेस तथा माकपा के विधायकों ने भी हिस्सा लिया।

संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक हरीश चौहान ने कहा कि यदि सरकार किसानों की मांगों पर अमल नहीं करती है तो मंच 27 सितंबर को प्रदेशव्यापी प्रदर्शन करेगा और ये आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार किसानों की मांगों को नहीं मान लेती।

शिमला में विभिन्न संगठनों ने मिलकर शेर-ए-पंजाब से जुलूस निकालते हुए उपायुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन किया और उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा। मंच के घटक सदस्य हिमाचल किसान सभा के महासचिव डॉ. ओंकार शाद ने कहा कि प्रदेश सरकार पूंजीपतियों के साथ सांठ-गांठ करके किसानों को लूटने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि एपीएमसी भी किसानों के हक बचाने में नाकाम है। सरकार की किसान-बागवान विरोधी नीतियों की वजह से प्रदेश की 5 हज़ार करोड़ की सेब की आर्थिकी को ग्रहण लग गया है। सरकार की नीतियों की मार सबसे ज्यादा छोटे बागवानों पर पड़ रही है। डॉ. ओंकार शाद ने कहा कि लगत मूल्य कई गुणा हो चुका है। दवाई, खाद, यातायात, भण्डारण, पैकेजिंग हर चीज़ के दाम बढ़ चुके हैं। खाद में नौ गुणा और दवाइयों में 20 गुणा तक की मूल्यवृद्धि हो चुकी है।

वहीं हिमाचल किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि भाजपा हमेशा एक देश एक विधान का राग तो अलापती है मगर किसानों-बागवानों को समर्थन मूल्य देने में भेदभाव करती है। डॉ. तंवर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पिछले दो सालों से 60 रुपये, 44 रुपये और 24 रुपये के हिसाब से मण्डी मध्यस्थता योजना के तहत सेब की सरकारी खरीद हो रही है। तंवर ने कहा कि बात-बात पर केरल से अपनी तुलना करने वाली हिमाचल सरकार को ज्ञात होना चाहिए कि केरल ने फल-सब्ज़ी के अपने 30 उत्पादों के लिए न्यूनतम खरीद मूल्य निर्धारित किया है जिसका लाभ यह हुआ कि केरल के किसान का उत्पाद अब मण्डी में भी अच्छे दामों में बिक रहा है। आढ़तियों को मजबूर होकर किसानों को सही दाम देना पड़ रहा है।