कर्ज न चुकाने वाले होटलों को टेक ओवर के नोटिस से पर्यटन व्यवसायियों में हड़कंप
शिमला, 12 सितंबर। कोरोना महामारी के चलते मंदी की मार झेल रहे पर्यटन उद्योग पर अब बैंकों का चाबुक चलना शुरू हो गया है। बैंकों का ऋण न चुकाने वाले होटल व्यवसायियों के होटल टेकओवर करने की प्रक्रिया कई बैंकों ने शुरू कर दी है। इसके लिए बैंकों की ओर से होटल मालिकों को टेकओवर के नोटिस थमाए जा रहे हैं। इससे पर्यटन व्यवसायियों में हड़कंप की स्थिति है।
हिमाचल प्रदेश टूरिज्म इंडस्ट्री स्टेक होल्डर एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहिंद्र सेठ का कहना है कि कोरोना की मार से पर्यटन व्यवसायियों को इस तरह के नोटिस थमाना उनके साथ सरासर अन्याय है। उनका कहना है कि राज्य का पर्यटन उद्योग प्रदेश की जीडीपी में 10 प्रतिशत की हिस्सेदारी कर रहा है और इस उद्योग में राज्य के लाखों युवाओं को प्रत्यक्ष तथा अपरोक्ष रोजगार मिल हुआ है। ऐसे में पर्यटन उद्योग के बंद होने की स्थिति में प्रदेश को ही सबसे अधिक आर्थिक नुकसान होगा।
ऐसोसिएशन का कहना है कि हिमाचल का पर्यटन उद्योग कोरोना महामारी के कारण सबसे अधिक प्रभावित हुआ है क्योंकि प्रदेश सरकार बार-बार कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने के नाम पर बंदिशें लगा रही है जिससे पर्यटक हिमाचल नहीं पहुंच पा रहे हैं। इसके अलावा शिमला में बिजली, पानी और कूड़ा उठाने की दरें सबसे अधिक है। इसके बदले यहां होटलों के किराये बहुत कम है। नतीजतन होटल व्यवसायियों के पास अब वर्किंग कैपिटल भी नहीं रह गई है जिससे उन्हें अपने होटल बंद करने पड़ रहे हैं।
ऐसोसिएशन ने मांग की है कि केंद्र सरकार की इमरजेंसी क्रेडिट लाइन का लाभ सभी पर्यटन इकाइयों को एक समान दिया जाए और प्रदेश सरकार पर्यटन उद्योग की आर्थिक मदद के लिए तुरंत आगे आए। एसोसिएशन ने अन्य राज्यों की तर्ज पर प्रदेश के पर्यटन उद्योग पर लगे सभी करों को एक साल के लिए माफ करने की भी मांग की है ताकि इस उद्योग को पूरी तरह ध्वस्त होने से बचाया जा सके।